हरियाणा में हेल्थ बजट का 70 प्रतिशत हिस्सा सैलरी पर खर्च हो रहा है। इसका खुलासा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की दिल्ली में हुई रिव्यू मीटिंग में हुआ। इस मीटिंग की अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की। इस मीटिंग में हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। इस मीटिंग में सूबे के स्वास्थ्य विभाग को हिदायत दी गई है कि ये बहुत है, इसको अन्य राज्यों की तरह 50 प्रतिशत तक लाना चाहिए। इसके अलावा भर्तियों में रेशनलाइजेशन के जरिए भर्तियों को करने की सलाह दी। मीटिंग में टीबी मुक्त हरियाणा अभियान के अंतर्गत राज्य के प्रदर्शन की तारीफ की गई। केंद्रीय मंत्री ने फरवरी में 100-दिवसीय टीबी अभियान को दोबारा शुरू किया जाएगा, जिसमें सांसदों, विधायकों, जिला समितियों और उपायुक्तों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। केंद्र की एक्स-रे जांच कवरेज बढ़ाने को कहा हरियाणा की आवश्यक दवा सूची (EDL) में राष्ट्रीय सूची की तुलना में अधिक दवाइयां शामिल हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता 90 प्रतिशत से अधिक और कुल अणु (मॉलिक्यूल) उपलब्धता 80 प्रतिशत से ऊपर पाई गई, जिसे केंद्रीय मंत्री ने सराहनीय बताया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने निक्षय पोषण योजना को और मजबूत करने, निक्षय मित्रों की भागीदारी बढ़ाने और एक्स-रे जांच कवरेज का विस्तार करने की सलाह दी। 134 जांच लिस्ट में 108 जांच उपलब्ध जांच सेवाओं की बात करें तो उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 13 प्रकार की जांच, जबकि जिला अस्पतालों में सूचीबद्ध 134 में से 108 जांचें उपलब्ध हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) भी बड़ी संख्या में जांच सेवाएं दे रहे हैं। इन सेवाओं को हब एंड स्पोक मॉडल के माध्यम से और मजबूत करने का सुझाव दिया गया। मानव संसाधन और बजट संरचना पर चर्चा मीटिंग में चिकित्सा विशेषज्ञों की उपलब्धता बढ़ाने और उनकी तैनाती को सुव्यवस्थित करने पर बल दिया गया। वर्तमान में हरियाणा अपने स्वास्थ्य बजट का लगभग 70 प्रतिशत वेतन पर खर्च करता है। इसे अन्य राज्यों के अनुरूप चरणबद्ध तरीके से 50 प्रतिशत तक लाने के लिए युक्तिसंगत भर्ती और योजना बनाने की सलाह दी गई। राज्य को सलाह दी गई कि दवा उपलब्धता पोर्टल को उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक पूर्ण रूप से लागू किया जाए, ताकि आम जनता को दवाओं की उपलब्धता की जानकारी मिल सके। लंबित मैपिंग कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए गए। चिकित्सा शिक्षा और पीपीपी पर फोकस भिवानी में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज के संचालन शुरू होने की जानकारी दी गई। केंद्रीय मंत्री ने हरियाणा में यूजी और पीजी मेडिकल सीटें बढ़ाने की सलाह दी। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पीपीपी सेल के साथ समन्वय कर डायग्नोस्टिक और अन्य सेवाओं में साझेदारी के अवसर तलाशने को कहा गया। मीटिंग में हरियाणा ने ये रखीं मांगें मीटिंग में केंद्र के समक्ष कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें हिसार में समर्पित टीबी अस्पताल, सीबीएनएएटी कार्ट्रिज की निर्बाध आपूर्ति, सर्वाइकल कैंसर रोकथाम हेतु एचपीवी वैक्सीन, कैंसर और एनसीडी प्रबंधन के लिए पीईटी/स्पेक्ट सुविधाएं, 15वें वित्त आयोग के समर्थन का विस्तार, दक्षिण हरियाणा के लिए लक्षित बुनियादी ढांचा सहायता, अतिरिक्त एम्बुलेंस, नवजात देखभाल इकाइयों (SNCU) का विस्तार, जिला स्तर पर मैमोग्राफी, ऑडियोलॉजी क्लिनिक, विशेष रोग क्लिनिक, फाइब्रोस्कैन सुविधाएं और सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए एकीकृत आईटी प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
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