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नाराज ब्राह्मण विधायकों के डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा:शलभमणि ने योगी से मुलाकात की, रमापति राम को मनाने की जिम्मेदारी मिली

यूपी में ब्राह्मण विधायकों की नाराजगी और विपक्ष के हमलावर रुख को देखकर भाजपा की टॉप लीडरशिप में खलबली मच गई है। टॉप लीडरशिप ने डैमेज कंट्रोल का बड़ा फैसला किया है। सरकार, संघ और संगठन से नाराज चल रहे ब्राह्मण विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को सौंपी है। उधर, देवरिया से विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने मंगलवार को CM योगी से मुलाकात की। इस मुलाकात को ब्राह्मण विधायकों से बैठक से जोड़ा जा रहा है। पत्रकार से राजनेता बने शलभ मणि 23 दिसंबर को लखनऊ में हुई बैठक में शामिल हुए थे। रमापति ने विधायकों से संयम बरतने की सलाह दी
रमापति राम त्रिपाठी ने बैठक में शामिल विधायकों से फोन पर बात की है। उन्हें संयम बरतने की सलाह दी है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि पार्टी के मंच पर सभी की बात सुनी जाएगी। देवरिया के पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी का सबसे करीबी माना जाता है। पूर्वांचल में यह बात आम है कि पंकज चौधरी अक्सर रमापति राम से मार्गदर्शन लेते हैं। रमापति राम खुद पूर्वांचल में भाजपा का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा और प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। त्रिपाठी ने ब्राह्मण विधायकों की इस तरह बैठक पर आपत्ति भी जताई थी। सूत्रों के मुताबिक त्रिपाठी ने बैठक में शामिल कुछ विधायकों से फोन कर बात की। उन्होंने विधायकों को समझाया कि प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी से बात करनी चाहिए, उनके सामने विषय रखना चाहिए। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है, उनसे बातचीत किए बना इस तरह बैठक करना उचित नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भरोसा दिलाया है कि पंकज चौधरी सभी की बात सुनेंगे, जो भी समस्या होगी उसका समाधान करेंगे। भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… आखिर डैमेज कंट्रोल की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर भाजपा दो फाड़ नजर आ रही है। डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- चश्मा गलत है, लेकिन उद्देश्य नहीं। लोग मिलते हैं, मिलना भी चाहिए। मंत्री धर्मवीर प्रजापति और सुनील शर्मा ने भी कहा- बैठक को जातिवाद से नहीं जोड़ना चाहिए। पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह भी बैठक के समर्थन में हैं। उन्होंने कहा- मैं इसे गलत नहीं मानता, जो मानता है वो माने। यूपी भाजपा के नए प्रमुख पंकज चौधरी ब्राह्मण विधायकों को दो बार चेतावनी दे चुके हैं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि ऐसी बैठक कतई न करें, नहीं तो एक्शन लूंगा। यूपी भाजपा प्रमुख की चेतावनी के बाद कांग्रेस-सपा ब्राह्मण वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गई हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने ब्राह्मण नेताओं को मजबूत स्टैंड लेने को कहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- जिन्हें ‘अनुशासनहीन’ कहकर अपमानित की जाने वाली चेतावनी सरेआम दोहराई जा रही है, वो ही इन दंभी सत्ताधारियों को ‘शासनहीन’ कर देंगे। लगता है अंहकारी सत्ता सरयू के पावन जल में खड़े होकर ली गई शपथ का परिणाम भूल गई है। सत्ताधारी किसी का सम्मान नहीं कर सकते, तो अपमान भी न करें। पहले पढ़ते हैं भाजपा नेताओं के बयान डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- चश्मा गलत है, लेकिन उद्देश्य गलत नहीं हैं। लोग मिलते हैं, मिलना भी चाहिए। अगर कोई विधायक किसी के जन्मदिन, सालगिरह या लिट्टी-चोखा खाने चला जाए, तो उसे जातिगत बैठक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने कहा- 4 क्षत्रिय मिल जाएं या 4 ब्राह्मण मिल जाएं। साथ बैठकर चर्चा करें। इसमें मैं कुछ गलत नहीं देख रहा हूं। मैं इस बैठक का स्वागत करता हूं। मैं इसे गलत नहीं मानता, जो मानता है वो माने। यूपी सरकार में मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा- जब सत्र चलता है, विधायक इकट्ठा होते हैं तो साथ में बैठक कर लेते हैं। इसे जातिवाद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। मंत्री सुनील शर्मा ने कहा- जब सदन चलता है तो चार-छह लोग बैठते ही हैं। हम कभी पश्चिम के लोग बैठ जाते हैं, तो कहेंगे पश्चिम के लोग साथ बैठ गए। इसका कोई राजनीतिक मतलब निकालने का उद्देश्य नहीं है। यह बात समझ लो, बैठक में बैठने वाले लोगों ने राष्ट्र, सनातन और पार्टी को मजबूत करने की चर्चा की होगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा- ब्राह्मण विधायकों की बैठक किस उद्देश्य से हुई थी, बैठक में शामिल कौन-कौन लोग थे। उनके क्षेत्र में क्या कोई समस्या थी या उन्हें खुद कोई कठिनाई थी। इनका पता लगाए बिना कुछ नहीं कह सकते हैं। यह भी देखना होगा कि किसकी प्रेरणा से ब्राह्मण विधायकों ने बैठक की, मुझे लगता है कि इसके पीछे यह भी वजह रही होगी। सवर्ण आर्मी प्रमुख ने कहा- 50 ब्राह्मणों का एक होना गलत कैसे है? ऐसे में भाजपा में अल्पसंख्यक और पिछड़ा मोर्चा क्यों बनाया गया है? सभी लोग थे और किसी को गाली देने की जरूरत नहीं है। क्या ब्राह्मण विधायक किसी को गाली देने के लिए साथ बैठे थे? अब पढ़िए विपक्ष का क्या कहना है- सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- अपनों की महफ़िल सजे तो जनाब मेहरबान… और दूसरों को भेज रहे चेतावनी का फरमान। शिवपाल यादव ने कहा- भाजपा के लोग जाति में बांटते हैं। बीजेपी से नाराज ब्राह्मण विधायक सपा में आ जाएं। पूरा सम्मान मिलेगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ब्राह्मण विधायकों का अपमान किया। बाकी जातियों की बैठक हुई उस पर किसी कार्रवाई की बात नहीं की गई। लेकिन ब्राह्मण समाज को विशेष रूप से टारगेट करके कार्रवाई की बात हो रही है। मुझे लगता है कि ब्राह्मण नेताओं को मजबूत स्टैंड लेना चाहिए। सपा नेता पवन पांडेय ने कहा- ब्राह्मण विधायकों ने इकट्ठा होकर अपना दुख-दर्द साझा किया। एक-दूसरे से अपना रोना रोया कि दरोगा-कोतवाल सुन नहीं रहे, सरकार में अपमानित हो रहे हैं। तो यह बात ऊपर के लोगों को बहुत बुरी लगी और अब ब्राह्मण विधायकों को डांटा जा रहा है। यही है भाजपा का ब्राह्मणों के प्रति चाल, चरित्र और चेहरा। इसलिए इतना बड़ा मुद्दा बना क्यों ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लग रहे, समझिए आखिर बैठक की जरूरत क्यों पड़ी थी? पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायकों को चेतावनी दी थी बैठक पर प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा था- विधानसभा सत्र के दौरान कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा विशेष भोज का आयोजन किया गया था। जिसमें अपने समाज को लेकर चर्चा की गई। हमनें विधायकों के साथ बातचीत की है। सभी को स्पष्ट कहा है कि ऐसी कोई भी गतिविधि भाजपा की संवैधानिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। विधायकों से भविष्य में अलर्ट रहने को कहा है। बैठक में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों से कहा है कि इस तरह गतिविधियों से समाज में गलत मैसेज जाता है। भविष्य में अगर भाजपा के किसी जनप्रतिनिधि ने इस तरह की गतिविधियों को दोहराया, तब यह अनुशासनहीनता मानी जाएगी। ब्राह्मण वोट बैंक यूपी के हर जिले में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 89 फीसदी वोट मिले
भाजपा को 2022 यूपी चुनाव में 89% ब्राह्मणों ने दिए वोट दिए थे। ब्राह्मण सियासत के जानकार कहते हैं- ब्राह्मण वोकल होता है और अपने आसपास के दस वोटरों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सभी पार्टियां ब्राह्मणों के ताकत को समझती हैं। भले ही ब्राह्मणों की संख्या यूपी में 11-12 प्रतिशत हो, लेकिन दमदारी से अपनी बात रखने की वजह से वह जहां भी रहे हैं, प्रभावशाली रहते हैं। यही वजह है कि आजादी के बाद से 1989 तक यूपी को छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले। 2007 में ब्राह्मण दलित गठजोड़ से ही बसपा पूर्ण बहुमत में सत्ता में आ पाई थी। उस वक्त बीएसपी प्रमुख मायावती ने ब्राह्मण और दलित की सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला बनाया था। 80 से 90 फीसदी तक ब्राह्मण बसपा के साथ जुड़ गए थे। दलितों की पार्टी कही जाने वाली बसपा में सतीश चंद्र मिश्रा को दूसरे नंबर का दर्जा दे दिया गया। आरोप लगते हैं कि 2009 में बीएसपी सरकार में तमाम लोगों पर एससी-एसटी के मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें ब्राह्मण नाराज हो गए और वह 2012 के विधानसभा चुनावों में एसपी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आ गए। 2017 में उन्होंने बीजेपी का साथ दिया और उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की। विधानसभा में बीजेपी के 46 ब्राह्मण विधायक जीतकर पहुंचे। ————— यह खबर भी पढ़िए- रिटायर्ड रेलकर्मी की भूख से मौत, बेटी कंकाल जैसी:यूपी में नौकर पति-पत्नी ने बाप-बेटी को 5 साल तक बंधक बनाए रखा यूपी के महोबा से झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। एक नौकर दंपती ने संपत्ति के लालच में रेलवे से रिटायर्ड सीनियर क्लर्क और उनकी दिव्यांग बेटी को 5 साल तक बंधक बनाकर रखा। आरोप है कि कैद, भूख, प्रताड़ना और इलाज के अभाव में बुजुर्ग की मौत हो गई। वहीं, 27 साल की बेटी एक अंधेरे कमरे में न्यूड हालत में मिली। वह किसी 80 साल की बुजुर्ग महिला जैसी दिख रही थी। पूरा शरीर हड्डियों के ढांचे में बदल चुका था। शरीर पर मांस का नामोनिशान नहीं था। उसकी सिर्फ सांसें चल रही थीं। पढ़ें पूरी खबर…


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