अयोध्या में एसडीएम न्यायिक के खिलाफ वकीलों का प्रदर्शन:बार एसोसिएशन ने किया सामाजिक और न्यायिक बहिष्कार
अयोध्या के मिल्कीपुर तहसील में बार एसोसिएशन ने उप जिलाधिकारी (न्यायिक) की कार्यशैली के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सामाजिक और न्यायिक बहिष्कार की घोषणा कर दी है। अधिवक्ताओं का आरोप है कि एसडीएम न्यायिक तानाशाही रवैया अपनाते हुए अधिवक्ताओं को उत्पीड़ित कर रहे हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। बार एसोसिएशन की आपात बैठक में अधिवक्ताओं ने एसडीएम की कार्यशैली पर तीखा विरोध जताया। उनका कहना था कि कोर्ट के दरवाजे बंद करके कार्यवाही करना अधिवक्ताओं के लिए असुविधाजनक है और इससे उनके पेशेवर अधिकारों पर चोट पहुंच रही है। अधिवक्ताओं ने एसडीएम की कार्यप्रणाली को तानाशाही करार दिया और कहा कि इससे न केवल अधिवक्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है, बल्कि न्याय की गरिमा पर भी असर पड़ रहा है। बैठक में उपस्थित अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि बंद दरवाजों के पीछे कार्यवाही होने से वे अपने मुवक्किलों के मामलों को प्रभावी ढंग से पेश नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने इसे पेशेवर सम्मान और अधिवक्ता समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया। बहिष्कार की रूपरेखा
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि उप जिलाधिकारी का सामाजिक और न्यायिक बहिष्कार किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि अधिवक्ता न तो एसडीएम के साथ किसी सामाजिक संपर्क में रहेंगे और न ही उनके कोर्ट में न्यायिक कार्य करेंगे। यह बहिष्कार तब तक लागू रहेगा जब तक एसडीएम का तबादला नहीं हो जाता। बार एसोसिएशन ने इसे न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और अपने सम्मान की रक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया। नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन
आपात बैठक के बाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश पांडे और मंत्री सूर्य नारायण द्विवेदी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का एक बड़ा समूह नारेबाजी करते हुए उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। प्रदर्शन में अधिवक्ता छोटेलाल रावत, हरिमोहन शंकर, दयानंद अरुण श्रीवास्तव, दिनेश कांत, शशि भूषण, संदीप शुक्ला, प्रहलाद तिवारी, शिवराज तिवारी, अमित कुमार मिश्र, हरिसरन तिवारी, जितेंद्र सिंह, अमरजीत सिंह, सतीश तिवारी सहित कई अन्य अधिवक्ता शामिल रहे। प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम की कार्यप्रणाली और अधिवक्ताओं के उत्पीड़न के खिलाफ जोरदार नारे लगाए। उन्होंने कहा कि जब तक न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं होती और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होती, तब तक बहिष्कार जारी रहेगा। न्यायिक पारदर्शिता और पेशेवर अधिकारों की मांग
अधिवक्ताओं ने यह भी साफ किया कि उनका यह कदम किसी व्यक्तिगत विरोध के लिए नहीं है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और पेशेवर अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है। उनका मानना है कि प्रशासन को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे अधिवक्ता अपने मुवक्किलों के मामलों को खुलकर और निष्पक्ष तरीके से पेश कर सकें। इस आंदोलन ने तहसील स्तर पर न्यायिक और सामाजिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस मामले में कब तक कार्रवाई करता है और एसडीएम न्यायिक के खिलाफ उठाए गए बहिष्कार को समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाता है।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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