बागपत जनपद के ट्रांसपोर्टरों ने वाहन फिटनेस सेंटर के निजीकरण का कड़ा विरोध दर्ज कराया है। बड़ी संख्या में ट्रांसपोर्टर आरटीओ मेरठ कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि फिटनेस सेंटर के निजीकरण से वाहन मालिकों, चालकों और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। ट्रांसपोर्टरों ने आरोप लगाया कि निजी कंपनियों को फिटनेस जांच का कार्य सौंपे जाने से जांच शुल्क में बढ़ोतरी होगी। इससे छोटे और मध्यम वाहन मालिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने आशंका जताई कि निजीकरण से मनमानी और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है, जिससे वाहन चालकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा सकता है। वर्तमान में सरकारी फिटनेस सेंटरों में व्यवस्था अधिक पारदर्शी और नियंत्रित है। प्रदर्शन कर रहे ट्रांसपोर्टरों ने यह भी कहा कि निजी फिटनेस सेंटरों के संचालन से रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ेगा। ट्रांसपोर्ट संगठनों का कहना है कि सरकार को ट्रांसपोर्टरों की समस्याओं को समझते हुए फिटनेस जांच प्रणाली को सरकारी नियंत्रण में ही रखना चाहिए, ताकि सभी वर्गों के लोगों को राहत मिल सके। ज्ञापन के माध्यम से ट्रांसपोर्टरों ने फिटनेस सेंटर के निजीकरण के निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो भविष्य में आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। इस अवसर पर कई ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिकारी और वाहन मालिक मौजूद रहे। आरटीओ मेरठ ने ट्रांसपोर्टरों का ज्ञापन प्राप्त करते हुए आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों तक भेजा जाएगा और उचित स्तर पर विचार किया जाएगा। इसके बाद ट्रांसपोर्टर शांतिपूर्ण तरीके से वापस लौट गए।
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