गाजीपुर में सोमवार को आयोजित हिंदू सम्मेलन में प्रमुख वक्ता स्वामी जितेन्द्रानंद ने महिला सम्मान पर बयान दिए। उन्होंने इस्लामिक शरिया कानून की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें दो महिलाओं की गवाही को एक पुरुष के बराबर माना जाता है। स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि शरिया से संचालित कई देशों में महिलाओं को “हाफ माइंड” की श्रेणी में रखा गया है। जिसे उन्होंने नारी सम्मान के सिद्धांतों के विपरीत बताया। स्वामी जितेन्द्रानंद ने अपने संबोधन में हिंदू संस्कृति की प्रशंसा की, जहां नारी को शक्ति, सम्मान और पूज्यता का स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि शरिया आधारित व्यवस्थाओं में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं और “हाफ माइंड” मानने जैसी सोच समानता के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है। उनके अनुसार, हिंदू समाज में नारी को देवी स्वरूप माना जाता है, जो भारतीय सभ्यता की मूल पहचान है। स्वामी जितेन्द्रानंद ने अमेरिका को “तथाकथित विकसित और सभ्य देश” बताते हुए वहां महिला अधिकारों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में आज तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बन पाई है और कई बार महिला उम्मीदवारों को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि, ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, अमेरिका में महिलाओं को मताधिकार वर्ष 1920 में मिला था, जबकि भारत में 1950 से ही महिलाओं को समान मतदान अधिकार प्राप्त हैं। भारत में इंदिरा गांधी जैसी महिला प्रधानमंत्री भी रह चुकी हैं। स्वामी जितेन्द्रानंद ने संबोधन के माध्यम से यह संदेश दिया कि महिला सम्मान के मुद्दे पर हिंदू समाज को कटघरे में खड़ा करना तथ्यात्मक रूप से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी को सदैव समानता, सम्मान और नेतृत्व के अवसर मिले हैं, जबकि कई अन्य व्यवस्थाओं में महिलाओं की स्थिति पर आज भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगे हुए हैं।
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