मात्र नौ वर्ष के अपने एकलौते बेटे की मौत के मामले में इन्साफ की लड़ाई लड़ते- लड़ते एक मां इतनी टूट गयी कि इस पीड़ा को झेल नहीं पाई. उसने सिस्टम के सामने न सिर्फ हार मान ली बल्कि सल्फास खा कर अपनी जान दे दी है. घटना की पुष्टि खुद दरभंगा सदर के SDPO अमित कुमार ने भी की है हालांकि उन्होंने घटना को बेहद दुखद भी बताया है. दरअसल, पूरा मामला यह है की मृतक महिला का नाम मनीषा देवी है. मनीषा ने दरभंगा के लहेरियासराय स्थित एक निजी स्कुल में अपने एकलौते बेटे कश्यप का एडमिशन क्लास 2 में कराया था. कश्यप कि उम्र महज नौ वर्ष के आसपास थी और वह स्कूल के हॉस्टल में ही रहता था. पंद्रह से बीस दिन बीतने के बाद कश्यप का शव वहीं स्कूल की खिड़की में फंदे से लटका मिला था. परिवार वालों ने बच्चे की हत्या का आरोप स्कूल प्रशासन पर लगाया था. पुलिस जांच की बात कह बहादुरपुर थाना ने एक एफआईआर भी दर्ज की थी. लेकिन, तकरीबन तीन महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जबकि मनीषा लगातार थाना पुलिस के आलावा ज़िले के वरीय पुलिस अधिकारी से लेकर नेता, जहां भी उसे इन्साफ की उम्मीद की छोटी सी भी किरण दिखाई देती अपने बेटे के मौत के असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गुहार लगाती फिर रही थी. लेकिन मनीषा को कहीं से इन्साफ मिलता नहीं दिखाई दे रहा था. बीतते समय के साथ मनीषा का हौसला भी टूट रहा था. आरोप यह है कि पुलिस से मदद के भरोसे की जगह उसे फटकार मिलने लगी, तब मनीषा पूरी तरह टूट गयी. एकलौते मासूम बेटे की मौत का गम और पुलिस की तरफ से इंसाफ मिलने में हो रही देरी के कारण मनीषा मानसिक दबाब को झेल नहीं पाई और एक रात पहले ही परिवार की लोगों से चुराकर सल्फास खा लिया. मनीषा की तबियत बिगड़ी तो उसे अस्पताल ले जाया गया. तब मनीषा ने सल्फास खाने की बात खुद बताई. परिवार वालों की माने तो मनीष अपने बेटे की मौत पर इन्साफ मिलने में देरी से परेशान थी. लेकिन पुलिस वाले उन्हें कोई मदद नहीं कर रहे थे.
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