लखनऊ में समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत कोर्स-को-आर्डिनेटर (आउटसोर्सिंग) की नियुक्तियों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जीवाड़े के खिलाफ की गई शिकायत की जांच के बाद खुलासा हुआ। जांच में चयन प्रक्रिया को मानकों के विपरीत पाया गया। जिसके बाद आउटसोर्सिंग फर्म अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक आनंद कुमार सिंह ने बताया कि 29 अक्टूबर को कोर्स-को-आर्डिनेटर (आउटसोर्सिंग) की नियुक्तियों में फर्जीवाड़े की शिकायत मिली। जिसके बाद 7 नवंबर 2025 को मामले की जांच एक अधिकारी को सौंपी गई। जांच अधिकारी ने उपलब्ध साक्ष्यों और अभिलेखों के आधार पर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपी। 69 में से सिर्फ 21 अभ्यर्थी निकले पात्र जांच में सामने आया कि कोर्स-को-आर्डिनेटर (आउटसोर्सिंग) पद के लिए कुल 69 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। इनमें से 65 अभ्यर्थियों के संबंध में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज से पीसीएस मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने की सत्यापन सूची प्राप्त हुई। चार अन्य अभ्यर्थियों की जानकारी निदेशालय समाज कल्याण द्वारा दी गई। जांच में पाया गया कि 69 में से केवल 21 अभ्यर्थी ही पात्र थे, जबकि बाकी अभ्यर्थी पात्रता पूरी नहीं करते थे। पीसीएस मेन पास न करने वालों की भी नियुक्ति जांच में सामने आया कि पात्रता शर्तों के विपरीत ऐसे अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दी गई, जिन्होंने पीसीएस मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी। इसके लिए कूटरचित और फर्जी अभिलेख तैयार कराए गए। जांच में सामने आया कि भर्ती करने वाली फर्म अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड ने नियमों की अनदेखी करते हुए अपात्र अभ्यर्थियों को कोर्स-को-आर्डिनेटर के पद पर नियुक्त कराया। जांच के बाद गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। इंस्पेक्टर गोमतीनगर बृजेश चंद्र तिवारी का कहना है कि मुकदमा दर्ज करके जांच की जा रही है।
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