बरेली। समाजवादी पार्टी ने बुधवार को केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए मानवाधिकार संरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। पार्टी की नेत्री और समाजसेविका समयुन खान के नेतृत्व में सपा कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम पांच सूत्रीय ज्ञापन एडीएम सिटी को सौंपा। ज्ञापन में पड़ोसी देशों और भारत के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई। समयुन खान ने कहा कि बांग्लादेश में हाल की घटनाएं मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। उन्होंने जोर दिया कि धार्मिक पहचान के आधार पर हिंसा किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत में भी कुछ तत्व सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए। केंद्र सरकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय भूमिका न निभाने का आरोप लगाया गया। सपा नेताओं ने कहा, “विदेश मंत्रालय को केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि संरक्षित समुदायों की सुरक्षा के लिए ठोस कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए।” पार्टी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही, भारत में कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करते हुए धार्मिक कट्टरता फैलाने वाले संगठनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग उठाई गई। सपा कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बेटी को भारत में दिए गए आश्रय पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मांग की कि उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए। कार्यकर्ताओं का कहना था कि भारत की विदेश नीति को “पक्षपाती” दिखने से बचाने के लिए संतुलन और पारदर्शिता आवश्यक है। समयुन खान ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, “किसी भी निर्दोष की जान जाती है, तो वह इंसानियत की हार है, चाहे वह भारत में हो या बांग्लादेश में।” इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में सपा कार्यकर्ता शामिल रहे। इनमें सूरज यादव, सतीश यादव, नामी शरण, मनोज कुमार, हरवीर गुर्जर, नोशाद, मुकेश, सुभाष गुर्जर, अमर काले बाल्मीकि, नीरज बाल्मीकि, अमरीश यादव, रणधीर यादव, विनोद यादव और रितिक यादव प्रमुख थे।
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