फेसबुक के जरिए युवक से दोस्ती कर 2.50 करोड़ की ठगी करने वाले सात साइबर ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी लोगों से रकम हड़पने के बाद क्रिप्टो करेंसी के जरिए कंबोडिया में बैठे ठगों को भेजते थे। कंबोडिया से ठगी की रकम का 8 प्रतिशत आरोपियों के खातों में आती थी। पीड़ित से ठगी करने के बाद कानपुर के 96 बैंक खातों में रकम गई थी। जांच में सामने आया कि ठगी की रकम को क्रिप्टो करेंसी के जरिए ट्रांसफर कर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से खातों में ट्रांसफर किया जाता था। क्राइम ब्रांच ने कानपुर के रहने वाले छह और प्रयागराज के एक हैंडलर को अरेस्ट कर जेल भेज दिया अब जानिए पूरा प्रकरण चकेरी थानाक्षेत्र में रहने वाले राहुल केसरवानी ने 17 दिसंबर 2025 को पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल को बताया कि एक अज्ञात महिला ने उनको विश्वास में लेते हुए deepgtp-india.vip के माध्यम से एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ लिया। जून 2024 से दिसंबर 2024 तक उनके साथ 2.50 करोड़ रुपये की ठगी यूपीआई, कैश, neft. rtgs के माध्यम से लिया गया। पीड़ित ने पुलिस कमिश्नर को बताया कि लड़की ने उससे दोस्ती करने के बाद कहा कि वह पहले बहुत गरीब थी, लेकिन वह अमीर हो गई। अगर अमीर होना चाहते हो तो कुछ इनवेस्ट करिए, लड़की ने एक एपीके फाइल भेजकर पीड़ित के खाते की सारी जानकारी ले ली। अमीर बनने की चाहत में पीड़ित ने 10 लाख रुपये पहली बार में इनवेस्ट कर दिए। पीड़ित को 2 से 4 हजार रुपये की वापसी होने पर विश्वास हो गया। युवती के फोन आने पर पीड़ित ने कहा कि अब उसके पास पैसे खत्म हो गए हैं। इस पर लड़की ने कहा कि वह उनकी दोस्त है, उनकी तरफ से 50 लाख रुपये इनवेस्ट किए दे रही है। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि 50 लाख जमा होने के बाद उनके खाते में 76 लाख रुपए दिखने लगे, जिससे उन्हें विश्वास हो गया। पीड़ित ने रुपये लोन लेकर भी इनवेस्ट कर दिए, इसके बाद लोगों से चर्चा करने पर उन्हें अपने साथ हुई ठगी का पता चला। पिता को कर्नल बताकर धमकाया पीड़ित ने पुलिस को बताया उसके इनवेस्टमेंट बंद करने पर युवती ने उसे धमकाते हुए कहा कि रुपये अकाउंट में डालो नहीं तो मेरे पिता कर्नल हैं, मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगी। घबराते हुए पीड़ित ने लोन लेकर कुछ रुपये और डाल दिए। कर्नल पिता ने पीड़ित से कहा कि कानपुर में एक सीनियर पुलिस ऑफिसर उनके दोस्त हैं, अगर ज्यादा चूं-चपड़ की तो जेल भिजवा दूंगा। इसके बाद से पीड़ित ने उधार लेकर और रिश्तेदारों से भी रुपये लेकर ठगों के अकाउंट में डाल दिए। बहुत हिम्मत बांधकर पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल के पास पहुंचा। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर केस दर्ज किया गया। इस तरह से हुआ खुलासा डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि सारी रकम 96 खातों में डाली गई थी। जानकारी करने पर पता चला कि सारे 96 अकाउंट म्यूल अकाउंट हैं। क्राइम ब्रांच की टीम इस ठगों की तलाश में जुटी थी, कि इसी बीच खातों से निकला रुपया फिर घूमता हुआ इन्हीं खातों में आ गया। क्राइम ब्रांच की टीम पहले से ही एक्टिव थी और सात लोगों को अरेस्ट कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि कानपुर के खातों से रकम यूएसटीडी में बदलती थी। इसके बाद यूएसटीडी को कम्बोडिया में बैठे गैंग लीडर के पास भेज दिया जाता था। डीसीपी क्राइम ने बताया कि कानपुर में म्यूल अकाउंट खुलवाने वाले को 4 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था, जबकि चार प्रतिशत कमीशन हैंडलर्स का होता है। कानपुर में स्कैमर्स के दूसरे हैंडलर्स की जानकारी भी पुलिस को मिली है, जिस पर क्राइम ब्रांच काम कर रही है। कानपुर के हैडलर ही प्रयागराज के हैंडलर को ऑपरेट कर रहे थे। ये आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आए बाबूपुरवा निवासी ओसामा, जाजमऊ निवासी मो. आरिफ, बाबूपुरवा निवासी मो. यूसुफ, ईसाई मैदान बाबुपुरवा निवासी सावेज, बाबूपुरवा निवासी मो. फैज, प्रयागराज के करेली जीटीबी नगर निवासी अल हुमैद, फीलखाना के चटाई मोहाल निवासी मों बिलाल. इनके पास से 8 मोबाइल, 42 बैंक पासबुक, 10 एटीएम कार्ड, 10 पैन काडर्, 3 चेकबुक, 1 लैपटॉप, 15 फोटो पहचान पत्र बरामद किए गए हैं।
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