लखनऊ में शिया धर्म गुरु मौलाना सैफ अब्बास ने बरेली के मौलाना सहाबुद्दीन के फतवे पर नाराजगी जताई। मौलाना सैफ ने कहा कि नया साल मनाने को लेकर जो बरेली के मौलाना ने फतवा दिया है वह बिल्कुल गलत है उन्हें फतवा देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अपनी बात को शरियत का नाम नहीं देना चाहिए। मौलाना सैफ अब्बास ने बयान देते हुए कहा कि बरेली के मौलाना सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए उल्टे सीधे बयान देते हैं। यह बयान सस्ती लोकप्रियता को दर्शाता है । उनका बयान हमेशा समाज को बांटने वाला ही क्यों होता है। नया साल मानना है या नहीं इसको लेकर इस्लाम धर्म में कुछ नहीं कहा गया है । हर इंसान की अपनी मर्जी है वह नया साल मनाए या नहीं। मौलाना जो बात कह रहे हैं की न्यू ईयर पार्टी में शराब पिया जाता है नशा होता है तो आज के दौर में प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म से अच्छी तरह से अवगत है उसे मालूम है हमें क्या करना है और क्या नहीं। मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि इस प्रकार के बयानों से बचना चाहिए जो समाज में फूट डाले। जनता जागरुक है उसे मालूम है क्या करना चाहिए और क्या नहीं । हर जगह कंट्रोवर्सी नहीं पैदा करनी चाहिए और ना ही ऐसा बयान देना चाहिए जो अनावश्यक चर्चा का मुद्दा बने। नया साल सेलिब्रेट करना या न करना प्रत्येक मुसलमान की अपनी इच्छा है इसमें शरियत की तरफ से कोई निर्देश जारी नहीं है। मौलाना ने कहा कि कुछ चीज सामाजिक होती है । मौलाना शहाबुद्दीन उलटे सीधे ब्यान के जरिए सुर्खियों में बने रहने की कोशिश करते हैं । उनका यह तरीका बेहद गलत है । मुसलमान भी इनके ब्यान को गंभीरता से नहीं लेते।
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