पीलीभीत के ओकेजन बैंकट हॉल में चल रही सात दिवसीय ‘अमृतमयी श्रीमद्भागवत कथा’ के तीसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। कथा व्यास श्री गौरवानंद जी महाराज ने सती चरित्र और ध्रुव चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया, जिससे उपस्थित भक्त भाव-विभोर हो गए। पंडाल ‘जय श्री कृष्णा’ और ‘राधे-राधे’ के उद्घोष से गूंज उठा। कथा व्यास श्री गौरवानंद जी महाराज ने सती चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और अटूट विश्वास ही भक्ति की पहली सीढ़ी है। उन्होंने बताया कि सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आराध्य शिव का अपमान देखकर योगशक्ति से अपनी देह का त्याग कर दिया था। महाराज जी ने इस प्रसंग के माध्यम से समझाया कि जहाँ भक्त और भगवान का अपमान हो, वहाँ क्षण भर भी नहीं रुकना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बिना मर्यादा और सम्मान के किया गया कोई भी धार्मिक अनुष्ठान फलदायी नहीं होता। दूसरे प्रसंग में ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज गौरवानंद ने कहा कि अटूट संकल्प और भक्ति से ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बालक ध्रुव को जब उनकी सौतेली माँ ने गोद से उतारा, तो उन्होंने विचलित हुए बिना भगवान की गोद में स्थान पाने का संकल्प लिया। मात्र पाँच वर्ष की आयु में ध्रुव ने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र के जाप से भगवान नारायण को प्रकट होने पर विवश कर दिया। महाराज जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि ध्रुव जैसा संकल्प हो, तो संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। कथा के दौरान प्रस्तुत भजनों पर भक्तगण झूम उठे। इस धार्मिक आयोजन में राकेश गुप्ता, सत्यवीर सिंह, डॉक्टर आर.के. मिश्रा, ब्रज बिहारी लाल, राजीव वर्मा, धीरज, रवि श्रीवास्तव और अतुल गुप्ता सहित कई प्रमुख लोगों ने सहभागिता की। राजेन्द्र आचार्य, एच.एन. वर्मा, अवनीश, रजनीश, नीरज, कांतिस्वरूप पांडे, अजीत, ममता शुक्ला, हितेश, मनमोहन, संजय त्रिपाठी, कृष्णदेव शुक्ला, हरिवंश, अजय सैनी, अधिवक्ता धीरेन्द्र मिश्रा और अशोक बाजपेई सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण किया। उन्होंने आरती में भाग लिया और प्रसाद ग्रहण किया।
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