उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने परिवहन व्यवस्था में व्याप्त समस्याओं और फिटनेस केंद्रों के निजीकरण के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा। मंडल ने बताया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Morth) ने हाल ही में प्रत्येक जिले में तीन-तीन फिटनेस सेंटर खोलने के निर्देश जारी किए हैं। यह कदम पारदर्शिता और सेवा में सुधार के लिए सराहनीय है। हालांकि, वर्तमान में अधिकांश जिलों में केवल एक ही फिटनेस सेंटर संचालित हो रहा है। इस एक फिटनेस सेंटर के कारण वाहन मालिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनसे अनावश्यक शुल्क की मांग की जा रही है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। व्यापारियों ने सरकार के परिवहन विभाग में फिटनेस प्रक्रिया को निजी संस्थाओं के हाथों में सौंपने के निर्णय का कड़ा विरोध किया। ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन की मांग है कि ट्रकों के फिटनेस के लिए परिवहन विभाग में कम से कम तीन या चार संभागीय निरीक्षक अधिकारियों की व्यवस्था की जाए। ट्रक मालिकों से मनमाने ढंग से पैसे वसूल रहे मंडल ने आरोप लगाया कि कुछ जिलों में निजी संस्थाओं द्वारा फिटनेस की जा रही है, जहां वे ट्रक मालिकों से मनमाने ढंग से पैसे वसूल रहे हैं और उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। ज्ञापन में मांग की गई है कि निजी फिटनेस सेंटर शुरू होने के बावजूद सरकारी फिटनेस सेंटरों को बंद न किया जाए। सभी सेंटरों की नियमित निगरानी की जानी चाहिए और एक हेल्पलाइन नंबर या पोर्टल शुरू किया जाना चाहिए, जहां वाहन मालिक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जिले में एक स्थायी निरीक्षण समिति गठित करने की भी मांग की गई है। इस समिति में जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और स्थानीय व्यापारियों से संबंधित दो व्यक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए। मंडल का मानना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, वाहन मालिकों को राहत मिलेगी और भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण होगा। व्यापार मंडल ने उम्मीद जताई कि प्रशासन उनकी मांगों पर गंभीरता से संज्ञान लेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा।
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