शिमला के युग के 2 हत्यारों को उम्रकैद:हाईकोर्ट ने फांसी की सजा बदली; एक को बरी किया, पिता बोले- इंसाफ नहीं मिला, सुप्रीम-कोर्ट जाएंगे
हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड के 2 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। कोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टिकरण और दोषियों की अपील पर आज (मंगलवार को) अपना फैसला सुनाया। अब दोषी चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी पूरी उम्र जेल में रहेंगे, जबकि तेजिंदर पाल को कोर्ट ने बरी कर दिया गया है। इस मामले में विस्तृत आदेशों के लिए हाईकोर्ट के ऑर्डर का इंतजार है। युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा, उन्हें इंसाफ नहीं मिला। वह कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि, हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा- सेशन कोर्ट से फटाफट फैसला हो गया, हाईकोर्ट में 6 साल लग गए। वहीं, न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के बाद अपना फैसला रिजर्व रखा था। यह मामला सत्र न्यायाधीश शिमला ने सजा के आदेशों की कन्फर्मेशन के लिए रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट को भेज रखा था। 2018 में सत्र न्यायाधीश ने सुनाई थी फांसी की सजा बता दें कि, सत्र न्यायाधीश शिमला की कोर्ट ने 5 सितंबर 2018 को इन तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की कोर्ट ने इस अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में बताया था। इसके बाद, तीनों आरोपियों ने दोष सिद्धि के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी थी। इसमें अपीलकर्ताओं की ओर से एडवोकेट ने दोषियों के व्यवहार, उम्र और परिवार की स्थिति को देखते हुए कोर्ट से मृत्यु दंड न दिए जाने की मांग की थी। फिरौती के लिए 4 साल के युग की निर्मम हत्या बता दें कि, 14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार से तीन लोगों ने फिरौती के लिए 4 साल के बच्चे युग का अपहरण किया। अपहरण के 2 साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। आरोपियों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था। युग के पिता से मांगी साढ़े 3 करोड़ की फिरौती मासूम युग को उसके ही पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने किडनैप किया। इसमें तीन लोग शामिल थे। तीनों ने युग के पिता से साढ़े तीन करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। कोर्ट ने साढ़े 10 महीने के भीतर सुनाया था फैसला युग के अपहरण व हत्या मामले की जांच करने वाली सीआईडी ने 25 अक्टूबर, 2016 को कोर्ट में चार्जशीट में दायर की। 20 फरवरी 2017 से अदालत में ट्रायल शुरू हुआ। इसमें कुल 135 में से 105 गवाहों के बयान हुए और कोर्ट ने साढ़े 10 माह में ही सजा सुना दी थी। इस मामले में शिमला और पूरे प्रदेश में मासूम युग को न्याय दिलाने की मांग को लेकर उस दौरान प्रदर्शन हुए। जगह-जगह कैंडल लाइट जलूस निकाले गए।
Source: देश | दैनिक भास्कर
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