प्रयागराज के कर्नलगंज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे से जुड़े मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई है। खास बात यह कि अंतिम रिपोर्ट लगाने वाले दरोगा ने ही पहले खुद इसी निर्माण को सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण बताया था। 14 जुलाई को कराया था मुकदमा एफआईआर 14 जुलाई को प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के अवर अभियंता सोनू कुमार राजभर की तहरीर पर दर्ज हुआ था। एफआईआर में कहा गया था कि प्रयागराज के छोटा बघाड़ा क्षेत्र के एक मकान को जोनल अधिकारी ने चार जून को अवैध निर्माण में सील किया था। 28 जून को निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि अशोक कुमार यादव, निवासी छोटा बघाड़ा ने सील तोड़कर दोबारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। अभियंता ने इसे संज्ञेय अपराध बताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एफआर लगाने का यह दिया हवाला मुकदमे की जांच तत्कालीन एनी बेसेंट चौकी प्रभारी सुमित कुमार श्रीवास्तव को सौंपी गई। 11 अक्टूबर 2025 को उन्होंने मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाते हुए कहा कि जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि आरोपी ने हाउस टैक्स, वॉटर टैक्स और बिजली बिल की रसीदें प्रस्तुत कर यह साबित किया कि वह लंबे समय से उस मकान में रह रहा है। 20 जुलाई को अपनी ही रिपोर्ट में बताया था अवैध मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि विवेचक सुमित कुमार श्रीवास्तव ही पहले आईजीआरएस शिकायत के आधार पर मकान को सरकारी जमीन पर निर्मित बता चुके थे। 20 जुलाई को आईजीआरएस पर झूंसी निवासी अनिल कुमार वर्मा की शिकायत पर जांच के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा था कि “अशोक कुमार यादव का मकान राजकीय स्थान की भूमि पर बना है। पीडीए ने निर्माण को सील किया था। इसके बावजूद आरोपी ने निर्माण कार्य दोबारा शुरू कर दिया। जेई बोले- मुकदमा लिखा, विवेचना में क्या हुआ, जानकारी नहीं इस मामले में वादी जेई साेनू कुमार राजभर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि राजकीय आस्थान की भूमि पर हुए निर्माण को सील किया गया था। एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। विवेचना में क्या हुआ, इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। उधर शिकायतकर्ता अनिल कुमार वर्मा की ओर से इस मामले में आईजीआरएस पर शिकायत की गई है।
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