पीलीभीत के जिला गन्ना अधिकारी खुशी राम भार्गव ने गन्ना किसानों से शरदकालीन बुवाई के लिए रोगरोधी और अगेती किस्मों का सावधानीपूर्वक चयन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त होगी। रविवार को अधिकारी भार्गव ने गन्ना विकास परिषद बीसलपुर के ग्राम भसूड़ा स्थित आधार पौधशाला का सत्यापन किया। यह पौधशाला बसंतकाल में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर से प्राप्त गन्ना किस्म कोशा-18231 के बीज से स्थापित की गई थी। उन्होंने बताया कि कोशा-18231 एक जल्दी पकने वाली अगेती प्रजाति है, जिसमें शाखा निकलने की क्षमता उत्कृष्ट होती है। यह किस्म मिल योग्य स्वस्थ गन्ने देती है, इसकी सूखी पत्तियां आसानी से उतर जाती हैं और यह लाल सड़न व स्मट रोग के प्रति मध्यम रूप से रोगरोधी है। भार्गव ने जोर दिया कि वर्तमान में शरदकालीन बुवाई चल रही है, इसलिए किसानों को गन्ने की किस्म का चयन सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि गलत चुनाव पूरे साल की पैदावार को प्रभावित कर सकता है। शरदकालीन बुवाई के लिए कोशा-18231, कोलख-14201, कोशा-17231, कोलख-16202 और कोलख-94184 जैसी किस्में बेहतर पैदावार देती हैं। अधिकारी ने बताया कि जिले के गन्ना किसान शरदकालीन बुवाई के लिए कोलख-14201 किस्म को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह किस्म 10 से 11 माह में तैयार हो जाती है और इसमें चीनी का प्रतिशत 10.5 से 11.5 तक होता है। इसका गन्ना लंबा, मोटा और समान गांठों वाला होता है। यह किस्म लाल सड़न और पोक्का बोइंग रोग के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी है, साथ ही मध्यम जलभराव वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि बीज का चयन करते समय पौधशाला में कीट या रोग के प्रभाव की जांच अवश्य करें। बुवाई के लिए 8 से 10 माह पुराने गन्ने के ऊपरी हिस्से और दो आंखों वाले टुकड़ों का उपयोग करें। किसान पौध गन्ना विकास परिषद पीलीभीत, मझोला, बरखेड़ा, पूरनपुर व बीसलपुर के महिला स्वयं सहायता समूहों से भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए अपने सर्किल के गन्ना पर्यवेक्षक या ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक से संपर्क किया जा सकता है।
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