कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की बेटी और कांग्रेस नेत्री निधि चतुर्वेदी ने दिग्विजय सिंह के RSS संबंधी बयान को लेकर एक फेसबुक पोस्ट किया है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से दिग्विजय सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है। निधि ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह के बयान ने पार्टी की वैचारिक लड़ाई को कमजोर किया है। जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा है। निधि ने लिखा- दिग्विजय सिंह के हालिया बयान ने राहुल गांधी से लेकर उन तमाम जमीनी कार्यकर्ताओं के मुंह पर तमाचा मारा है, जो आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ सड़क पर लड़ रहे हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता होने के नाते उनकी यह जिम्मेदारी बनती थी कि वे पार्टी के वैचारिक संघर्ष को धार देते, न कि विपक्षी खेमे का गुणगान कर अपने ही कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ते।सुर्खियों में बने रहने की उनकी इस ‘ऊल-जलूल’ बयानबाजी ने आज हर सच्चे कांग्रेसी के आत्म-सम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई है। ‘20 साल में कांग्रेस को भीतर से खोखला किया’
फेसबुक पोस्ट में निधि ने आरोप लगाया कि पिछले दो दशकों से मध्य प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह का हस्तक्षेप लगातार रहा है। उन्होंने लिखा कि मध्य प्रदेश की राजनीति में यदि कोई एक चेहरा पिछले 10 सालों से लगातार हस्तक्षेप करता रहा है, तो वह दिग्विजय सिंह हैं। संगठनात्मक फैसले हों, नेतृत्व चयन हो या राजनीतिक दिशा तय करने की बात- हर जगह उनकी भूमिका निर्णायक रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि कई समर्पित और जमीनी नेता या तो हाशिए पर चले गए या राजनीति से ही बाहर हो गए। कांग्रेस को जितना नुकसान विपक्ष ने नहीं पहुंचाया, उतना दिग्विजय सिंह की अंदरूनी खींचतान और व्यक्ति-केंद्रित राजनीति ने किया। संघ-स्तुति संयोग या पारिवारिक डीएनए?
निधि चतुर्वेदी ने सवाल उठाया कि दिग्विजय सिंह की RSS की प्रशंसा महज संयोग है या उनके पारिवारिक डीएनए का असर। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि दिग्विजय सिंह का नाता उस ‘हिंदूवादी’ राजनीति से कितना पुराना है, जिसका वे विरोध करने का ढोंग करते हैं। The Saffron Tide सहित मध्य प्रदेश की राजनीति पर लिखी गई कई पुस्तकों और शोधपत्रों में उल्लेख मिलता है कि राघोगढ़ राजघराने की जड़ें हिंदू महासभा से जुड़ी रही हैं। दिग्विजय के पिता हिंदू महासभा के विधायक थे
निधि चतुर्वेदी ने लिखा कि RSS नेता राम माधव ने दिग्विजय सिंह के इस दोगले चेहरे को बेनकाब करते हुए PTI के हवाले से दावा किया था कि दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह हिंदू महासभा के विधायक थे और खुद दिग्विजय सिंह नगरपालिका अध्यक्ष का पद हिंदू महासभा के नामांकित सदस्य के रूप में संभाल चुके हैं। निधि ने लिखा- दरअसल, दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह 1951-52 के पहले आम चुनावों में राघोगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। हालांकि वे निर्दलीय थे, लेकिन उन्हें अखिल भारतीय हिंदू महासभा और भारतीय जनसंघ का खुला समर्थन था। उस दौर में रियासतों के कई शासक इसी विचारधारा के साथ राजनीति में सक्रिय थे। गोलवलकर से नजदीकी और परिवार का BJP कनेक्शन
निधि चतुर्वेदी ने दिग्विजय सिंह के एक इंटरव्यू का जिक्र करते हुए लिखा कि उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि RSS के दूसरे सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर उनके पिता के करीबी थे और राघोगढ़ किले में ठहरते थे। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की आत्मकथा भी इस बात की पुष्टि करती है कि बलभद्र सिंह जनसंघ और हिंदू महासभा के कितने निकट थे। निधि आगे लिखती हैं- इतना ही नहीं, दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह साल 2003 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। 2004 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते और सांसद बने। भले ही वे बाद में कांग्रेस में लौट आए। हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित हुए हैं। आज भी उनके कई बयान ऐसे होते हैं जो सीधे तौर पर भाजपा की विचारधारा से मेल खाते हैं। लाखों कार्यकर्ताओं की निष्ठा और मेहनत का अपमान
निधि न लिखा कि अखबारों में दिग्विजय सिंह यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने 1970 के दशक में ‘नेहरू वादी’ विचारधारा को चुना, लेकिन उनके कारनामे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। जब कांग्रेस का साधारण कार्यकर्ता बीजेपी और संघ की मशीनरी के खिलाफ लाठियां खाता है, तब उन्हीं की पार्टी का एक शीर्ष नेता उसी विरोधी विचारधारा को “शक्तिशाली” बताकर उसे ऑक्सीजन देता है। यह कृत्य उन लाखों कार्यकर्ताओं की निष्ठा और मेहनत का अपमान है। बीते वर्षों में दिग्विजय सिंह का आचरण लगातार यह संकेत देता रहा है कि वे स्वयं को पार्टी से ऊपर समझने लगे हैं। यह व्यवहार घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है
निधि ने आगे लिखा- अब समय आ गया है कि कांग्रेस हाईकमान अपनी ‘मौन’ संस्कृति को त्यागे। दिग्विजय सिंह का यह व्यवहार घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। पार्टी की साख और कार्यकर्ताओं के गिरे हुए मनोबल को बचाने के लिए यह अनिवार्य है कि कांग्रेस नेतृत्व तुरंत दिग्विजय सिंह को पार्टी से निष्कासित करे और उनके विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करे। कांग्रेस को अब ‘सामंती’ सलाहकारों की नहीं, बल्कि उन योद्धाओं की जरूरत है जिनके मन में विचारधारा को लेकर कोई संशय न हो। अब जानिए दिग्विजय सिंह के किस बयान पर विवाद हो रहा? RSS-BJP के संगठनात्मक ढांचे की सराहना की थी
दरअसल, दिग्विजय सिंह ने 27 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए RSS और BJP के संगठनात्मक ढांचे की सराहना की थी। तस्वीर में नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी दिखाई दे रहे हैं। अपनी पोस्ट में दिग्विजय सिंह ने लिखा था- यह बहुत ही प्रभावशाली तस्वीर है। किस प्रकार RSS का जमीनी स्वयं सेवक और भाजपा का कार्यकर्ता नेताओं की चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बना। यह “संघटन” की ताकत को दिखाता है।
कांग्रेस नेताओं ने दिग्विजय सिंह की आलोचना की
दिग्विजय सिंह के पोस्ट के बाद पार्टी के भीतर उनकी आलोचना होने लगी। उधर, कांग्रेस स्थापना दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिग्विजय का नाम लिए बिना कहा- कांग्रेस ने कभी संविधान, धर्मनिरपेक्षता और गरीबों के अधिकारों से समझौता नहीं किया है। खड़गे ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कभी धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगे और न ही मंदिर-मस्जिद के नाम पर नफरत फैलाई। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दिग्विजय के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कांग्रेस को गोडसे की विचारधारा से जुड़े संगठन से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। दिग्विजय से बोले राहुल- आपने गलत किया
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से बयान को लेकर आपत्ति जताई। दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान दोनों नेता आमने-सामने हुए थे। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, दिग्विजय सिंह से हाथ मिलाते समय राहुल गांधी ने उन्हें मजाकिया लहजे में कहा, ‘कल आपने गलत व्यवहार कर दिया।’ यह सुनकर आसपास मौजूद नेताओं की हंसी छूट गई। वहां सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। वे भी हंसने लगीं। फिर राहुल और दिग्विजय के बीच थोड़ी देर बातचीत हुई। दिग्विजय की सफाई- RSS-मोदी की नीतियों का घोर विरोधी हूं
विवाद बढ़ने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने सिर्फ संगठन की तारीफ की थी। उन्होंने कहा- मैं संगठन का समर्थन करता हूं। मैं RSS, PM मोदी और उनकी नीतियों के खिलाफ हूं। दिग्विजय सिंह ने कहा- विचारधारा को लेकर कोई मतभेद नहीं है। हम सभी कांग्रेस में एकजुट हैं। नेहरू-गांधी परिवार ऐसा परिवार है, जिसमें दो लोगों ने शहादत दी है। भाजपा नेहरू-गांधी परिवार के भीतर मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रही है। ये खबर भी पढ़ें… RSS पर कमेंट मामला, दिग्विजय से बोले राहुल-आपने गलत किया लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने RSS और भाजपा पर टिप्पणी को लेकर रविवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से आपत्ति जताई। दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान दोनों नेता आमने-सामने हुए थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… दिग्विजय ने मोदी की फोटो पोस्ट की:X पर लिखा- नेताओं के चरणों में बैठने वाला सीएम-पीएम बना राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक्स पर पीएम मोदी की एक फोटो पोस्ट की। इसमें लिखा-मुझे यह चित्र मिला। बहुत ही प्रभावशाली है। किस प्रकार RSS का जमीनी स्वयंसेवक व जनसंघ @BJP4India का कार्यकर्ता नेताओं की चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री व देश का प्रधानमंत्री बना। यह संघटन की शक्ति है। ..जय सिया राम। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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