लखनऊ से चोरी होने वाला ईरानी नस्ल का घोड़ा बरामद हुआ। कर्बला तालकटोरा से कीमती जुल्जनाह घोड़ा जिसे दुलदुल भी कहा जाता है चोरी हो गया था। जो उन्नाव के पास मौरांवा गांव से सही सलामत बरामद किया गया है। चोरी हुए घोड़े की FIR तालकटोरा थाने में दर्ज करवाई गई थी। मुकदमा में दर्ज होने के बाद लगातार पुलिस घोड़े की तलाश में जुटी हुई थी और तालकटोरा कर्बला के पूर्व मूतवल्ली की तरफ से घोड़ा ढूंढने वाले व्यक्ति को 50 हजार रुपये देने का ऐलान भी किया गया था। 24 दिसम्बर चोरी हुआ था दुल दुल सैयद फैजी ने बताया कि 24 दिसम्बर को जब से घोड़ा गायब हुआ है 5 लाख शिया समुदाय में गम की लहर थी। दुलदुल घोड़ा गायब होने के बाद शिया समुदाय के लोग बेहद मायूस थे । दुलदुल घोड़े के लिए कर्बला में , मस्जिदों में दुआ हो रही थी। इस दुआ का यह असर है कि लगभग 5 दिन बाद या घोड़ा सही सलामत बरामद हो गया है। दुल दुल घोड़े को उन्नाव से पूरी सुरक्षा के साथ वापस लखनऊ तालकटोरा कर्बला लाया गया। उसी अस्तबल में उसे रखा गया है जो खास दुल दुल के लिए तैयार किया गया था। शिया समुदाय की आस्था का केंद्र सय्यद फैजी ने बताया कि घोड़े को ले जाते हुए सीसीटीवी में व्यक्ति कैद हुआ था उसी के आधार पर इसकी तलाश हुई। इन्होंने बताया कि इस नस्ल के शहर में तीन ही घोड़े हैं मोहर्रम में शिया समुदाय के जितने जुलूस निकलते हैं उसमें यह दुल दुल घोड़ा सबसे आगे रहता है। दुल दुल को अकीदत से शिया समुदाय के लोग चूमते हैं , छूते हैं और मन्नत भी मांगा जाता है। जब यह गायब हुआ तो इसके लिए भी मन्नत मांगी गई और अब यह मन्नत पूरी हो गई। ‘औलाद की तरह दुल दुल को पाला’ दुलदुल की देखभाल करने वाले गामा ने बताया कि इस दुलदुल को हम औलाद की तरह पाल रहे हैं। जितने दिन यह हमसे दूर रहा हमारा खाना पानी सब छूट गया। 5 दिनों तक हम बहुत बेचैन और परेशान रहे। अस्तबल सूना देख आंखों से आंसू जारी हो जाते थे। हमारे पैरों की आहट सुनकर ही यह दूर से आवाज निकालने लगता है। जब तक हम दुल दुल को दाना पानी नहीं दे देते तब तक हम खुद खाना नहीं खाते। इन्होंने बताया कि खाने में दुलदुल को दूध , चना , चोकर , भूसी और हरी घास देते हैं। दुलदुल को अब अपने सामने देखकर फिर से राहत की सांस ले रहे हैं।
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