सीवान में नाईट पोस्टमॉर्टम को लेकर प्रशासन ने एक अहम और दूरगामी असर वाला फैसला लिया है। अब रात में पोस्टमॉर्टम कराने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं होगा। जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश के बाद यह पुरानी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, जिससे प्रशासनिक और स्वास्थ्य महकमे में हलचल तेज हो गई है। जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पहले रात्रि पोस्टमॉर्टम के लिए डीएम की स्वीकृति आवश्यक मानी जाती थी, लेकिन सक्षम स्तर पर विचार-विमर्श के बाद इस बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। आदेश में साफ शब्दों में कहा गया है कि “अब रात्रि में पोस्टमॉर्टम के लिए डीएम की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।” पोस्टमॉर्टम को लेकर अनुमति का प्रश्न खड़ा हुआ था बताया जा रहा है कि यह आदेश थाना मुफस्सिल से जुड़े एक मामले के संदर्भ में सामने आया है। दरअसल, 12 दिसंबर 2025 को रात्रि में पोस्टमॉर्टम को लेकर अनुमति का प्रश्न खड़ा हुआ था, जिसके बाद नियमों की समीक्षा की गई और प्रशासनिक स्तर पर बड़ा निर्णय लिया गया। डीएम की अनुमति का इंतजार करने से पोस्टमॉर्टम में देरी प्रशासन का मानना है कि इस बदलाव से जांच प्रक्रिया में तेजी आएगी। कई मामलों में डीएम की अनुमति का इंतजार करने से पोस्टमॉर्टम में देरी हो जाती थी, जिससे न सिर्फ जांच प्रभावित होती थी, बल्कि मृतक के परिजनों को भी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता था। नए नियम के तहत अब शव जैसे ही पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचेगा, उसी समय प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। रात्रि में पोस्टमॉर्टम एक अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया हालांकि, इस फैसले को लेकर कुछ गंभीर सवाल भी उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रात्रि में पोस्टमॉर्टम एक अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसके लिए पर्याप्त फोरेंसिक संसाधन, अनुभवी चिकित्सक और स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) होना जरूरी है। यदि इन बातों का पालन नहीं हुआ तो जांच की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। पोस्टमॉर्टम हाउस की सुविधाएं सीमित स्थानीय स्तर पर यह चर्चा भी जोरों पर है कि जिले में पहले से ही पोस्टमॉर्टम हाउस की सुविधाएं सीमित हैं और स्टाफ की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में डीएम की अनुमति जैसी निगरानी व्यवस्था हटने से जवाबदेही तय करना कठिन हो सकता है। डीएम के आदेश की बाध्यता स्वयं जिलाधिकारी द्वारा समाप्त कर दी गई इस पर सिविल सर्जन डॉ. श्रीनिवास प्रसाद ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि रात्रि पोस्टमॉर्टम के लिए डीएम के आदेश की बाध्यता स्वयं जिलाधिकारी द्वारा समाप्त कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अब दिन हो या रात, जैसे ही पोस्टमॉर्टम के लिए शव आएगा, तुरंत प्रक्रिया पूरी की जाएगी। साथ ही पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दिन और रात में होने वाले सभी पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है। कुल मिलाकर, यह फैसला जहां एक ओर जांच प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर प्रशासन के सामने नई चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं।
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