कटरा के द पाम्स रिसोर्ट-रॉयल गार्डन में 18 से 28 दिसंबर तक चला 11 दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेला रविवार को धूमधाम से संपन्न हुआ। डिजिटल दौर में भी किताबों की दीवानगी साफ नजर आई। जब अंतिम दिन हजारों पुस्तक प्रेमी स्टॉल्स पर उमड़ पड़े। लोगों ने जमकर खरीदारी की। आयोजकों के मुताबिक मेले में करीब 40 लाख रुपए की पुस्तकों की बिक्री हुई। राजकमल, लोकभारती, वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ, रामकृष्ण मठ समेत देशभर के प्रमुख प्रकाशकों के स्टॉल्स ने खूब धूम मचाई। थीम ‘विज़न 2047: विकसित भारत-विकसित प्रदेश’ पर केंद्रित इस मेले ने साहित्यिक चर्चाएं, कवि सम्मेलन, पुस्तक विमोचन और बच्चों की निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों से ज्ञान का आदान-प्रदान किया। आयोजक मनोज सिंह चंदेल ने कहा कि ई-बुक्स के जमाने में भी मुद्रित किताबों पर पाठकों का भरोसा अटल है। सह-आयोजक मनीष गर्ग ने बताया कि प्रयागराज के अलावा आसपास के जिलों से भी भारी भीड़ रही। यह मेला न सिर्फ बिक्री का केंद्र बना, बल्कि सांस्कृतिक मंच भी। राजकमल प्रकाशन स्टाल के प्रतिनिधि ने बताया कि गुनाहों का देवता और रेत की मछली युवाओं के बीच ज्यादा पसंद की गई। बड़ी संख्या में प्रतियां बिकी हैं। प्रेम संबंधी उपन्यास के साथ ही जो एवरग्रीन किताबें जिनमें राग दरबारी, मैला आंचल, परसाई भी खूब बिकी हैं। छुट्टियों के दौरान छोटे बच्चों ने भी किताबें खरीदी हैं। सबसे ज्यादा कविताएं और कहानियां पसंद की गई। डायरेक्टर ने कहा कि पिछले साल से ज्यादा अच्छा यह साल रहा है। युवाओं में ज्यादा रुचि देखने को मिली है। प्रकाशकों के मुताबिक 38 से 40 लाख का कारोबार हुआ है।
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