प्रबोधिनी एकादशी पर गंगा स्नान के लिए घाटों पर श्रद्धालु उमड़ पड़े। भोर से ही स्नान का क्रम शुरू हो गया,स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए कतार लगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने दान किया। प्रबोधिनी एकादशी पर ही चराचर जगत के पालनहार श्री हरि भी चार मास की योग निद्रा से जाग गये। श्री हरि के योग निद्रा से जागने के बाद मांगलिक कार्य भी शुरू जायेंगे। शहर के प्रमुख चौराहों, मोहल्लों में लगे गन्ने की अस्थाई दुकानों पर जमकर खरीददारी हुई। इस दिन तुलसी विवाह ज्योतिषाचार्य विनय पाण्डेय ने कहा – एकादशी व द्वादशी दोनों दिन तुलसी विवाह करने का विधान है, क्योंकि जिस नक्षत्र यानी उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में विवाह संपन्न होता है, वह 1 नवंबर को नहीं मिल रहा है, 2 नवंबर को दोपहर 2.30 के बाद इसके आने की वजह से 2 तारीख को ही तुलसी विवाह पूर्ण किया जाएगा। व्रत करने से लाभ ज्योतिषविद ने बताया कि इस दिन व्रत-उपवास रखकर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। व्रतकर्ता को प्रातःकाल समस्त दैनिक कार्यों को करके, स्वच्छ वस्त्र धारणकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के बाद देव प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए फिर भगवान विष्णु का पूजा-अर्चना करना चाहिए। उनकी महिमा में श्रीविष्णु सहस्रनाम, श्रीपुरुषसूक्त तथा श्रीविष्णुजी से सम्बन्धित मन्त्र ‘ॐ श्रीविष्णवे नमः’ का जप करना चाहिए तिथि विशेष के अनुसार पूजा-अर्चना करने पर मनोरथ की पूर्ति बताई गई है। कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से कार्तिक पूर्णिमा तक शुद्ध देशी घी के दीपक जलाने से जीवन के सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
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