MP में बने सहारनपुर के 15 मुस्लिमों के ड्राइविंग लाइसेंस:इनके बांग्लादेशी होने का शक, बिना दस्तावेज जांचे बनाए; अफसरों को ‘विजय’ की तलाश
मध्यप्रदेश परिवहन विभाग के अफसरों को विजय नाम के शख्स की तलाश है। हालांकि, अफसरों को ये तक नहीं पता कि ये विजय आरटीओ का कर्मचारी है या फिर कोई एजेंट। इसकी तलाश इसलिए की जा रही है क्योंकि इसने उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के रहने वाले 15 मुस्लिमों के ड्राइविंग लाइसेंस बना दिए हैं। ये सारे लाइसेंस इंदौर आरटीओ से बने हैं। मामले में संदिग्ध बात ये है कि सारे लाइसेंस बनाने में एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल हुआ है। इन सभी आवेदकों की बैकलॉग एंट्री सहारनपुर में हुई थी। वहां से 13 लोगों ने इंदौर आरटीओ में नाम और पता अपडेट करने के लिए आवेदन किया था। अफसरों को शक है कि ये बांग्लादेशी हो सकते हैं, जिन्होंने भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया हो। पढ़िए, रिपोर्ट… 15 बैकलॉग एंट्री, 13 के लाइसेंस इंदौर से जारी हुए
परिवहन विभाग के सूत्रों ने भास्कर को एक लिस्ट दी। परिवहन विभाग के रिकॉर्ड वाली इस सूची में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 15 बैकलॉग एंट्री के नंबर दर्ज हैं। इन बैकलॉग नंबरों में से पहले दो राजस्थान के जोधपुर आरटीओ भेजे गए, जबकि बाकी सभी एमपी के इंदौर आरटीओ में अपडेट किए गए हैं। इन आवेदनों को देखने में एकबार में यह सामान्य प्रक्रिया दिखती है, लेकिन ये एक बड़ा फर्जीवाड़ा है। 5 पॉइंट्स में जानिए, कैसे हुआ फर्जीवाड़ा हजारों फर्जी लाइसेंस बनाए जाने का दावा
परिवहन विभाग ने बैकलॉग एंट्री पर बने लाइसेंस की पड़ताल की तो पाया कि इंदौर और उज्जैन में पिछले छह महीने में 100 से ज्यादा लाइसेंस बने हैं। सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप खंडेलवाल बताते हैं- यह केवल दो जिलों का चंद महीनों का आंकड़ा है। मुझे परिवहन विभाग के ही एक सूत्र ने बताया कि प्रदेश में पिछले 4 साल से यह खेल चल रहा है। ऐसे में फर्जी लाइसेंस का ये आंकड़ा इससे भी ज्यादा है। खंडेलवाल के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और उत्तर-पूर्व राज्यों से भी लोगों ने बड़ी संख्या में बोगस बैकलॉग एंट्री और एमपी के भ्रष्ट सिस्टम का फायदा उठाकर फर्जी लाइसेंस बनवाए हैं। ऐसे में देश विरोधी लोगों के लाइसेंस बनने की भी आशंका है। केवल आरटीओ के लॉगिन से अप्रूवल के पावर
ये खुलासा होने के बाद परिवहन विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। गड़बड़ी पाए जाने पर लाइसेंस शाखा देख रहे बाबुओं से पूछताछ शुरू हो गई है। मगर, जानकार जांच की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठा रहे हैं। नियमों के अनुसार एनआईसी का स्टेट एडमिन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को बनाया गया है। स्टेट एडमिन ने बाहरी राज्यों के लाइसेंस के रिन्युअल से लेकर अपडेट के पावर केवल आरटीओ की आईडी पर ही दिए हैं। ऐसे में आरटीओ की आईडी से अप्रूवल के बिना आगे की प्रोसेस हो ही नहीं सकती। इस लिहाज से देखा जाए तो असल जिम्मेदारी आरटीओ की है। अधिकारी बोले- जांच करा रहे हैं
डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्रर किरण शर्मा ने अपने सिस्टम पर लिस्ट की पूरी जांच की। उन्होंने कहा कि लिस्ट की दो बैकलॉग एंट्री को जोधपुर में ट्रांसफर किया गया, बाकी 13 इंदौर में बने हैं। खबर पर आप अपनी राय यहां दे सकते हैं… ये खबर भी पढ़ें… लाइसेंस के लिए फर्जी आधार, 3 कार्ड पर पता अलग-अलग न लर्निंग लाइसेंस बनवाने की जरूरत, न ड्राइविंग टेस्ट देने का झंझट। बस एक ऑनलाइन फोटो, कुछ फर्जी दस्तावेज…और आपके हाथ में होगा एक असली ड्राइविंग लाइसेंस, जो भारत के किसी भी कोने में मान्य होगा। मप्र के आरटीओ यानी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय इसी तरह बिना जांच पड़ताल के फर्जी लाइसेंस जारी कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
Source: देश | दैनिक भास्कर
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