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दुधवा पार्क खुलते ही रंग-बिरंगी गाड़ियों से पहुंचे लोग:अब एंट्री फीस 250 रुपए, लखीमपुर में वन मंत्री बोले- सब ऑनलाइन होगा

लखीमपुर खीरी का विश्व प्रसिद्ध दुधवा नेशनल पार्क 1 नवंबर से फिर खुल गया है। सर्दी की आहट के साथ ही जंगलों में फिर से रौनक लौट आई है। हरे-भरे साल और सखुआ के पेड़ों के बीच बाघ, तेंदुआ, गैंडा और बारहसिंघा एक बार फिर पर्यटकों के स्वागत को तैयार हैं। पहले दिन शनिवार को ही दुधवा में सैलानियों का हुजूम उमड़ता देखा गया। नि:शुल्क जंगल सफारी ने रोमांच को दोगुना कर दिया। सुबह 2 घंटे में ही 100 से ज्यादा सैलानियों ने दुधवा की सैर की। उद्घाटन के पहले दिन जंगल सफारी की सभी गाड़ियां रंग-बिरंगे गुब्बारों और तिरंगे से सजी दिखीं। अब दुधवा पार्क आने वाले सैलानियों के लिए पहली शिफ्ट की जंगल सफारी पूरी तरह फ्री रहेगी। किशनपुर वन्यजीव विहार में स्कूली वाहनों के लिए कोई भी वनमार्ग शुल्क नहीं लिया जाएगा। टिकट बुकिंग से लेकर गाइड आवंटन तक सभी सेवाएं डिजिटल माध्यम से उपलब्ध होंगी। हालांकि, अब दुधवा में वन्य जीवों को देखने के लिए सैलानियों को जेब ढीली करनी होगी। इस बार पर्यटन दरों में 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ प्रवेश समेत अन्य शुल्क बढ़ गए हैं। अब आपको एंट्री के लिए 200 की जगह 250 रुपए प्रति व्यक्ति अदा करने होंगे। वन्य जीवों को कैमरे में कैद करने के लिए भी ज्यादा भुगतान करना होगा। पहले दिन दुधवा की सैर की तस्वीरें… वन मंत्री बोले- दुधवा पार्क यूपी का रत्न है प्रदेश के वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना शनिवार सुबह 8:30 बजे पूजा-अर्चना के बाद फीता काटकर दुधवा के नए पर्यटन सत्र का शुभारंभ किया। इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक रोमी साहनी, प्रमुख सचिव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन) अनिल कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा बैमुरी और विभागाध्यक्ष सुनील चौधरी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि दुधवा केवल पर्यटन का केंद्र नहीं, बल्कि प्रकृति, वन्यजीवों और मानव के बीच संतुलन की सीख देता है। यह यूपी का नेचर ज्वेल है। हमारा लक्ष्य है कि यहां आने वाला हर पर्यटक पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर जाए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में वन अधिकारी, कर्मचारी, स्थानीय लोग और पर्यटक मौजूद रहे। वन मंत्री ने ये 3 घोषणाएं कीं… 1- स्कूली वाहनों के लिए किशनपुर विहार में शुल्क माफ
वन मंत्री ने बताया कि इस वर्ष कई नई पहल की गई हैं, ताकि पर्यटन अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बन सके। किशनपुर वन्यजीव विहार में छात्रों के लिए बड़ी राहत दी गई है—अब स्कूली वाहनों से वनमार्ग शुल्क नहीं लिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि “प्रकृति शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को जंगल और वन्यजीवों के करीब लाना जरूरी है। सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।” 2- पर्यटन दरों में मामूली बढ़ोतरी, सब कुछ होगा ऑनलाइन
इस बार पर्यटन दरों में लगभग 5% की वृद्धि की गई है। पार्क का प्रवेश शुल्क ₹200 से बढ़ाकर ₹250, गैंडा दर्शन शुल्क ₹150 से ₹200 और कैमरा शुल्क ₹100 से ₹200 कर दिया गया है। अरुण सक्सेना ने बताया कि “पर्यटन को पूर्ण रूप से ऑनलाइन करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। टिकट बुकिंग से लेकर गाइड आवंटन तक सभी सेवाएं डिजिटल माध्यम से उपलब्ध होंगी, ताकि पारदर्शिता और सुविधा दोनों बनी रहें।” 3- दुधवा के प्रचार-प्रसार पर जोर
बैठक में सुहेली नदी की डिसिल्टिंग जल्द कराए जाने के निर्देश दिए गए। साथ ही, वन निगम की कॉफी टेबल बुक, पर्यटन टीजर और नई वेबसाइट का शुभारंभ भी हुआ। मंत्री ने कहा कि “दुधवा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाने के लिए प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाएगा।” इसके तहत आसपास के जिलों में आकर्षक होर्डिंग्स और साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि “दुधवा की सुंदरता और जैव विविधता को संरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है। पर्यटन विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों साथ-साथ चलेंगे।” पहले दिन ही करीब से दिखे जानवर पहले ही दिन शनिवार को वन्य जीव प्रेमियों को दुधवा पार्क में बाघ, गेंडे जैसे जानवरों को करीब से देखने का मौका मिला। शनिवार को मौसम बेहतर होने के कारण वन्य जीवों को खुले में विचरण करते देखा गया। जिसे देख सैलानी रोमांचित हो उठे। खुले जंगल में दिखेंगे चार गेंडे
इस सत्र का सबसे बड़ा आकर्षण होगा चार गेंडों का खुले जंगल में स्वच्छंद विचरण। फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजमोहन ने बताया- सैलानियों के लिए यह पहला मौका होगा जब वे जंगल के खुले हिस्से में गेंडों को चलते-फिरते देख पाएंगे। सभी गाइड और जिप्सी चालकों को सुरक्षा और अनुशासन के निर्देश दिए गए हैं। बाघों और पक्षियों की बहार
दुधवा में करीब 153 बाघ हैं, जिनमें से आधे से अधिक किशनपुर रेंज में रहते हैं। यही वजह है कि अधिकतर पर्यटक बाघों के दीदार के लिए किशनपुर को अपनी पहली पसंद मानते हैं। इसके अलावा, जंगल के तालाबों के किनारे इन दिनों सैकड़ों प्रवासी और अप्रवासी पक्षी आ चुके हैं, जो अपनी चहचहाहट से पूरे वन क्षेत्र में संगीत घोल रहे हैं। भवानी और मस्ककली बनीं स्टार अट्रैक्शन
दक्षिण सोनारीपुर रेंज के सलूकापुर क्षेत्र में पल रही एक वर्ष की भवानी और डेढ़ वर्ष की मस्ककली नाम की हथिनियां इस बार पर्यटकों की नई पसंद बनेंगी। सैलानी इन्हें फल और मिठाई खिलाकर सेल्फी ले सकते हैं। वन विभाग ने इनके चारों ओर सुरक्षा घेरे की व्यवस्था की है। ऑनलाइन बुकिंग और गेस्ट हाउस तैयार
दुधवा आने वाले पर्यटकों के लिए इस बार ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है। वीआईपी गेस्ट हाउस भी तैयार हैं। पर्यटक अब प्लास्टिक का सामान पार्क में नहीं ले जा सकेंगे। सैलानी चंदन चौकी के थारू शिल्पग्राम में जाकर उनके समाज की संस्कृति से रूबरू होंगे। थारू महिलाएं हस्तशिल्प कला के जरिए दरी, डलिया, टोपी, पर्स, गमले समेत अन्य उत्पाद बनाएंगी, जिनका स्टॉल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगा। थारू संस्कृति भी बनेगी आकर्षण
इस साल पहली बार पर्यटकों को चंदन चौकी स्थित थारू शिल्पग्राम में स्थानीय थारू समाज की संस्कृति, परंपरा, लोकगीत और वेशभूषा देखने का मौका मिलेगा। यहां पारंपरिक नृत्य और हस्तशिल्प प्रदर्शनी के माध्यम से पर्यटकों को ‘थारू जीवनशैली’ का जीवंत अनुभव कराया जाएगा। 47 जिप्सी और 90 गाइड तैनात
पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पार्क प्रशासन ने 47 जिप्सी और 90 प्रशिक्षित गाइडों की तैनाती की है। गाइडों को बारीकी से यह प्रशिक्षण दिया गया है कि वे पर्यटकों को वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में बिना व्यवधान पहुंचाए सफारी का रोमांच दे सकें। सुबह 6.30 से सूर्यास्त तक खुलेगा पार्क दुधवा पार्क सुबह 6:30 बजे से सूर्यास्त तक खुला रहेगा। सर्दियों में दिन छोटा होने के कारण समय एक घंटे बढ़ाया जा सकता है। वन विभाग के पास 47 सफारी गाड़ियां हैं, जबकि टूरिज्म विभाग की 15 गाड़ियां पंजीकृत की जा चुकी हैं। गाड़ियों की यह संख्या भविष्य में बढ़ सकती है। वन निगम की ओर से पर्यटकों के ठहरने के लिए 14 डबल बेड थारू हट्स और 25 डॉरमेट्री (10 महिलाओं और 15 पुरुषों के लिए) उपलब्ध हैं। इनकी बुकिंग ऑनलाइन इको-टूरिज्म की आधिकारिक वेबसाइट पर की जा सकती है। पिछले सत्र में घूमने आए 57 हजार से ज्यादा सैलानी पिछले सत्र में 57 हजार से अधिक सैलानियों ने दुधवा नेशनल पार्क का भ्रमण किया था। इससे विभाग को लगभग 1 करोड़ 86 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। पिछले साल जंगल सफारी के लिए जिप्सी का किराया 1850 और गाइड शुल्क 500 रुपए था। इस साल की नई शुल्क सूची अभी जारी नहीं की गई है। दुधवा में हाथी सफारी, जंगल ट्रैकिंग और दुर्लभ वन्यजीवों का नजदीकी अनुभव इस साल भी पर्यटकों को आकर्षित करेगा। पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए वन्यजीवों के करीब जा सकेंगे। दुधवा में पक्षी की 450 प्रजातियां दुधवा नेशनल पार्क में स्तनधारियों की 38 से अधिक प्रजातियां, सरिसृपों की 16 प्रजातियां और पक्षियों की असंख्य प्रजातियां पाई जाती हैं। मुख्य जानवरों में बाघ, तेंदुआ, गैंडा, हाथी, सांभर, बारहसिंगा, चीतल, काकड़, जंगली सूअर, भालू, अजगर, मगरमच्छ और घड़ियाल शामिल हैं। यह पार्क भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले पक्षियों की 450 से अधिक प्रजातियों का भी घर है। कुछ प्रमुख प्रजातियों में हॉर्नबिल, लाल जंगली मुर्गी, पी फाउल, फिशिंग ईगल, सर्पेंट ईगल, ऑस्प्रे, पैराडाइज फ्लाईकैचर, वुडपेकर, शमा और इंडियन पिटा शामिल हैं। सर्दियों के दौरान, यह क्षेत्र बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है। —————————————————— ये खबर भी पढ़िए… उपराष्ट्रपति बोले- गंगा स्नान करके मैंने मांस खाना छोड़ दिया:धर्म को कुछ समय के लिए ही संकट; काशी में बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन शुक्रवार को पहली बार वाराणसी पहुंचे। उन्होंने नाटकोटक्षेत्रम की नट्टुकोट्टई धर्मशाला का तोहफा काशी के लोगों को दिया। ये धर्मशाला सिगरा में बनकर तैयार हुई है। इस दौरान उन्होंने कहा- मैं 25 साल पहले काशी आया था, वो शायद साल 2000 था, तब मैं मांस खाता था, यहां गंगा मइया में स्नान करने करने के बाद मन के भाव ऐसे बदले कि मैं शाकाहारी बन गया, फिर कभी मांस को हाथ नहीं लगाया। पढ़िए पूरी खबर…


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