साल 2025 विदा ले रहा है और 2026 दस्तक देने को तैयार है। 2025 यूपी की राजनीति में विवाद, बगावत और बड़े संदेशों का साल साबित हुआ। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक दिखे। मिल्कीपुर उपचुनाव ने भाजपा को यह कहने का मौका दिया कि लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार सिर्फ एक झटका थी, स्थायी नुकसान नहीं। पूरे साल सहयोगी दलों की नाराजगी सामने आती रही। कहीं बयानबाजी हुई, तो कहीं खुली बगावत। समाजवादी पार्टी ने बागियों पर सख्ती दिखाई, तो मुख्यमंत्री योगी की तारीफ करने पर विधायक पूजा पाल को बर्खास्त कर दिया। राजा भैया का पारिवारिक विवाद, चंद्रशेखर आजाद और रोहिणी घावरी का सोशल वार, आजम खान की जेल से रिहाई और फिर वापसी हर महीने सियासत गरमाती रही। साल का सबसे बड़ा राजनीतिक कमबैक मायावती का रहा। कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में लाखों की भीड़ जुटाकर उन्होंने न सिर्फ विरोधियों, बल्कि अपने समर्थकों को भी चौंकाया। कोडीन कफ सिरप मामला विधानसभा से लोकसभा तक में गूंजा। ठाकुर विधायकों की ‘कुटुंब परिवार’ बैठक और ब्राह्मण सहभोज ने भाजपा को डैमेज कंट्रोल मोड में ला दिया। ये यूपी की बड़ी राजनीतिक कहानियां हैं। इनसे 2025 का पूरा साल आपके सामने से पन्नों की तरह गुजर जाएगा… अपना दल ने अपनी ही सरकार को घेरा, लगाए आरोप
साल की शुरुआत में ही अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल और उनके पति, तकनीकी शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, अपनी ही सरकार के खिलाफ आमने-सामने आ गए थे। विवाद तब बढ़ा, जब अनुप्रिया की बहन और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने विधानसभा पर धरना दिया था। इस दौरान पल्लवी ने आशीष पटेल पर नियमों के खिलाफ लेक्चरर्स को पदोन्नत कर विभागाध्यक्ष बनाने के आरोप लगाए थे। साथ ही शिकायत राज्यपाल को सौंपी थी। आशीष पटेल ने इसे सरकार के इशारे पर रची गई साजिश बताया और सीधे STF को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा था कि अगर उनके खिलाफ षड्यंत्र हुआ तो वे डरेंगे नहीं, लड़ेंगे। आशीष ने आरोप लगाया था कि 1700 करोड़ रुपए खर्च कर उनकी छवि खराब की जा रही। सूचना विभाग का दुरुपयोग हो रहा। उन्होंने दो टूक कहा था- आपके पास तंत्र है, मेरे पास जनतंत्र। लड़ाई में जनतंत्र ही जीतेगा। सपा सांसद के बेटे को हराया, भाजपा की वापसी का संदेश
लोकसभा चुनाव- 2024 में अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा था। अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद भी भाजपा की हार को सपा, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया था। लेकिन, अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के चंद्रभानु प्रसाद ने अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को हरा दिया था। यह सीट जीतने के बाद भाजपा ने एक बार फिर संदेश दिया कि अयोध्या में उसकी पकड़ बरकरार है। निषाद पार्टी के प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद ने की आत्महत्या
फरवरी-2025 में महराजगंज में रहने वाले निषाद पार्टी के प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद ने आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि फर्जी मामलों ने उनका और उनके अपनों का जीवन बर्बाद कर दिया। पोस्ट में उन्होंने मंत्री संजय निषाद, उनके दोनों बेटे और सांसद प्रतिनिधि जेपी निषाद पर गंभीर आरोप लगाए थे। पुलिस ने मामले में जेपी निषाद समेत 3 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। घटना ने प्रदेश सियासत में हलचल मचा दी थी। हेट स्पीच में अब्बास अंसारी की सदस्यता छिनी, फिर वापस मिली
मऊ MP/MLA कोर्ट ने 31 मई को भड़काऊ भाषण मामले में अब्बास अंसारी को 2 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अगले दिन 1 जून को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अब्बास की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 अगस्त को सजा पर रोक लगा दी। फिर 8 सितंबर को विधानसभा सचिवालय ने अब्बास की सदस्यता बहाल कर दी। सपा ने पहले 3 बागी, फिर योगी की तारीफ पर पूजा पाल को निकाला
सपा ने अनुशासनहीनता पर कड़ा रुख अपनाया। जून में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन के खिलाफ वोटिंग करने के आरोप में तीन विधायकों को पार्टी से बाहर कर दिया। इनमें अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह, अमेठी की गौरीगंज सीट से राकेश सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से मनोज पांडेय शामिल थे। इन पर आरोप था कि फरवरी- 2024 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। इससे सपा का तीसरा उम्मीदवार हार गया था। इसके बाद अगस्त में ‘विकसित यूपी’ पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी की प्रशंसा करने पर कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को भी पार्टी से निकाल दिया गया। पूजा पाल के पति राजू पाल की हत्या अतीक अहमद ने कराई थी। वहीं, क्रॉस वोटिंग के आरोपी विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य और राकेश पांडेय अभी भी सपा में बने हुए हैं। अपना दल पर मंडराया टूट का संकट
अपना दल से जुड़े बागी नेताओं ने साल के बीच में अलग मोर्चा खोल दिया। अपना दल बलिहारी के अध्यक्ष धर्मराज पटेल, जनसरदार पार्टी प्रमुख हेमंत चौधरी, अपना दल यूनाइटेड के अध्यक्ष बच्चा सिंह पटेल समेत कई नेता इसमें शामिल रहे। संयोजक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने 1 जुलाई को लखनऊ प्रेस क्लब में ‘अपना मोर्चा’ संगठन का ऐलान करते हुए दावा किया कि अपना दल (एस) के 9 विधायक उनके संपर्क में हैं। हालांकि, अगले ही दिन पार्टी संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती पर अनुप्रिया पटेल और आशीष पटेल ने 13 विधायकों को अपने मंच पर बुला लिया। इससे साफ संदेश गया कि संगठन पर उनकी पकड़ मजबूत है। इसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष आरपी गौतम ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बागियों पर कार्रवाई की मांग की। जिसमें ब्रजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्या और पूर्वांचल विकास बोर्ड सदस्य अरविंद बौद्ध के नाम भी शामिल थे। आजम खान : एक केस में रिहा, लेकिन फिर जाना पड़ा जेल
72 मामलों में जमानत मिलने के बाद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान सितंबर में सीतापुर जेल से रिहा हुए थे। लेकिन, नए केस और पुरानी सजाओं के चलते नवंबर में उन्हें फिर जेल जाना पड़ा। रिहाई के बाद आजम के तीखे और चुटीले बयानों ने सियासी माहौल गरमा दिया था। रामपुर सांसद को लेकर दिए गए उनके बयान भी खूब सुर्खियों में रहे। इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद रामपुर पहुंचे और आजम खान से मुलाकात की थी। दोनों के बीच बंद कमरे में करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। इस दौरान आजम खान ने अपनी पत्नी और बेटे को भी बाहर कर दिया। इस बातचीत ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को और तेज कर दिया। नगीना सांसद पर गंभीर आरोप, चर्चा में रहीं रोहिणी
आजाद पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर व इंदौर की डॉ. रोहिणी घावरी के बीच चला सोशल वार साल का सबसे चर्चित राजनीतिक-निजी विवाद रहा। रोहिणी का दावा है कि 2020 में उनकी चंद्रशेखर से मुलाकात हुई थी। तीन साल तक दोनों रिश्ते में रहे। आरोप है, चंद्रशेखर ने खुद को अविवाहित बताकर शादी का झांसा दिया और यौन शोषण किया। रोहिणी ने मानसिक उत्पीड़न, करियर बर्बाद करने की कोशिश और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर चैट, फोटो और कथित ऑडियो क्लिप्स साझा कीं। उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) में शिकायत भी दर्ज कराई। नवंबर में मुजफ्फरनगर रैली से पहले रोहिणी ने मंच पर आने की चुनौती दी, लेकिन वीजा अड़चन के चलते नहीं पहुंच सकीं। उन्होंने चंद्रशेखर पर भाजपा से साठगांठ और बसपा में विलय कर सुप्रीमो बनने की महत्वाकांक्षा के आरोप भी लगाए। चंद्रशेखर की ओर से सार्वजनिक प्रतिक्रिया सीमित रही। उन्होंने कहा कि वे अदालत में जवाब देंगे और रोहिणी के खिलाफ छवि धूमिल करने का मुकदमा भी दर्ज कराया। राजा भैया का पारिवारिक विवाद सड़क पर
कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के बीच चल रहा विवाद इस साल सुर्खियों में रहा। दोनों के बीच तलाक का मामला अदालत में है। पहली बार इस टकराव में राजा भैया के बेटे-बेटियां भी सोशल मीडिया पर आमने-सामने आ गए। राजा भैया के बेटे शिवराज और बृजराज उनके साथ रहते हैं, जबकि बेटियां राघवी और बृजेश्वरी मां भानवी के साथ हैं। विवाद की शुरुआत तब हुई, जब भानवी सिंह ने पीएमओ को पत्र लिखकर राजा भैया पर अवैध हथियार रखने और शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए। साथ ही सीबीआई जांच की मांग की। जवाब में एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए भानवी पर संपत्ति के लालच और परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया। इसके बाद बेटों ने भानवी से जुड़े कुछ वीडियो साझा कर आरोप लगाए, तो भानवी ने अपने पिता का वीडियो जारी कर सफाई दी। फिर बेटी राघवी ने वीडियो पोस्ट कर यूपी पुलिस और पिता के करीबियों पर उत्पीड़न, धमकी और फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के आरोप लगाए। साथ ही मुख्यमंत्री योगी से हस्तक्षेप की अपील की। इसके जवाब में राजा भैया के बेटों ने बहन राघवी के आरोपों का पलटवार किया। उन्होंने कथित ऑडियो और पिता के साथ राजस्थान दौरे की बहनों की पुरानी तस्वीरें पोस्ट कर व्यंग्य किया कि वे पिता से कितनी ‘प्रताड़ित’ हैं। विज्ञापन में नाम नहीं छपा तो दीपोत्सव में शामिल नहीं हुए दोनों डिप्टी CM
अयोध्या दीपोत्सव में योगी सरकार के डिप्टी CM केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल नहीं हुए। नाराजगी का कारण विज्ञापन में उनके नाम का न छपना बताया गया। दोनों ने पार्टी के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व को भी बताया। वहीं, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी अपना दौरा रद्द कर दिया। इससे सरकार में गुटबाजी और खींचतान उजागर हो गई थी। कानपुर सांसद और राज्यमंत्री के पति मीटिंग में भिड़ गए
यूपी की राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला, उनके पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी का कानपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले सिंह के साथ विवाद पूरे साल सुर्खियों में रहा। विवाद तब शुरू हुआ, जब कानपुर देहात के अकबरपुर थाने में कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। इस पर मंत्री प्रतिभा शुक्ला पति के साथ धरने पर बैठ गईं। इसी दौरान अनिल शुक्ला और सांसद भोले के बीच फोन पर तीखी बहस हुई। दो महीने पहले कानपुर देहात में दिशा की बैठक में ये खींचतान हाथापाई में बदल गई। पूर्व सांसद अनिल शुक्ला और सांसद देवेंद्र सिंह भोले में पहले बहस हुई थी। सांसद ने गुस्से में कहा कि अगर गुंडों की बात की जाएगी, तो मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं। मैं कानपुर देहात का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर हूं। मौके पर मौजूद डीएम कपिल सिंह और एसपी श्रद्धांजलि पांडे ने स्थिति को काबू में किया। विवाद के कारण दिशा की बैठक रद्द करनी पड़ी। अयोध्या श्रीराम मंदिर में फहराई धर्मध्वजा
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने राममंदिर का शास्त्रीय शैली में निर्माण पूरा हो गया है। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर पर धर्मध्वजा फहराकर औपचारिक उद्घाटन किया। इस मौके पर आरएसएस और भाजपा ने यह संदेश भी दिया कि ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का संकल्प पूरा हो गया। पीएम मोदी इतने विह्वल दिखे के धर्मध्वजा फहराते समय उनके हाथ कांप रहे थे। राम मंदिर हमेशा से राजनीति का सेंटर पॉइंट रहा है। लोकसभा में झटका खाने के बाद भाजपा ने बनाया कुर्मी प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा ने 11 महीने के इंतजार के बाद 14 दिसंबर को केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री एवं महराजगंज से 7वीं बार सांसद पंकज चौधरी को यूपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। कुर्मी जाति से संबंध रखने वाले पंकज चौधरी के नेतृत्व में पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में खिसके कुर्मी वोट बैंक को फिर से मजबूत करने की उम्मीद है। इससे पहले मार्च और नवंबर में भाजपा ने 84 जिलों में नए जिलाध्यक्ष भी नियुक्त किए थे। बिहार चुनाव में डिप्टी सीएम केशव की मेहनत रंग लाई
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भाजपा में प्रभाव इस साल और बढ़ा। उन्हें बिहार चुनाव में पार्टी का सह-प्रभारी बनाया गया, जहां एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला। इसके बाद भाजपा विधायक दल की बैठकों के लिए उन्हें पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया। केशव के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और पूर्व मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक बनाया गया था। चर्चा में रहे राजभर, बिहार में NDA के खिलाफ लड़ी चुनावी जंग
योगी सरकार में पंचायतीराज मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर चर्चा में रहे। एबीवीपी के खिलाफ दिए बयानों से नाराज कुछ कार्यकर्ताओं ने राजभर के घर घेराव और पथराव किया। शुरुआत में राजभर ने नाराजगी जताई, लेकिन सरकार के दखल के बाद हालात शांत हो गए। राजभर बिहार चुनाव के दौरान भी सुर्खियों में रहे। यूपी के एनडीए सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष राजभर ने बिहार में अपनी पार्टी को गठबंधन के खिलाफ मैदान में उतारा। चुनाव प्रचार के दौरान उनके भाजपा पर वादाखिलाफी के आरोप चर्चा में रहे। हालांकि परिणाम सुभासपा के लिए बेहद नकारात्मक रहे, सभी उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच सकी। संजय निषाद ने दी गठबंधन तोड़ने की चेतावनी, बयानों की भी रही चर्चा
योगी सरकार में मत्स्य मंत्री और निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद ने भाजपा के निषाद नेताओं की बयानबाजी पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने गठबंधन तोड़ने की चेतावनी दी। इसके बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया। संजय निषाद के विवादित बयानों की भी चर्चा रही। संजय निषाद ने 30 नवंबर को बलिया में कहा था- बलिया के लोग अंग्रेजों की दलाली करते थे, आज भी दलाली का सिस्टम है, इसलिए बलिया बर्बाद है। इसके अलावा बिहार में मुस्लिम युवती के हिजाब हटाने पर उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी। जिससे चारों तरफ उनकी आलोचना हुई और बाद में उन्होंने माफी मांगी थी। मार्च में संवैधानिक अधिकार यात्रा के दौरान सुल्तानपुर में उन्होंने सात दरोगाओं के हाथ-पैर तुड़वाकर गहरे गड्ढे में फिंकवाने का बयान दिया था, वह भी विवादित रहा था। मायावती का कमबैक, आकाश फिर पार्टी में नंबर-2 बने
2025 बसपा के लिए राजनीतिक संजीवनी लेकर आया। लगातार हार से निराश कार्यकर्ताओं को मायावती ने 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में जुटाई लाखों की भीड़ से नया जोश दिया। संगठनात्मक फेरबदल में उन्होंने विश्वनाथ पाल को लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनाया। मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक लेकर सीधे मुस्लिम वोटरों से भाजपा को हराने की अपील की। भतीजे आकाश आनंद भी सालभर चर्चा में रहे। फरवरी में उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला गया। फिर 3 मार्च को आकाश को भी निष्कासित किया गया। 13 अप्रैल को आकाश ने मायावती से माफी मांगी। 18 मई को उन्हें नेशनल चीफ कोऑर्डिनेटर बनाया गया। 28 अगस्त को आकाश को राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया। उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की भी वापसी हुई और उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर का दायित्व मिला। कांग्रेस ने एमएलसी चुनाव में प्रत्याशी घोषित किए सपा के साथ महागठबंधन कर यूपी लोकसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़ने वाली कांग्रेस ने अब त्रिस्तरीय पंचायत और एमएलसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। पार्टी ने एमएलसी चुनाव के लिए अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के जरिए बूथ स्तर तक अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति शुरू कर दी है। कफ सिरप मुद्दे पर वार-पलटवार
यूपी में कोडीन कफ सिरप के अवैध कारोबार को लेकर 28 जिलों में 107 एफआईआर दर्ज हुईं। इस मामले में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के करीबी आलोक सिंह और अमित सिंह ‘टाटा’ की गिरफ्तारी से सियासत गरमा गई। धनंजय के राजनीतिक विरोधी अभय सिंह ने उन्हें ‘कोडीन भैया’ और पूर्वांचल का बाहुबली कहकर तंज कसा। इसके बाद सपा ने इसे मुद्दा बनाकर योगी सरकार पर हमला बोला। सपा सांसदों ने लोकसभा में मामला उठाया और विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी विधायकों ने सीधे धनंजय सिंह पर आरोप लगाए। जवाब में मुख्यमंत्री योगी ने मोर्चा संभालते हुए कोडीन कफ सिरप के आरोपियों से जुड़े सपा नेताओं के नाम सार्वजनिक किए। उन्होंने कहा कि कार्रवाई होगी तो चिल्लाना नहीं चाहिए। साफ संकेत दिए कि बुलडोजर एक्शन से सरकार पीछे नहीं हटेगी। कुटुंब परिवार VS सहभोज बना भाजपा की गले की फांस
मानसून सत्र के दौरान क्षत्रिय विधायकों ने ‘कुटुंब परिवार’ के नाम से अलग बैठक की, जिसमें करीब 40 ठाकुर विधायक शामिल हुए। अलग-अलग दलों के विधायकों की मौजूदगी वाली इस बैठक की खबर सामने आते ही सियासी हलकों में हलचल मच गई थी। तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे थे। इसके बाद साल के अंत में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद कुशीनगर में भाजपा विधायक पंचानंद पाठक के आवास पर 40-50 ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी का सहभोज हुआ। इसकी खबर बाहर आते ही भाजपा में हड़कंप मच गया। प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने नाराजगी जताई। अब केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर ठाकुर-ब्राह्मण का संयुक्त सहभोज और गेट-टू-गेदर कराया जाएगा, जिसमें अन्य समाजों के विधायक भी शामिल होंगे। ———————— ये खबर भी पढ़ें- उन्नाव रेप पीड़ित का मां-चाचा से भी झगड़ा हुआ, कुलदीप सेंगर के खिलाफ 9 साल कानूनी लड़ाई लड़ी उन्नाव के बहुचर्चित रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड कर दी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि कुलदीप ने अपनी पावर और पैसे का इस्तेमाल करके यह सब कराया है। सबको पैसे खिलाए हैं। दूसरी तरफ कुलदीप के पक्ष के लोग कहते हैं कि कोर्ट का फैसला तथ्यों के साथ आया है। तथ्यों को झुठलाया नहीं जा सकता। पढ़ें पूरी खबर
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