बेगूसराय सहित उत्तर बिहार के लोगों को अभी ठंड से राहत नहीं मिलेगी। 4 जनवरी तक कोल्ड-डे की स्थिति बरकरार रहेगी। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जारी 31 दिसंबर से 4 जनवरी तक के मौसम पूर्वानुमान में यह जानकारी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि पूर्वानुमानित अवधि 4 जनवरी तक के दौरान उत्तर बिहार के सभी जिलों में तापमान में गिरावट की स्थिति बने रहने की संभावना है। हवा में नमी की मात्रा अधिक रहने तथा लगातार पछुआ हवाएँ चलने के कारण ठंड का प्रभाव बना रहेगा। इस अवधि में कोल्ड डे की स्थिति रहने की संभावना है। सुबह के वक्त मध्यम स्तर के कोहरे की आशंका न्यूनतम तापमान 9 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। जबकि अधिकतम तापमान 13 से 15 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। सुबह के समय मध्यम स्तर का कुहासा छाया रह सकता है। मौसम शुष्क रहने की संभावना है। औसतन 5-6 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चल सकती है। 1 जनवरी के आसपास पुरवा हवा चलने की संभावना है। मौसम के मद्देनजर किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए गए हैं। वर्तमान मौसम आलू की फसल में पिछेता झुलसा (लेट ब्लाइट) रोग के विकास के लिए अत्यंत अनुकूल है। ऐसी स्थिति में जिन खेतों में अभी यह रोग नहीं दिखाई दिया है, वहां किसान मेन्कोजेब या प्रोपीनेब या क्लोरोथेलोनिल युक्त फफूंदनाशक दवा का 0.2-0.25 प्रतिशत का तुरंत छिड़काव करें। जिन खेतों में रोग के लक्षण दिखाई देने लगे हैं, वहीं किसी भी सिस्टमिक फफूंदनाशक जैसे साइमोक्सानिल मेन्कोजेब, फेनोनिडोन मेन्कोजेब अथवा डाइमेथोमार्फ मेन्कोजेब का 0.3 प्रतिशत यानी 3 किलोग्राम दवा प्रति 1000 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। गाजर, मटर, टमाटर, धनिया, लहसुन में हो सकता है झुलसा रोग बदलीनुमा मौसम एवं वातावरण में अधिक नमी के कारण गाजर, मटर, टमाटर, धनिया, लहसुन तथा अन्य रबी फसलों में झुलसा रोग तेजी से फैल सकता है। इस रोग में पत्तियों के किनारे और सिरे से झुलसना शुरू होकर पूरा पौधा प्रभावित हो जाता है। लक्षण दिखने पर डाइथेन एम-45 फफूंदनाशक दवा 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें। गेहूं की फसल में 30-35 दिन की अवस्था में खरपतवार उग आते हैं, जो फसल को प्रभावित कर उपज में कमी लाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं मेटसल्फ्यूरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल में छिड़काव करें। विलंब से बोई गई गेहूं 21 से 25 दिन की हो गई हो, उसमें 30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर दें। पिछात मटर की फसल में निकाई गुढ़ाई करें तथा फली छेदक कीट की नियमित निगरानी करें। इस कीट की इल्ली फलियों में जाल बनाकर अंदर प्रवेश कर दानों को खा जाती है, जिससे भारी नुकसान होता है। नियंत्रण के लिए प्रकाश फंदा लगाएं तथा 15-20 टी-आकार के पंछी बैठका (बर्ड पर्चर) प्रति हेक्टेयर लगाएं। अधिक प्रकोप होने पर क्विनालफॉस 25 ईसी या नोवल्यूरॉन 10 ईसी का छिड़काव करें। मक्का की फसल में मिट्टी चढ़ाने की अपील नवंबर माह के प्रारंभ में बोई गई रबी मक्का की फसल 50 से 60 दिन की अवस्था में है, उसमें 50 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से डालकर मिट्टी चढ़ाएं। मक्का में तना बेधक कीट की निगरानी करें। उपचार के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी का 7-8 दाना प्रति पौधा गाभा में दें। अधिक प्रकोप हो तो डेल्टामेथ्रिन का छिड़काव करें। रबी प्याज की रोपाई प्राथमिकता के आधार पर करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें। पौध की रोपाई अधिक गहराई में नहीं करें। पहले से रोपी गई प्याज में निकौनी करें। लहसुन की फसल में भी निकौनी तथा कीट रोग की निगरानी करते रहें। सब्जी वाली फसलों में निकाई-गुडाई एवं आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। अगात बोई गई मटर में चूर्णिल फफूंदी रोग की निगरानी करें। लक्षण दिखाई देने पर कैराथेन 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी अथवा सल्फेक्स 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। तापमान में गिरावट के कारण दुधारु पशुओं के दूध उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए हरे एवं सूखे चारे के मिश्रण के साथ नियमित रूप से 50 ग्राम नमक, 50-100 ग्राम खनिज मिश्रण प्रति पशु तथा संतुलित दाना खिलाएं। पशुओं के लिए बिछावन में सूखी घास या राख का उपयोग करें।
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