अयोध्या की कुमारगंज वन रेंज में हरे पेड़ों की अवैध कटान लगातार जारी है। आरोप है कि वन विभाग के कुछ कर्मचारियों और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से प्रतिबंधित प्रजातियों के वृक्षों की कटाई खुलेआम की जा रही है। हालात यह हैं कि रेंज कार्यालय से महज दो किलोमीटर दूर तक अवैध कटान के मामले सामने आ चुके हैं। ताजा मामला सरूरपुर गांव का है, जहां धर्मेंद्र यादव की बाग से आधा दर्जन नीम और महुआ के पेड़ अवैध रूप से काट दिए गए। मौके पर कटे पेड़ों के ठूंठ और साक्ष्य अब भी मौजूद हैं। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बीते सोमवार को तेंधा गांव में एक विशाल महुआ का पेड़ अवैध तरीके से काट दिया गया। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी आरोप है कि वन अधिकारियों ने रातों-रात कटी लकड़ी को हटवा दिया। मंगलवार को गोकुला गांव में भी एक विशाल गूलर का पेड़ काटकर पार कर दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शिकायत करने पर वनकर्मी कार्रवाई और जुर्माने की बात कहकर मामलों को रफा-दफा कर देते हैं। जुर्माना इतना मामूली होता है कि लकड़ी तस्करों को कोई नुकसान नहीं होता। आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तस्करों से मोटी रकम लेकर उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे पेड़ इस हिसाब से काटते हैं कि अगर 8 से 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लग जाए तो कोई घाटा न हो। उसने दावा किया कि कई बार जुर्माना बिना रसीद के ही तय हो जाता है। वन विभाग के कुछ कर्मचारी पहले से ही एडवांस पैसा लेते हैं और शिकायत होने पर उच्च अधिकारियों को केवल जुर्माने की जानकारी दे देते हैं। तेंधा गांव में महुआ के पेड़ कटने के मामले में जब उच्च अधिकारियों ने सख्ती दिखाई तो स्थानीय प्रशासन ने सिर्फ 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर मामले को निपटा दिया। इस संबंध में कुमारगंज रेंज के वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जहां भी अवैध कटान की शिकायत मिल रही है, वहां संबंधित के खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना किया जा रहा है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि वन विभाग और पुलिस ने सख्त रुख नहीं अपनाया तो क्षेत्र के बचे हुए वन और बाग जल्द ही वीरान हो जाएंगे।
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