किशनगंज में पिछले कई दिनों से तेज ठंड और शीतलहर का प्रकोप जारी है। पछुआ हवाओं के झोंकों ने कनकनी को और बढ़ा दिया है, जिससे हड्डियां कंपकंपा रही हैं। न्यूनतम तापमान 11 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया, जबकि दिन में भी धूप न निकलने से ठंड का असर कम नहीं हो रहा। इसका असर आम जनजीवन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। सड़कें सूनी पड़ी हैं, बाजारों में रौनक कम है और लोग घरों में दुबके हुए हैं। ग्रामीण और जरूरतमंद सबसे अधिक प्रभावित जिले के ग्रामीण इलाकों में मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले और फुटपाथ पर सोने वाले लोग ठंड का सबसे ज्यादा शिकार हैं। चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था की गई है, लेकिन कई जगहों पर यह पर्याप्त नहीं है। स्थानीय निवासी रामलाल ने बताया, “ठंड इतनी है कि बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अलाव के सहारे ही गुजारा चल रहा है। कंबल और गर्म कपड़ों की जरूरत है।” मौसम विभाग की चेतावनी और स्वास्थ्य संबंधी सलाह मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी ठंड जारी रहने की चेतावनी दी है। उत्तर बिहार में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें किशनगंज भी शामिल है। ठंड के कारण स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को ठंड से बचाव के लिए कंबल, गर्म कपड़े और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गई है। वाहन चालकों और प्रशासन की चुनौती कोहरे के कारण जिले में विजिबिलिटी कम हो रही है, जिससे वाहन चालकों को सड़क पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने अलाव और गर्म पेय के साथ कुछ राहत शिविर स्थापित किए हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि राहत अभी पर्याप्त नहीं है। स्थानीय जनता की उम्मीदें स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार ठंड पहले से ज्यादा पड़ रही है और पछुआ हवाओं से शरीर में तेज ठिठुरन हो रही है। जनता की उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाएगा। फिलहाल ठंड से राहत के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं।
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