श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा आयोजित द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तीसरे दिन अंगद टीला समारोह मंच पर उत्कृष्ट कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। स्थानीय व पास पड़ोस के कवियों ने श्रृंगार रस, वीर रस, हास्य व्यंग व गीत विधा के माध्यम से विश्व शांति के लिए श्रीराम के जीवन का अनुसरण ही एक मात्र मार्ग बताया।
हाथरस की उन्नति भारद्वाज ने अपने भाव प्रस्तुत करते हुए कहा “श्राप वरदान धार प्रकटे प्रकाश पुंज, कौशल्या के प्यारे प्यारे श्रीराम हैं| विद्या गुरु से पाए ताड़का उद्धार कियो, कौशिक मुनि की बने ढाल श्रीराम हैं। ” श्रृंगार रस के धनी लखीमपुर खीरी के नवल सुधांशु ने श्रीराम को अपने भाव प्रस्तुत करते हुए कहा “दस दिशाओं से सबकी शुभेच्छा मिली, हर नयन को असीमित प्रतीक्षा मिली| माद था पीर थी किंतु संग राम थे, थी हमारी तो हमको अयोध्या मिली।” हरदोई के मृत्युंजय शुक्ल ने ओज व हास्य छंद में कहा ” ऐसे धूर्त कपटी निर्लज्ज है मलेच्छन को, मारि-मारि लात भेज देओ पाकिस्तान को।” वीर रस के ओजस्वी कवि सुल्तानपुर के अभिमन्यु तरंग ने पढ़ा “जहां अनादर वयो वृद्धि का विषय बुढ़ापा हो जाता, वहां विनाश सुनिश्चित समझो वो घर पनप नहीं पता|” इसी क्रम में प्रतापगढ़ के लवलेश यदुवंशी ने भी अपने वीर रस के भाव व्यक्त करते हुए कहा “अयोध्या संस्कृति के फिर हंसी पैगाम आए हैं, यहां मंदिर के पूजन से ही चारों धाम आए हैं। खिलाफत करने के पहले विरोधी सोच लेना तुम, कई कुर्बानियां दीं तब प्रभु श्री राम आए हैं|” रायबरेली के सौरभ शुक्ला ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा ” राघव का अनुयाई यह मन हो जाए मेरी कविताएं मेरा धन हो जाए तुलसी जैसे भाव हमारे हो जाए मानस की चौपाई जीवन हो जाए।” स्थानीय ओज और श्रृंगार की कवित्री ज्योति तिवारी ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा “जागरण है धर्म का क्षण-क्षण में संगीत है, जय श्री राम के उद्घोष से बेला हुई पुनीत है| संकल्प से सिद्धि का पूर्ण मिला परिणाम है, धर्म ध्वजा लहराय उठी हुई सत्य की जीत है||” गोंडा के वीर रस के कवि चंदन रूद्र ने पढ़ा ” कौशल्या नंदन मर्यादा की जीवित एक कला को, अपनी आंखों से देखा है अपने रामलला को।” लखनऊ की सोनी राजकुमारी ने श्रृंगार रस में पढ़ते हुए कहा “शबरी की कुटिया में राम जी का आगमन, असुवन से चरणों को धोये श्रीराम के|” रायबरेली के उत्कर्ष उत्तम ने हास्य पढ़ते हुए कहा ” भक्तों के दुख के हर्ता सुख के धाम आ गए, बसते जो रोम रोम पवन नाम आ गए। जिनसे हमारा गौरव आदर्श हम सभी के, हम सबकी की आस्था, प्रभु श्री राम आ गए||” इसके अलावा नादान कौशल, रवि तिवारी, रूचि व अभिषेक ठाकुर ने भी काव्य पाठ किया। मंच संचालन नवल सुधांशु ने किया| कार्यक्रम में ट्रस्ट महासचिव चम्पतराय, डॉ अनिल मिश्र, गोपाल, सयोजक रामशंकर टिन्नू, धनंजय पाठक, जगदीश मित्तल, मौजूद रहे।
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