एमपी से मानसून की वापसी शुरू…नीमच, श्योपुर, मुरैना-भिंड से लौटा:इस बार 6 दिन पहले ही विदाई; प्रदेश में अब तक 44 इंच बारिश
मध्यप्रदेश से मानसून की वापसी शुरू हो गई है। मौसम विभाग ने बुधवार को नीमच, श्योपुर, मुरैना और भिंड से मानसून की विदाई होने की घोषणा कर दी। मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने कहा- दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी आज उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश के कुछ भागों से हो गई है। यह मुख्यतः नीमच, श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों से दर्ज की गई है। आने वाले 2 से 3 दिन में मध्यप्रदेश के कुछ और जिलों से मानसून लौटने की संभावना है। मध्यप्रदेश में अब तक 44 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 19 प्रतिशत ज्यादा है। गुना और रायसेन ऐसे जिले हैं, जहां 61 इंच से अधिक पानी गिर चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, सितंबर के आखिरी दिनों में भी तेज बारिश होगी। बुधवार को 3 जिले- सिवनी, मंडला और बालाघाट में अलर्ट है। इस साल मानसून ने मध्यप्रदेश में 16 जून को दस्तक दी थी। समय से एक दिन बाद मानसून प्रदेश में एंटर हुआ था। बुधवार को जिन जिलों से मानसून की विदाई हुई है, उनमें अमूमन 30 सितंबर तक ऐसा होता है। इस बार 6 दिन पहले ही यहां से मानसून लौट गया है। बुरहानपुर में तेज बारिश, फसलें डूबीं
इससे पहले बुरहानपुर जिले में मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात 1:20 बजे से तड़के 4 बजे तक तेज बारिश हुई। जिससे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति बन गई। नेपानगर के डाभियाखेड़ा और आसपास के गांवों में केले, सोयाबीन और हल्दी की फसलें पानी में डूब गईं। कई खेतों में रखी खाद की बोरियां और घरों में रखा अनाज भी भीग गया। डाभियाखेड़ा में कुछ घरों में घुटनों तक पानी भर गया और एक मकान की दीवार भी गिर गई। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार बारिश से खरीफ फसलों को भारी नुकसान हो सकता है जबकि चना और गेहूं की फसल पर फिलहाल कोई असर नहीं है। अभी तीन सिस्टम एक्टिव, प्रदेश में भी असर
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने कहा- फिलहाल लो प्रेशर एरिया (कम दबाव का क्षेत्र), साइक्लोनिक सर्कुलेशन और एक ट्रफ की एक्टिविटी है। इनका असर बुधवार को दक्षिणी हिस्से के 3 जिलों में देखने को मिल सकता है। वहीं, कई जिलों में हल्की बारिश भी हो सकती है। अब तक 119 प्रतिशत बारिश हुई
मध्यप्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 44 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 36.7 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 7.3 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। यह कोटा पिछले सप्ताह ही पूरा हो गया है। अब तक 119 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। इंदौर संभाग की तस्वीर सुधरने लगी
इस मानसूनी सीजन में शुरुआत से ही इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं रही। एक समय तो इंदौर में प्रदेश की सबसे कम बारिश हुई थी। ऐसे में अटकलें थीं कि क्या इस बार इंदौर में सामान्य बारिश भी होगी? लेकिन सितंबर महीने में तेज बारिश की वजह से इंदौर में सामान्य बारिश का कोटा पूरा हो गया। हालांकि, संभाग के बड़वानी, खरगोन और खंडवा की तस्वीर बेहतर नहीं है। दूसरी ओर, उज्जैन में अब भी कोटा पूरा नहीं हुआ है। सबसे कम बारिश वाले जिलों में शाजापुर दूसरे नंबर पर है। एमपी में अब तक इतनी बारिश… ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर
एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं। गुना में सबसे ज्यादा, खरगोन में सबसे कम बारिश
इस बार गुना में सबसे ज्यादा 65.4 इंच पानी गिर चुका है। रायसेन में 61.1 इंच, मंडला में 60 इंच, श्योपुर में 56.6 इंच और अशोकनगर में 56 इंच बारिश हो चुकी है। वहीं, सबसे कम 27.3 इंच बारिश खरगोन में हुई। शाजापुर में 28.7 इंच, खंडवा में 29.1 इंच, बड़वानी में 30.9 इंच और धार में 32.8 इंच पानी गिर चुका है। अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम… अब जानिए, एमपी के 5 बड़े शहरों में बारिश का रिकॉर्ड… भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश
भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था। इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश
इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है। इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिनों तक बारिश हो सकती है। ग्वालियर में वर्ष 1990 में गिरा था 25 इंच पानी
ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है। ग्वालियर में इस बार अगस्त में ही बारिश का कोटा पूरा हो गया। ऐसे में सितंबर में जितनी भी बारिश होगी, वह बोनस की तरह ही रहेगी। जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड
सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 को हो चुकी है। यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है। उज्जैन में 1981 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल
उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन वर्ष 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 को बना था। सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।
Source: देश | दैनिक भास्कर
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