बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के साथ कथित अत्याचार और हिंसा की घटनाओं के विरोध में बुधवार, 31 दिसंबर को प्रयागराज स्थित सुभाष चौराहे पर मुस्लिम बुद्धिजीवी समुदाय के लोगों द्वारा प्रदर्शन किया गया और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस का पुतला दहन किया गया। कार्यक्रम शाम 4 बजे आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शामिल होकर घटनाओं पर दुःख व्यक्त किया और विरोध दर्ज किया। समाजसेवी अशफाक उल्ला खान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इससे पहले 27 दिसंबर को लखनऊ विधानसभा के बाहर भी बांग्लादेश सरकार के विरोध में पुतला दहन किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक रूप से सहयोगपूर्ण रहे हैं और वर्ष 1971 के बांग्लादेश निर्माण में भारतीय हिंदू–मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान बांग्लादेश सरकार के सत्ता में आने के बाद से वहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हिंसक घटनाओं और उत्पीड़न में वृद्धि देखी जा रही है। अशफाक उल्ला खान ने बांग्लादेश में हाल में सामने आए कथित हत्या, आगजनी और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामलों को लेकर चिंता जताई और कहा कि इन घटनाओं ने भारतीय समाज को विचलित किया है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में विरोध के दौरान यह घोषणा की गई थी कि विरोध–श्रृंखला विभिन्न शहरों के माध्यम से आगे बढ़ाई जाएगी, ताकि संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे। इसी क्रम में प्रयागराज में प्रदर्शन किया गया। उन्होंने बताया कि आगे काशी, पटना और पश्चिम बंगाल के मार्ग से होकर एक प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश सीमा तक जाने की योजना बना रहा है, जहां सीमा क्षेत्र में भी प्रतीकात्मक पुतला दहन के माध्यम से विरोध दर्ज कराया जाएगा। साथ ही उन्होंने मांग रखी कि यदि प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस शांति का संदेश देने में असफल हो रहे हैं, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त शांति–सम्मान लौटाना चाहिए। कार्यक्रम शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुआ। प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से अपील करते हुए कहा कि भारत, एक मित्र राष्ट्र होने के नाते, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा मुद्दे पर कूटनीतिक पहल करे।
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