उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 49वें स्थापना दिवस पर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी संस्थान के निराला सभागार में हुई, जहां साहित्यकारों ने अटल जी के साहित्य, व्यक्तित्व और राष्ट्रभाव पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ किया गया। डॉ. गीता शुक्ला ने वाणी वंदना प्रस्तुत की। प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे ने मुख्य अतिथियों पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह, डॉ. सुधाकर अदीब, डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह और विनय श्रीवास्तव का उत्तरीय और स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया। अटल जी एक श्रेष्ठ कवि, महान राजनेता और अद्भुत वक्ता थे डॉ. विद्या बिन्दु सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी के सरल और सौम्य स्वभाव के बारे में बताया। उन्होंने साहित्यकारों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेने की बात कही। डॉ. सुधाकर अदीब ने अटल जी को एक श्रेष्ठ कवि, महान राजनेता और अद्भुत वक्ता बताया। उन्होंने कहा कि उनके भाषणों और कविताओं में कभी कटुता नहीं दिखी और उनकी रचनाएं राष्ट्रभाव से ओत-प्रोत थीं। डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह ने ठाकुर प्रसाद सिंह के व्यक्तित्व और साहित्य के बारे में बताते हुए कि उनके लेखन में लोक और बनारस की सांस्कृतिक छवि स्पष्ट दिखती है। विनय श्रीवास्तव ने रमाकांत श्रीवास्तव को एक समर्पित संपादक और साहित्यानुरागी बताया, जिन्होंने संस्थान की पत्रिकाओं को नई पहचान दी।
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