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5 पॉलिटिकल फैमिली ड्रामा, सड़क पर लालू परिवार का विवाद:तेजस्वी के सामने रोहिणी पर उठी चप्पल, रंजीत रंजन बोलीं- पति पप्पू यादव से अलग हूं

बिहार की राजनीति में साल 2025 हमेशा याद किया जाएगा। वजह सिर्फ यह नहीं कि एनडीए ने 243 में से 202 सीटें जीतकर ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया, बल्कि इसलिए कि इस चुनाव में परिवारों के भीतर चला राजनीतिक टकराव भी खुलकर सामने आ गया। राबड़ी आवास के बाहर जिस तरह लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य रोती-बिलखती नजर आईं, उसे दुनिया ने देखा। लालू परिवार के घर की लड़ाई सड़क पर आ गई। इससे पहले तेजप्रताप यादव को परिवार और पार्टी से निकाल दिया गया। 2025 में भोजपुरी एक्टर पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति सिंह के बीच चल रहा विवाद भी सुर्खियों में रहा। ज्योति अपने पति के घर जाकर फूट-फूटकर रोईं। भास्कर की खास रिपोर्ट में पढ़िए, लालू परिवार से लेकर पवन सिंह, पप्पू यादव और चिराग पासवान तक, 2025 में किन राजनीतिक परिवारों में बड़ा पॉलिटिकल ड्रामा देखने को मिला। 1. रोहिणी आचार्य VS तेजस्वी यादव: हार की जिम्मेदारी पर सवाल विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में लालू परिवार के भीतर आपसी कलह की चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब हुई। तेजस्वी यादव और उनकी बड़ी बहन रोहिणी आचार्य के बीच सबसे तीखा टकराव दिखा। रोहिणी आचार्य सिंगापुर में रहती हैं। उन्होंने 2022 में पिता लालू यादव को किडनी दी थी। 2024 में वह सारण से लोकसभा चुनाव लड़ीं, लेकिन बीजेपी के राजीव प्रताप रूढ़ी से हार गईं। रोहिणी और तेजस्वी के बीच विवाद की शुरुआत ऐसा नहीं है कि तेजस्वी पर रोहिणी का गुस्सा चुनाव परिणाम आने के बाद भड़का। विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान वह पटना पहुंचीं थी। रिजल्ट आने से पहले जब तेजस्वी यादव की गाड़ी में उनकी सीट पर तेजस्वी के राइट हैंड माने जाने वाले राज्यसभा सांसद संजय यादव बैठे दिखे तो रोहिणी भड़क गईं। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा- ‘लालू प्रसाद या तेजस्वी की जगह कोई और बैठे यह कतई मंजूर नहीं.. फ्रंट सीट सदैव पार्टी के शीर्ष नेता के लिए चिह्नित है।’ यह लिखने के बाद रोहिणी ने अपना अकाउंट अस्थायी रूप से प्राइवेट कर लिया था। उन्होंने परिवार के सदस्यों को अनफॉलो कर दिया था। तेजस्वी और संजय ने विवाद पर दी सफाई इस पर तेजस्वी ने कहा था, ‘रोहिणी दीदी सिर्फ बड़ी बहन नहीं, मां जैसी हैं। उन्होंने मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया है। पापा को किडनी दी है। उनकी यह कुर्बानी अतुलनीय है। इस पर राजनीति करना शर्मनाक है।’ संजय यादव ने सफाई दी, ‘तेजस्वी की गाड़ी में आगे बैठना कार्यशैली और जिम्मेदारी का हिस्सा था, ताकत दिखाने का प्रयास नहीं। जो त्याग रोहिणी दीदी ने किया है, उसे भाजपा या बाहरी लोग समझ नहीं सकते।’ हार की जिम्मेदारी को लेकर रोहिणी का पारा हाई बिहार विधानसभा चुनाव के बाद रोहिणी का सख्त तेवर दिखा। उन्होंने हार की जिम्मेदारी को लेकर तेजस्वी यादव और उनके करीबी नेताओं पर सवाल उठाए। रोहिणी ने आरोप लगाया कि राबड़ी आवास में उन पर चप्पल उठाई गई। खासतौर से तेजस्वी के 2 करीबियों संजय यादव और रमीज नेमत को रोहिणी ने निशाने पर लिया। रोहिणी ने परिवार से नाता तोड़ने और राजनीति छोड़ने तक का ऐलान कर दिया। रोहिणी ने मीडिया में बयान दिया, ‘मेरा कोई परिवार नहीं है, संजय-रमीज, तेजस्वी से पूछिए। उन्हीं लोगों ने मुझे परिवार से निकाला। उन्हें जिम्मेदारी (चुनाव हारने की) लेनी नहीं है। पूरी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ?’ इसी दौरान बिहार के एक पत्रकार ने रोहिणी के मायके में रहने पर सवाल उठाया तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। उन्होंने कहा, ‘बेटी कितने समय मायके में रहेगी, यह बाहर के लोग तय नहीं करेंगे। मां-बाप और बेटी तय करेगी।’ रोहिणी के सवालों का जवाब न तो संजय यादव या रमीज खान दे पाए, न कोई पार्टी प्रवक्ता। तेजस्वी को भी कोई जवाब नहीं सूझा। रोहिणी ने हार की जवाबदेही लेने का सवाल उठाया तो तेजस्वी यादव पत्नी और बच्चों के साथ यूरोप की यात्रा पर निकल गए। 2. तेजप्रताप VS लालू परिवार: राजनीतिक टूट का साल साल 2025 इसलिए भी याद किया जाएगा कि लालू परिवार टूट गया। चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को राष्ट्रीय जनता दल और परिवार से छह साल के लिए बाहर निकाल दिया। लालू ने यह फैसला अनुष्का यादव के साथ तेजप्रताप यादव की फोटो-वीडियो सामने आने के बाद लिया। एक तरफ तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय से जुड़ा तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है। दूसरी तरफ उन्होंने अनुष्का से 12 साल पहले से संबंध की बात स्वीकार की। इसके बाद ऐश्वर्या सामने आईं, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। इससे लालू परिवार की खूब किरकिरी हुई। अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल बनाकर चुनाव लड़े तेजप्रताप पार्टी और परिवार से निकाले जाने के बाद तेजप्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल नाम की पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव लड़े। तेजप्रताप ने तेजस्वी के चुनाव क्षेत्र राघोपुर जाकर बाढ़ राहत सामाग्री बांटी। लोगों से यह पूछकर माहौल बनाया कि यहां के विधायक कहां हैं? तेजप्रताप हसनपुर से विधायक थे। 2025 का चुनाव उन्होंने वैशाली जिले के महुआ से लड़ा। महुआ से आरजेडी के मुकेश रौशन विधायक थे। तेजप्रताप यादव और राजद प्रत्याशी के बीच हुई टक्कर के बीच चुनाव LJP R के संजय कुमार सिंह ने जीत लिया। तेजप्रताप खुद तो हारे, लेकिन मुकेश रौशन को भी जीतने नहीं दिया। मां राबड़ी देवी पार्टी लाइन के बाहर जाकर तेजप्रताप को जीत का आशीर्वाद देती रहीं। अब बिहार में दो पार्टियां लालू प्रसाद के परिवार से निकली हुई हैं। एक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और दूसरी जनशक्ति जनता दल। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव हैं। जनशक्ति जनता दल के सुप्रीमो तेजप्रताप यादव हैं। तेजप्रताप कहते हैं कि ‘लालू प्रसाद की असली पार्टी जनशक्ति जनता दल है, आरजेडी तो जयचंदों के कब्जे में चली गई है।’ 3. पवन सिंह VS ज्योति सिंह: चुनाव लड़ न पाए भोजपुरी एक्टर 2025 में भोजपुरी एक्टर व सिंगर पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति सिंह का विवाद छाया रहा। दोनों के तलाक का मामला कोर्ट में है। 5 अक्टूबर 2025 को ज्योति सिंह पवन सिंह से मिलने उनके घर गईं। घर के अंदर जाने नहीं दिया गया तो कैमरे के सामने रोती-बिलखती नजर आईं। इस घरेलू विवाद की तपिश विधानसभा चुनाव 2025 में दिखी। पहले तो पवन सिंह ने आरा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन पत्नी से विवाद की वजह से बीजेपी के दबाव में उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। इससे पहले वे काराकाट लोकसभा से 2024 में लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। दिलचस्प यह कि पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की लड़ाई में माले के राजा राम सिंह चुनाव जीत गए थे। विधानसभा चुनाव 2025 में ज्योति सिंह ने घोषणा किया कि काराकाट विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लडे़ंगी। इस सीट पर पवन सिंह की भी नजर थी। ज्योति ने पवन पर घरेलू हिंसा, धोखा देने, जबरन गर्भपात कराने और पॉलिटिकल फायदे के लिए इस्तेमाल करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। ज्योति सिंह काराकाट से चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं। ज्योति ने इस सीट पर एनडीए को भी जीतने नहीं दिया। सीपीआई एमएल के अरुण सिंह 74157 वोट लाकर चुनाव जीत गए। 4. पप्पू यादव VS रंजीत रंजन: अलग-अलग रह रहे दोनों पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय सांसद हैं। उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रही हैं। पप्पू यादव ने टेनिस प्लेयर रंजीत रंजन से प्रेम विवाह किया था। रंजीत से लेकर उनका परिवार पप्पू को अपनाने को तैयार नहीं था। एक बार पप्पू ने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। फरवरी 1992 से शुरू हुई दोनों की प्रेम कहानी 1994 में शादी के अंजाम तक पहुंची। पिछले कुछ वर्षों में दोनों के बीच दूरी बढ़ गई थी। उन्हें एक बेटा और एक बेटी है। दोनों मां के साथ रहते हैं। बेटा सार्थक रंजन क्रिकेटर और बेटी प्रकृति रंजन राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी हैं। अक्टूबर में बिश्नोई गैंग से पप्पू यादव को धमकी मिली तो रंजीत ने कहा, ‘मेरा और पप्पू यादव का राजनीतिक जीवन अलग-अलग तरह का रहा है। हमारे बीच बहुत मतभेद हैं। हम पिछले डेढ़- दो सालों से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उससे मेरा और मेरे बच्चों का कोई संबंध नहीं है।’ पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने नियुक्ति पत्र देते समय डॉक्टर का बुर्का खींचा तब पप्पू यादव और रंजीता रंजन के अलग-अलग रुख सामने आए। पप्पू यादव नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े हो गए। वहीं, रंजीता रंजन ने नीतीश का विरोध किया। 5. चिराग VS पारस, तय हुआ रामविलास का असली उत्तराधिकारी कौन बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने साबित किया कि वह स्व. रामविलास पासवान के असली उत्तराधिकारी हैं। 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास को निधन हुआ। अगले साल 2021 में उनकी पार्टी लोजपा टूट गई। सांसद पशुपति पारस ने 4 और सांसदों को अपने पाले में लिया और पार्टी तोड़ दी। इसके बाद चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच खुद को रामविलास पासवान का असली उत्तराधिकारी घोषित करने का संघर्ष चला। दोनों अपनी-अपनी पार्टी (चिराग की लोक जन शक्ति (रामविलास), पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा) का नेतृत्व कर रहे हैं। लोजपा में टूट के बाद बिहार विधानसभा चुनाव दोनों के लिए असली बड़ी परीक्षा थी। इन्हें साबित करना था कि असली लोजपा किसकी है। चिराग इस परीक्षा में पास हो गए। उनकी पार्टी NDA का हिस्सा बनकर चुनावी मैदान में उतरी और 19 सीटें जीत ली। दूसरी ओर पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच विवाद का बड़ा कारण रामविलास पासवान की विरासत पटना और दिल्ली का घर है।


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