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सीवान गौशाला में गायों को बेचने का आरोप:समाजसेवी ने कुप्रबंधन और सुविधाओं की कमी का दावा किया

सीवान शहर के बड़हरिया बस स्टैंड के समीप स्थित गौशाला को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। समाजसेवी किशोर सराफा ने रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में गौशाला प्रबंधन समिति पर कई संगीन आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि गौशाला में संरक्षित गायों को कथित तौर पर तस्करों के हाथों बेच दिया जाता है और वहां पशुओं के रख-रखाव की बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। सराफा के आरोपों के बाद जिले में इस गौशाला की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं। गौशाला में 79 गायें, सुविधाएं नाकाफी किशोर सराफा ने बताया कि वर्तमान में गौशाला में कुल 79 गायें मौजूद हैं, जिनमें 11 दुधारू और तीन गर्भवती गायें शामिल हैं। इसके बावजूद चारा खाने के लिए मात्र 12 नाद (चारा रखने की नांद) उपलब्ध हैं, जो मानकों के अनुरूप भी नहीं हैं। इतनी बड़ी संख्या में गायों के लिए नाद की संख्या बेहद कम होने से पशुओं को भोजन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई गायें भूखी रह जाती हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है। चारा और ठंड से बचाव की व्यवस्था नहीं समाजसेवी ने आरोप लगाया कि गौशाला में न तो पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध कराया जाता है और न ही ठंड से बचाव के लिए कोई समुचित व्यवस्था की गई है। कड़ाके की ठंड के बावजूद गायों को खुले में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल अमानवीय है, बल्कि पशु कल्याण नियमों का भी खुला उल्लंघन है। गौशाला जैसी संस्था से अपेक्षा की जाती है कि वहां पशुओं को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिले, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। शेड तोड़ा गया, इलाज की अनदेखी किशोर सराफा ने यह भी बताया कि बीते दिनों उन्होंने अपने खर्च से एक गाय के लिए शेड का निर्माण कराया था, ताकि उसे ठंड और बारिश से बचाया जा सके। आरोप है कि बाद में उस शेड को ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि गौशाला प्रबंधन का रवैया शुरू से ही उदासीन रहा है।इसके अलावा उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीमार और घायल गायों का समय पर इलाज नहीं कराया जाता। चिकित्सा सुविधा के अभाव में कई गायें घायल अवस्था में ही दम तोड़ देती हैं। उनका दावा है कि ऐसी बीमार या कमजोर गायों को भी कथित तौर पर तस्करों के हाथों बेच दिया जाता है। प्रशासनिक जांच में भी मिलीं खामियां इस पूरे मामले को लेकर किशोर सराफा ने 12 दिसंबर को सदर अनुमंडल पदाधिकारी को लिखित आवेदन दिया था। इसके बाद 16 दिसंबर को जांच अधिकारी द्वारा गौशाला का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान कई गंभीर कमियां सामने आईं। जांच के दौरान गौशाला प्रबंधन से आवश्यक पंजी और अभिलेख मांगे गए, लेकिन वे प्रस्तुत नहीं किए जा सके। पूछताछ में भी प्रबंधन की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। नोटिस जारी, तीन दिन में जवाब का निर्देश जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा गौशाला प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया और तीन दिनों के भीतर साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया। समाजसेवी किशोर सराफा ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाने के बाद उन्हें धमकियां भी मिल रही हैं। उन्होंने प्रशासन से सुरक्षा और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी निगाहें फिलहाल यह मामला प्रशासनिक जांच के दायरे में है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन गंभीर आरोपों पर क्या ठोस कार्रवाई करता है और गौशाला में संरक्षित गायों की दुर्दशा को सुधारने के लिए कब तक प्रभावी कदम उठाए जाते हैं। स्थानीय लोगों और पशु प्रेमियों की नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।


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