मेरठ नगर निगम के गृहकर विभाग पर शहरवासियों द्वारा लगातार भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसी क्रम में कांशीराम कॉलोनी निवासी एक भवन स्वामी को 42 हजार रुपये का गृहकर बिल थमा दिया गया, लेकिन महापौर के हस्तक्षेप के बाद वही बिल महज दो घंटे में घटकर 5 हजार रुपये रह गया। इस पूरे प्रकरण ने निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहली बार आया था बिल
कांशीराम कॉलोनी निवासी चंद्रप्रभा पांडेय के नाम आवंटित भवन पर नगर निगम ने पहली बार गृहकर का बिल जारी किया। बिल में भवन नंबर सही था, लेकिन मालिक के नाम की जगह अजमत अली का नाम दर्ज था। इतना ही नहीं, चार साल का पुराना टैक्स और भारी ब्याज भी जोड़ दिया गया। चंद्रप्रभा के बेटे अमन पांडेय ने जब इस पर आपत्ति जताई तो आरोप है कि विभागीय अधिकारी ने बिल कम कराने के बदले रिश्वत की मांग की। दो घंटे में हुआ निस्तारण
अमन पांडेय ने सीधे महापौर हरिकांत अहलूवालिया से शिकायत की। महापौर ने मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम को फोन पर कड़ी फटकार लगाई। दिलचस्प यह रहा कि जो अधिकारी दो घंटे तक 42 हजार का बिल सही बता रहे थे, वे महापौर की नाराजगी के बाद पलट गए। आनन-फानन में स्वकर प्रपत्र भरवाया गया और बिल घटाकर 5 हजार रुपये कर दिया गया। अमन पांडेय ने सवाल उठाया कि जब पहली बार गृहकर का बिल आया है तो चार साल का बकाया और ब्याज किस आधार पर जोड़ा गया। उन्होंने साफ कहा कि वह पूर्व राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम की गैस एजेंसी में मैनेजर हैं और किसी भी कीमत पर रिश्वत
बिल की कराएंगे जांच
अपर नगर आयुक्त लवी त्रिपाठी ने कहा कि मामला गंभीर है और यह जांच की जाएगी कि बिल किन परिस्थितियों में कम किया गया। वहीं महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि गलत बिल बनने पर उन्होंने नाराजगी जताई, तब जाकर स्वकर प्रपत्र भरवाकर गृहकर बिल सुधारा गया।
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