राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 3 दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। उन्होंने रायपुर के एम्स ऑडिटोरियम में युवा संवाद कार्यक्रम में अरावली पर्वत को लेकर कहा कि वर्तमान में दुनिया केवल दो ही कॉन्सेप्ट पर चल रही है। या तो उजाड़ दो या बना दो। उन्होंने कहा कि या तो जंगल काटकर विकास कर लो, या जंगल बचाकर विकास रोक दो। हमें बीच का रास्ता निकालना होगा, जिसमें जंगल भी बचे रहें और विकास भी हो। मौजूदा समय में इस दिशा में केवल भारत ही काम कर रहा है। दूसरे देश न तो इस बात पर गंभीरता से सोच रहे हैं कि जंगल भी बचें और विकास भी हो सके। धर्मांतरण को लेकर कहा कि अपने ही लोगों पर अविश्वास, मतांतरण का एक बड़ा कारण है। अगर अपने लोगों पर दोबारा विश्वास स्थापित हो जाए तो लोग स्वयं ही घर वापसी करने लगेंगे। इसके लिए हमारे लोगों को उनके पास जाना पड़ेगा, उनके दुख-सुख में शामिल होना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोगों को मतांतरण कर चुके लोगों को सम्मान और प्रेम देना चाहिए। उनके मन से अपने समाज के प्रति हीन भावना दूर करनी होगी। धर्मांतरण कर चुके लोगों को यह समझाना होगा कि हम उनके साथ खड़े हैं। हमें ऐसा प्रयास करना होगा कि वे पिछड़ेपन से आगे बढ़ सकें। कई मंदिर निजी और कई सरकारी हैं- मोहन भागवत मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश में अलग-अलग संप्रदाय हैं और अलग-अलग लोग हैं। कई मंदिर निजी हैं और कई मंदिर सरकारी हैं। दोनों ही व्यवस्थाओं में अव्यवस्थाएं मौजूद हैं। अब लोगों के ध्यान में यह बात आ रही है कि मंदिरों को अपने अधीन लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और याचिका दायर करनी चाहिए। मंदिर जिनके हैं, उनके ही अधीन होने चाहिए। इस दिशा में काम चल रहा है। सवाल यह भी है कि इन मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट कौन जाएगा, इस पर भी विचार किया जा रहा है। सदियों से युगों से एक राष्ट्र जीवन चलते आया है- भागवत मोहन भागवत ने हिंदुत्व पर कहा कि हिंदुत्व कहता है कि दिखने में अलग होने से एकता का भंग नहीं होता। सामान दिखाना एकता के लिए आवश्यक नहीं है। सदियों से युगों से एक राष्ट्र जीवन चलते आया है। हिंदू राष्ट्र जीवन, वह हम सभी को जोड़ता है। भागवत ने कम्युनिज्म को लेकर कहा कि हमारे लोगों को सोशल मीडिया पर सक्रिय होना पड़ेगा। तर्क के साथ जवाब देना होगा। अपने उत्तर और विचारों को लेकर अडिग रहना पड़ेगा। युवाओं में बढ़ती अकेलापन और नशे की समस्या उन्होंने युवाओं और बढ़ते नशे पर कहा कि आज यूथ लोनली फील कर रहा है। फैमिली से संवाद कम हो गया है। फैमिली न्यूट्रल हो रही है। बातचीत की कमी के चलते युवाओं के सामने विकल्प के रूप में मोबाइल और नशा सामने आ रहा है। 1 जनवरी को सामाजिक सद्भावना बैठक नए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी को राम मंदिर परिसर में सामाजिक सद्भावना बैठक आयोजित की जाएगी। सुबह 9 से 12 बजे तक चलने वाली इस बैठक में समाज के अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक में सामाजिक समरसता और समकालीन विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में सभी समाज और समुदायों के प्रमुख, सामाजिक संगठन, बुद्धिजीवी वर्ग, को आमंत्रित किया गया है। बैठक में सामाजिक सौहार्द, आपसी सहयोग और समरसता जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। संघ इसे समाज में बढ़ते वैचारिक विभाजन के बीच संवाद और संतुलन की पहल के रूप में देख रहा है। क्यों अहम है मोहन भागवत का यह दौरा? दरअसल, यह दौरा RSS के शताब्दी वर्ष के दौरान हो रहा है, ऐसे समय में जब संघ देशभर में बड़े सामाजिक आयोजनों पर विशेष जोर दे रहा है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी और युवा आबादी का अनुपात काफी अधिक है। ऐसे में युवाओं से संघ का सीधा संवाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंदू सम्मेलन के माध्यम से संघ सामाजिक एकजुटता के साथ-साथ अपनी वैचारिक पहुंच को और मजबूत करना चाहता है। राजनीतिक दृष्टि से भी राज्य में बदलते सामाजिक समीकरणों के बीच संघ की बढ़ती सक्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोहन भागवत का यह तीन दिवसीय दौरा केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम भर नहीं है, बल्कि युवा, समाज और संस्कृति को केंद्र में रखकर संघ की दीर्घकालिक रणनीति को भी दर्शाता है। आने वाले महीनों में इसका असर सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में दिखाई दे सकता है। ………………………….. अरावली से जुड़ी यह खबर पढ़ें अरावली केस; सुप्रीम कोर्ट का अपने ऑर्डर पर स्टे: पहले 100 मीटर से छोटी पहाड़ियों पर खनन को मंजूरी दी थी, अब रोक लगाई अरावली पर्वतमाला को लेकर उठे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी है। 20 नवंबर को जारी आदेश में 100 मीटर से छोटी पहाड़ियों पर खनन के आदेश दिए थे, अब 21 जनवरी 2026 तक खनन पर रोक लगा दी है। पढ़ें पूरी खबर…
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