प्रयागराज में 3 जनवरी से माघ मेला शुरू हो रहा है। मेला करीब 800 हेक्टेयर जमीन पर बसेगा। मेला शुरू होने से पहले साधु-संत व विभिन्न संस्थाओं से जुड़े लोग नाराज हैं। वजह, माघ मेले में जमीन और सुविधा न मिलना है। यही कारण है कि 20 दिनों से मेला प्राधिकरण में हंगामा हो रहा है। इसकी शुरुआत सबसे पहले खाक चौक के संतों से हुई। वह धरने पर बैठे गए थे। इसके बाद तीर्थ पुरोहितों ने विरोध किया। शनिवार को मेला कार्यालय के बाहर हंगामा हुआ। इसके बाद मेला कार्यालय के बाहर बैरिकेडिंग कर दी गई। सभी को वहां जाने से रोक दिया गया है। संत क्यों विरोध कर रहे हैं? जमीन के लिए आखिर मारामारी क्यों है? प्रशासन की तैयारी कैसी है? ये जानने के लिए पढ़िए रिपोर्ट… अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिस माघ मेले को 800 हेक्टेयर जमीन में बसाने की तैयारी है उसमें जमीन के लिए क्यों मारामारी है। पहले पढ़िए…संतों का पक्ष क्या है
पुष्कर पीठाधीश्वर, महंत श्रवण देवाश्रम, दंडी स्वामी काशी ने कहा, कि बहुत पुरानी संस्था है मेरी पुष्कर मठ के नाम से। तीन दिसंबर को हमें माघ मेले में जमीन मिल गई थी। हमें सुविधा नहीं मिल रही है। टीन तक नहीं दिया गया है। शासन प्रशासन का चक्कर लगाते-लगाते थक गया हूं। सुविधा में हम टीन बाड़ा और स्टील पंडाल मांग रहे हैं लेकिन अभी तक नहीं मिल सका। यहां आने पर बताया जाता है कि बड़े साहब से मिलिए, छोटे साहब से मिलिए। रात 11 बजे तक यहां मेला कार्यालय पर रहा हूं कि लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। आचार्य शनि शुक्ला कहते हैं चार दिन पहले ही जमीन मिली है। प्रतिदिन सुविधा के लिए यहां चक्कर लगाना पड़ रहा है। टीन बाउंड्री व टीन का किचेन मांग रहा हूं। तीन जनवरी से माघ मेला शुरू हो जाएगा, तैयारी अभी कुछ भी नहीं है। 2 दिसंबर से जमीन के लिए लगा रहा हूं चक्कर
वृंदावन से आए गोपाल नंद गिरि महराज ने कहा, मैं 1998 से निरंजनी अखाड़े से यहां आ रहा हूं। मैं 2 दिसंबर से मेला प्राधिकरण कार्यालय पर आ रहा हूं, लेकिन जमीन और सुविधा के संबंध में किसी अधिकारी ने कुछ सुना। गोपाल नंद गिरि ने आरोप लगाया कि जमीन व सुविधा लेने के लिए रुपये डिमांड की जा रही है। क्या यही सनातन की सरकार है। संतों को लात मारकार भगाया जा रहा है। जहां जूता चप्पल रखा जाता है वहां हम जमीन पर बैठकर अफसरों के आने का इंतजार कर रहे हैं। पूरा सिस्टम भ्रष्ट है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। 46 संस्थाओं को पहले ही दे दी जमीन
निराश्रय फाउंडेशन से शिवसागर शुक्ला कहते हैं, हमारी संस्था की तरफ से इस बार के माघ मेले में पहली बार शिविर लगाने की तैयारी है। मेले में जमीन लेने के लिए बहुत कठिन प्रक्रिया है यहां। यहां पता चला कि जमीन चाहिए तो पेट्रोल छिड़कना होगा या धरना प्रदर्शन करना होगा। सामान्य तरीके से जमीन व सुविधाएं यहां नहीं मिल पा रही हैं। यहां बताया गया कि 26 दिसंबर से नई संस्थाओं को जमीन दी जाएगी लेकिन एक दिन पहले यानी 25 को ही 46 नई संस्थाओं को जमीन दे दी गई। ऐसा क्यों किया गया? प्राधिकरण 4900 संस्थाओं को जमीन दे चुका
मेला प्राधिकरण का दावा है कि जमीन आवंटन का काम अब पूरा हो चुका है। 4900 संस्थाओं को जमीनें आवंटित की जा चुकी है। इसकी सूचना भी शनिवार को मेला प्राधिकरण कार्यालय पर चस्पा कर दी गई है। सूचना में लिखा है- भूमि आवंटन संबंधित कार्य पूरा हो चुका है। मूलभूत सुविधाओं के लिए सेक्टर कार्यालय में संपर्क करें। रविवार को भी पूरे दिन लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मेला प्राधिकरण कार्यालय का चक्कर लगाते रहे, लेकिन कोई अधिकारी नहीं मिला। अब ऐसे में मूलभूत सुविधाओं के लिए किससे मिलें कोई बताने वाला नहीं है। 2 दिसंबर से चल रही जमीन आवंटन की प्रक्रिया
माघ मेले के लिए 2 दिसंबर से जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। 2 से 4 दिसंबर तक दंडी स्वामी नगर (दंडी बाड़ा), 5 व 6 दिसंबर को आचार्य स्वामी नगर (आचार्यबाड़ा) व 7 से 9 दिसंबर तक खाक चौक के संतों को माघ मेले के लिए भूमि आवंटित की गई थी। इसके बाद तीर्थ पुरोहितों को जमीन दी गई थी जिनके यहां कल्पवासियों के रहने की व्यवस्था होती है। फिर पुरानी संस्थाओं को और इसके बाद 26 से 28 तक नई संस्थाओं को जमीन देने की प्रक्रिया पूरी की गई। CM ने 15 दिसंबर तक कार्य पूरा करने के दिए थे निर्देश
पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज में माघ मेले के कार्यों की समीक्षा बैठक करने पहुंचे थे। उन्होंने यहां अधिकारियों को 15 दिसंबर तक कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी भी मेला पूरी तरह से नहीं बस पाया है। हकीकत तो यह है कि पहला स्नान पर्व यानी तीन जनवरी (पौष पूर्णिमा) आधी- अधूरी तैयारियों के बीच ही आयोजित होगा। अभी कुछ विशेष लोगों की बात छोड़ दी जाए तो शिविरों में मूलभूत सुविधाएं (टीन शेड, नल, शौचालय आदि) नहीं पहुंच सकी हैं। अब सुविधाओं पर रहेगा जोर
वहीं, मेलाधिकारी ऋषि राज का कहना है कि जमीन आवंटन का कार्य पूरा हो चुका है। अब सुविधा पर्ची तेजी से दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इस संबंध में अपर मेला अधिकारी डॉ. दयानंद प्रसाद से संपर्क करने का प्रयास किया गया है लेकिन उनका कॉल रिसीव नहीं हुआ। कुछ इस तरह होगा माघ मेले का स्वरूप तीन जनवरी से 15 फरवरी तक रहेगा मेला
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