राज्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार गढ़वाल सोमवार को बक्सर पहुंचे। उन्होंने यहां ऐतिहासिक स्थलों का निरीक्षण किया और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ अनुसूचित जनजाति से जुड़े लंबित मामलों की समीक्षा की। बक्सर पहुंचने पर उनका स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम लोगों ने स्वागत किया। बक्सर पहुंचने के बाद अध्यक्ष गढ़वाल ने सबसे पहले चौसा स्थित ऐतिहासिक शेरशाह सूरी–हुमायूं युद्धस्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान एसटी आयोग के सदस्य राजू खरवार भी उनके साथ थे। उन्होंने चौसा में पारंपरिक लिट्टी-चोखा के मैत्री भोज में भी हिस्सा लिया, जहां स्थानीय लोगों से सीधा संवाद कर क्षेत्र की समस्याओं और संभावनाओं को समझा। गढ़वाल ने कहा कि आयोग का लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और अधिकार पहुंचाना है। शैलेंद्र गढ़वाल ने बक्सर को वीरों की भूमि बताया मीडिया से बातचीत में शैलेंद्र गढ़वाल ने बक्सर को वीरों की भूमि बताया। उन्होंने कहा कि यहां कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिन्हें संजोने और विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से 1539 में शेरशाह सूरी और मुगल शासक हुमायूं के बीच हुए चौसा युद्ध का उल्लेख किया। यह स्थल कर्मनाशा और गंगा नदी के संगम पर, बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। गढ़वाल ने सुझाव दिया कि यदि इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए, तो पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। उद्देश्य केवल कार्यालयों में बैठकर काम करना नहीं अध्यक्ष गढ़वाल ने स्पष्ट किया कि एसटी आयोग का उद्देश्य केवल कार्यालयों में बैठकर काम करना नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर समस्याओं को समझना और उनका समाधान निकालना है। उन्होंने बताया कि बक्सर जिले में अनुसूचित जनजाति से जुड़े कई मामले लंबे समय से लंबित हैं। आयोग ने पिछले सात महीनों में पत्र भेजे और 11 महीनों तक रिमाइंडर भी दिया, लेकिन अपेक्षित प्रगति नहीं हुई। इसी कारण वे स्वयं बक्सर पहुंचे हैं, ताकि अधिकारियों के साथ बैठक कर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इसी वर्ष 2 जून को पदभार ग्रहण किया एसटी समुदाय के बीच जागरूकता बढ़ाने को लेकर पूछे गए सवाल पर शैलेंद्र गढ़वाल ने कहा कि उन्होंने इसी वर्ष 2 जून को पदभार ग्रहण किया है। चुनाव के कारण कुछ समय कार्य प्रभावित रहा, लेकिन अब चुनाव के बाद वे लगातार बिहार के आदिवासी क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई आदिवासी लोगों को अपने अधिकारों और आयोग की भूमिका की जानकारी नहीं है। आयोग का प्रयास है कि सीधे लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनी जाएं और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी भी स्तर पर मामलों को दबाने या अपने तरीके से चलाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समस्याएं सामने आएंगी तो उन्हें लिखित रूप में दर्ज कर समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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