मेरठ के दौराला में सोमवार की सुबह एक ऐसी ख़ामोशी लेकर आई, जिसने पूरे इलाके का दिल भारी कर दिया। जानी थाना क्षेत्र के गांव किठोली निवासी रेलवे सुपरवाइजर सुमित पुत्र कृष्ण पाल ने खेत में एक पेड़ से लटककर अपनी जीवन-लीला समाप्त कर ली। यह केवल एक मौत नहीं थी, बल्कि टूटे हुए भरोसे, असहाय प्रेम और लगातार बढ़ते मानसिक दबाव की दर्दनाक परिणति थी। परिजनों के मुताबिक सुमित का निकट के गांव की एक युवती से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। रिश्ते की डोर जब उलझनों और मुकदमों के बोझ तले दबती चली गई, तब भी सुमित उम्मीद की लौ थामे रहा। युवती द्वारा दर्ज कराए गए दो मुकदमों के बाद भी वह हर रोज़ कॉल करता, गिड़गिड़ाता, मनाने की कोशिश करता रहा। लेकिन जब हर दरवाज़ा बंद होता चला गया, तो उसके भीतर की आवाज़ और भी अकेली होती गई। सुमित का सोशल मीडिया अकाउंट आज उसकी टूटी आत्मा की डायरी बनकर सामने आया है। सुमित के सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसे पोस्ट हैं, जो किसी विदाई-पत्र से कम नहीं मैं थक गया हूँ, शायद मेरी जगह इस दुनिया में नही, माफ़ करना, अब और नहीं। हर शब्द में एक कराह, हर पंक्ति में एक आख़िरी उम्मीद झलकती है, जो किसी ने समय रहते नहीं सुनी। मृतक सुपरवाइजर सुमित के दोस्तों का कहना है कि सुमित शांत स्वभाव का, मेहनती और ज़िम्मेदार इंसान था। रेलवे की नौकरी, परिवार की ज़िम्मेदारियाँ और प्रेम, सब कुछ संभालते-संभालते वह भीतर से टूट चुका था। काश, किसी ने उसके दर्द को पढ़ लिया होता, काश किसी ने उसकी पोस्ट को मदद की पुकार समझ लिया होता। आज सुमित नहीं है। रह गई है उसकी माँ की सूनी आँखें, पिता का मौन और वह सोशल मीडिया अकाउंट जो पूछता है, क्या हम सच में सुनते हैं, या बस स्क्रॉल कर आगे बढ़ जाते हैं।
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