श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर के प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह में यज्ञशाला अनुष्ठान के चौथे दिन तत्व कलश,तत्व होम,कलश अधिवास होम अनुष्ठान हुए। सायंकाल पालकी यात्रा निकाली गई। पूजन में लगे आचार्यों के अनुसार अनुष्ठान वातावरण को दिव्य ,सात्विक और तेजोमय बनाते हैं। इस अवसर पर कहा गया कि अनुष्ठान वातावरण को दिव्य, सात्विक बनाते हैं।
शिवगर्जना समूह के ढोल-ताशे से झंकृत हुआ राममंदिर का कोना-कोना
नागपुर के शिवगर्जना समूह ने श्रीराम मंदिर परिसर में ढोल-ताशे की गरजती सामूहिक धुन से श्रीराम लला का अपने तरीके से अभिनन्दन किया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा आयोजित द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह के दूसरे दिन महाराष्ट्र के नागपुर से आए शिव गर्जना समूह ने मंदिर परिसर के अंदर सामूहिक रूप से अपने ढोल ताशों पर लय बद्ध तरीके से वादन शुरू किया तो परिसर में मौजूद श्रद्धालु स्वयं को धुन के प्रति आकर्षित होने से रोक नहीं सके। जल्दी सुबह शिवगर्जना समूह के एक सैकड़ा सदस्य मणिपर्वत स्थित तीर्थंक्षेत्रपुरम पहुंचे| सदस्यों ने तैयारी के बाद बैंड का मोहक वादन किया। दोपहर यही समूह राममंदिर परिसर पंहुचा औऱ राम लला के सम्मुख अपनी कला का प्रदर्शन किया। समूह का नेतृत्व प्रतीक टेटे,राम टेटे, प्रथम दाऊतपुरे, प्रतिक नागफासे, सत्यम तिरोडे, रोशन वानखेडे सहित लगभग 30 बहनें व 70 युवक शामिल रहे| वादन का प्रबंध ट्रस्ट महासचिव चम्पतराय के निर्देश परराम शंकर उर्फ़ टिंन्नू ने किया। सायंकाल समारोह के मंच अंगद टीला पर भी ढोल वादकों ने लय ताल के उत्तम सामंजस्य के साथ रोमांचक प्रदर्शन किया। ननिहाल के कलाकारों ने किया भांजे की लीला का जीवंत मंचन
समारोह के मंच पर दूसरे दिन भी हुई रामलीला, परंपरा से हटकर विशेष आकर्षण का केंद्र रही। गायन एवं नृत्य शैली में प्रस्तुत रामलीला का मंचन सीता हरण से आगे प्रस्तुत किया गया। मान्यता के अनुसार रानी कौशल्या के मायके छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने रिश्ते में भांजे प्रभु राम की रोचक लीला का मंचन किया। इसके पूर्व सुल्तानपुर के आरुष चौरसिया ने गणेश वंदना व रघुपति राघव राजा राम की प्रस्तुत दी।
अंगद टीला परिसर में बने समारोह मंच पर 30 दिसंबर मंगलवार को गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ से जुड़ी छात्र-छात्राओं द्वारा रामलीला का मोहक मंचन किया गया। किष्किंधा कांड में राम-हनुमान भेंट, सुग्रीव-राम भेंट, सुग्रीव-बालि युद्ध, हनुमान सीता भेंट, लंका दहन, लंका से हनुमान की वापसी, राम विभीषण संवाद, रामसेतु निर्माण, अंगद-रावण संवाद, युद्ध प्रारंभ, रावण का प्रथम दिन युद्ध में आगमन, कुंभकरण का आगमन, मेघनाथ एवं संजीवनी बूटी प्रसंग, रावण से अंतिम युद्ध व रावण लक्ष्मण संवाद सहित 16 प्रसंगो का मंचन किया गया।
कार्यक्रम निर्देशक राहुल राज तिवारी, सुनील चिपडे रहे। प्रबंधन धनंजय पाठक, रामशंकर उर्फ़ टिंन्नू, नरेन्द्र, आशीष मिश्र, डॉ चन्द्रगोपाल पाण्डेय, हेमेंद्र द्विवेदी आदि ने किया| मुख्य रूप से सुरेन्द्र सिंह, वीरेंद्र, उमेश पोरवाल, के के तिवारी आदि उपस्थित रहे। मानस पाठ में आकंठ डूबे श्रोता द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव के दूसरे दिन सीता स्वयंवर के लिए राजा जनक के बुलावा के बाद से पाठ शुरू हुआ। कार्यक्रम में मानस प्रेमी श्रोता भी गायक टीम के साथ रामचरितमानस का पाठ करते रहे |
श्री श्री मां आनंदमयी मानस परिवार कानपुर द्वारा ” सीता राम चरण रति मोरे, अनुदिन बढ़उं अनुग्रह तोरे” संपुट के साथ व्यास कानपुर के योगेश भसीन ने श्री रामचरितमानस बालकांड के प्रथम सोपान के दूसरे नह्वान विश्राम के बाद चौपाई “सीय स्वयं बरु देखिउ जाई| ईसु काहि धौ देई बड़ाई||” के स्वर से पूरा पंडाल भक्ति रस से ओतप्रोत हो गया। बैठे हरषि रजायसु पाई|| से दूसरे व्यास स्वामी विज्ञानानन्द ने मानस के दूसरे सोपान अयोध्या काण्ड में प्रवेश कर सस्वर परायण कर सबको विभोर किया। संगीतमय श्री रामचरितमानस पाठ 23 सदस्यों द्वारा क्रमशः प्रस्तुत किया गया| कार्यक्रम सयोजक प्रेम प्रकाश मिश्र के अनुसार समन्वयक व्यास योगेश भसीन, कुमार गौरव शुक्ला, ऋषिकेश निवासी स्वामी विज्ञानानंद, मुरैना के राजेश ठाकुर की देख रेख में मानस पाठी शास्त्रीय एवं सामान्य स्वरों में पाठ करते रहे|| कार्यक्रम में सहयोग मुख्य रूप से सत्येंद्र श्रीवास्तव, अजय कुमार मिश्रा, धन्नजय पाठक, नरेन्द्र, डॉ चन्द्र गोपाल,भोलेन्द्र,अश्वनी अग्रवाल आदि ने किया।
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