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मेरठ की वेंकटेश्वरा रेजीडेंसी पर तानाशाही का आरोप:अंदरखाने चल रहा विवाद सामने आया, आर-पार की लड़ाई का ऐलान

वेंकटेश्वरा रेजीडेंसी अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन और यहां रहने वाले परिवारों के बीच लंबे समय से चला आ रहा मनमुटाव अब खुलकर सामने आ गया है। अपार्टमेंट में रहने वाले परिवारों ने एसोसिएशन पर तानाशाही रवैया अपनाने के आरोप लगाते हुए विरोध का मोर्चा खोल दिया है। परिवारों का आरोप है कि एसोसिएशन की ओर से उन्हें धमकियां तक दी जा रही हैं। उनका कहना है कि वे जल्द ही जिलाधिकारी से मुलाकात कर पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराएंगे। जरूरत पड़ने पर जनप्रतिनिधियों से भी मदद ली जाएगी। पहले जानते हैं वेंकटेश्वरा रेजीडेंसी अपार्टमेंट को मेरठ के मेडिकल थाना क्षेत्र में गढ़ रोड पर वर्ष 2012 में वेंकटेश्वरा रेजीडेंसी अपार्टमेंट के फ्लैटों की बुकिंग शुरू हुई। करीब पांच वर्ष के इंतजार के बाद वर्ष 2017 में फ्लैट आवंटित कर दिए गए। आवंटन के बाद दिसंबर, 2020 में अपार्टमेंट एक्ट 2010 के अंतर्गत यहां की एसोसिएशन पंजीकृत हो गई। आरोप है कि हर वर्ष चुनाव हुए लेकिन घूम फिरकर कुछ लोग ही इसमें प्रमुख पदों पर आसीन दिखाई दिए, जिसका खामियाजा यहां के परिवार भुगत रहे हैं। मनमाना शुल्क थोपने पर बढ़ा विवाद वेंकटेश्वरा रेजीडेंसी के लोगों का आरोप है कि एसोसिएशन अपार्टमेंट की रंगाई पुताई के नाम पर मनमाना शुल्क थोप रही है। प्रति परिवार 30 हजार रुपये शुल्क मांगा गया है। ना देने पर प्रतिदिन के हिसाब से 100 रुपए लेट फीस लगा दी गई है। एसोसिएशन से पूछा जाता है तो कोई जवाब नहीं मिलता। जबकि उनका मत है कि पहले प्रोपर्टी RWA को ट्रांसफर हो। इसके बाद साधारण बैठक बुलाकर उसमें बिड के माध्यम से बजट निर्धारित करना चाहिए। एसोसिएशन-बिल्डर में मिलीभगत का आरोप पिछले लगभग चार साल से यहां एसोसिएशन व परिवारों के बीच विवाद चला आ रहा है। यहां रहने वाले विष्णु शर्मा बताते हैं कि RWA के जो नियम हैं, उनका यहां मजाक बना दिया गया है। नियमानुसार, बिल्डिंग यहां की एसोसिएशन को ट्रांसफर हो जानी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई। इसका लाभ बिल्डर द्वारा उठाया जा रहा है। वह अनधिकृत निर्माण करा रहे हैं। कार पार्किंग की जमीन पर दुकानों का निर्माण करा दिया है। अब मेंटीनेंस शुल्क के नाम पर तानाशाही हो रही है। हर कोई इस मीटिंग में अपनी बात नहीं रख सकता रविकांत बताते हैं कि यहां ऑनलाइन मीटिंग की आड़ में षड्यंत्र रचा जा रहा है। हर कोई इस मीटिंग में अपनी बात नहीं रख सकता। केवल YES या NO में ही जवाब दिया जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि एसोसिएशन ऑफ लाइन मीटिंग करे ताकि हर व्यक्ति को बोलने का अधिकार मिले। यहां के परिवारों के यह भी हैं आरोप यहां रहने वाली डॉ. निशा बताती हैं कि अपार्टमेंट में एक क्लब है। एक से डेढ़ वर्ष हो चुका है, जिसमें वह सभी महिलाएं एक्सरसाइज करने आती हैं लेकिन अब वह क्लब बंद कर ताला डाल दिया गया है। महिलाएं सवाल जवाब करती हैं तो उनसे अभद्रता की जाती है। जबकि उन सभी के पास यहां की मेंबरशिप है। बुजुर्ग व महिलाओं से अपशब्द बोलते डॉक्टर मोनिका कहती हैं कि यहां रहने वाले हर परिवार को अपनी बात रखने का हक है। लेकिन बिल्डर व एसोसिएशन के पदाधिकारी केवल एक दूसरे की सुनते हैं। जब भी कोई बात रखते हैं तो दबाने का प्रयास होता है। यहां कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एग्जीक्यूटिव कमेटी में ना होकर भी बुजुर्ग व महिलाओं से अपशब्द बोलते हैं। धमकाते हैं और नीचा दिखाने का काम करते हैं। कोई भी व्यक्ति केवल दो बार ही एसोसिएशन का अध्यक्ष बन सकता अरविंद कुमार शर्मा की मानें तो यहां एसोसिएशन का अध्यक्ष कोई भी व्यक्ति केवल दो बार ही बन सकता है। लेकिन वर्तमान अध्यक्ष का तीसरा कार्यकाल है। हर वर्ष मेन बॉडी के 9 लोगों में से एक तिहाई बदले जाने चाहिए, लेकिन वह भी जस के तस हैं।


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