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सांसद तनुज पुनिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश:निर्वाचन आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया पर स्थिति साफ की

बाराबंकी से सांसद तनुज पुनिया द्वारा उत्तर प्रदेश में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। इस याचिका में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान कथित त्रुटियों, अस्पष्टताओं और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर आशंकाएं व्यक्त की गई थीं, जिनमें गलत नाम विलोपन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर संभावित नकारात्मक प्रभाव शामिल थे। याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर 2025 को अपने आदेश (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 1129/2025 एवं अन्य संबद्ध मामले) के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने की अनुमति दी। न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह प्राप्त अभ्यावेदनों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे और जमीनी हकीकत तथा सभी प्रासंगिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए 31 दिसंबर 2025 तक उचित निर्णय ले। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, भारत निर्वाचन आयोग ने सांसद तनुज पुनिया द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में प्राप्त अभ्यावेदनों पर विचार किया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश में एसआईआर की समय-सारिणी को पहले ही संशोधित किया जा चुका है। गणना (एन्यूमरेशन) चरण को तीन सप्ताह के लिए बढ़ाया गया था, जिसका आदेश 30 नवंबर 2025 को जारी किया गया था। आयोग के अनुसार, राज्य में कुल अनुमानित मतदाताओं के मुकाबले बड़ी संख्या में गणना प्रपत्र प्राप्त हुए हैं। निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद जिन नागरिकों के नाम सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं, उन्हें दावे और आपत्तियां दर्ज करने का पूरा अवसर दिया जाएगा। आयोग के मुताबिक, 31 दिसंबर 2025 से 21 फरवरी 2026 तक का समय दावे और आपत्तियों के निस्तारण के लिए निर्धारित किया गया है, जिसे निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी संपादित करेंगे। साथ ही, राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों की भूमिका भी इस प्रक्रिया में सुनिश्चित की गई है, ताकि किसी भी मतदाता का नाम अनावश्यक रूप से न हटे।


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