DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

क्या यूपी में चुनाव लड़ पाएगा कुलदीप सेंगर:रेप मामले में ही मिली जमानत, हत्या के आरोप में अभी जेल में रहेगा

उन्नाव रेप केस में भाजपा नेता और बांगरमऊ से तत्कालीन विधायक कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड कर दी गई। हालांकि, इसके बाद भी वो जेल से बाहर नहीं आ पाया। क्योंकि, रेप पीड़ित के पिता की हत्या के मामले में सेंगर उम्रकैद की सजा काट रहा। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कुलदीप सेंगर 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ सकता है? दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिलने का क्या मतलब है? सीबीआई अब क्या करेगी? दूसरे कौन-कौन से मामले चल रहे हैं, उनमें क्या सजा हो सकती है? सीबीआई के पास ऐसे क्या सबूत थे, जिससे सजा हुई थी? पहले जानिए, क्या कुलदीप सेंगर चुनाव लड़ सकता है? इसका जवाब है ‘नहीं’। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील शारिक अब्बासी कहते हैं- कुलदीप सेंगर की रेप के मामले में मिली सजा को निलंबित रखा गया है। इसके आधार पर उस केस में जमानत मिली है। अपील दोषसिद्ध पर रोक लगाने की भी की गई थी, लेकिन उसमें राहत नहीं मिली। ऐसे में वह अदालत की निगाह में अभी तक दोषी है। इसके अलावा भी सेंगर रेप पीड़ित के पिता की कस्टोडियल डेथ के मामले में 10 साल की कैद की सजा काट रहा है। इसलिए फिलहाल जेल से बाहर भी नहीं आ सकता। अगर हत्या के मामले में भी कुलदीप को किसी तरह की राहत मिलती है, तभी रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है। भारत के रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत, 2 साल से अधिक सजा होने पर चुनाव लड़ने की अयोग्यता लागू रहती है। ऐसे में कुलदीप सेंगर न तो अभी जेल से बाहर आ सकता है और न ही 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट से राहत का क्या असर पड़ेगा?
हाईकोर्ट से मिली राहत के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। एक वर्ग का अब भी मानना है कि कुलदीप सेंगर बेगुनाह है। वह साजिशों का शिकार हुआ है। इन्हीं में से एक हैं गोंडा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह। बृजभूषण कहते हैं- कुलदीप सेंगर के साथ अन्याय हुआ था। साजिश हुई थी। जैसे मेरे खिलाफ विश्व व्यापी षडयंत्र हुआ था। लेकिन मेरे साथ मेरी जनता खड़ी हो गई थी, जिससे मैं उस केस से बाहर निकल गया। लेकिन सेंगर उस षडयंत्र से बाहर नहीं निकल पाए। बृजभूषण ने दावा किया कि षडयंत्रकारी आज भी षडयंत्र कर रहे हैं। वे कहीं से प्रेरित हैं, उनके पीछे कोई है। उन्होंने पीड़िता के धरने पर भी सवाल उठाया। कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान सबको करना चाहिए। धरना-प्रदर्शन से कुछ होने वाला नहीं। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की एसएलपी
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि कुलदीप सिंह सेंगर को दिसंबर, 2019 में उम्रकैद की सजा और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। इसके बाद सेंगर ने सीबीआई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जनवरी, 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। फिर मार्च, 2022 में सजा सस्पेंड करने की याचिका दाखिल की थी। सीबीआई और पीड़ित ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया था। इसके बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर, 2025 को अपील के निपटारे तक सजा निलंबित कर सेंगर को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी। अब जानिए CBI के पास ऐसे क्या सबूत थे, जिन पर सजा हुई थी?
जांच करने वाले सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया- रेप केस में कुलदीप सेंगर के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले थे। जिसके आधार पर चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसी चार्जशीट के आधार पर अदालत ने कुलदीप को सजा सुनाई थी। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि कुलदीप सेंगर के खिलाफ क्लियर-कट सबूत थे, जो काफी स्ट्रॉन्ग थे। कुलदीप सेंगर की ओर से भी ट्रायल के दौरान बड़े-बड़े वकील खड़े किए गए थे। लेकिन, अदालत ने सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया। 1-पीड़िता का बयान ही सबसे अहम सबूत
पीड़िता का क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा- 161 और 164 के तहत दर्ज बयान सबसे मजबूत सबूत था। ट्रायल कोर्ट ने इसे अनब्लेमिश्ड, ट्रुथफुल और स्टरलिंग क्वालिटी का बताया। इससे साबित हुआ कि 4 जून, 2017 को सेंगर ने उसे अपने घर पर अगवा कर बलात्कार किया। पीड़िता ने नौकरी मांगने के बहाने शशि सिंह के साथ सेंगर के घर जाने की बात कही थी। 2- क्यों बंद हुआ मोबाइल, नहीं बता सका सेंगर
सीबीआई ने जांच के दौरान सेंगर के मोबाइल की पूरे एक साल की सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) निकाली। पूरे साल में केवल 1 घंटे के लिए सेंगर का मोबाइल स्विच ऑफ हुआ था। वह समय वही था, जिस समय का जिक्र रेप पीड़िता ने अपनी एफआईआर में किया था। इसी अवधि में मोबाइल क्यों बंद रहा, इसका जवाब सेंगर नहीं दे सका था। 3- नहीं काम आया शादी में होने के तर्क
सेंगर ने सीबीआई को बताया कि घटना का समय जो बताया गया है, उस समय वह माखी गांव के नजदीक ही एक शादी में गया हुआ था। जांच में सीबीआई ने पाया कि घटनास्थल और शादी समारोह स्थल की दूरी इतनी नहीं थी कि सेंगर घटना को अंजाम देकर शादी में न पहुंच सके। इसलिए कुलदीप का शादी में होने का तर्क भी काम नहीं आया। 4- पीड़िता की उम्र का प्रमाण
सीबीआई ने स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर साबित किया कि घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी। इसलिए POCSO एक्ट लगाया गया। पीड़िता की जन्मतिथि 17 अगस्त, 2001 थी। 4 जून, 2017 को हुई घटना के समय उसकी उम्र 16 साल से भी कम थी। अदालत ने दिसंबर- 2019 में सुनाई थी सजा
इस मामले में सीबीआई ने जुलाई, 2018 में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट का संज्ञान लेने के बाद अदालत ने पूरी सुनवाई की। सबूतों के आधार पर 20 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को IPC की धारा 376 (बलात्कार), 363/366 (अगवा) और POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि सबूत मजबूत हैं। सेंगर ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया। सेंगर को उम्रकैद के साथ साथ 25 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। ​​​​​​दूसरे कौन-कौन से मामले चल रहे, उनमें क्या सजा हो सकती है?
सेंगर के खिलाफ मुख्य रूप से दो मामले चल रहे या जुड़े हैं। इसमें एक मामला रेप से जुड़ा हुआ है, दूसरा रेप पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत का मामला है। रेप के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा को निलंबित कर दिया है और कुलदीप सेंगर को जमानत दे दी। वहीं, उम्रकैद के मामले में उसको 10 साल की उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा, पीड़ित पर हमले (कार एक्सीडेंट) से जुड़े मामले भी थे, लेकिन इस मामले में वह बरी हो चुका है। —————————- ये खबर भी पढ़ें… उन्नाव रेप पीड़ित का मां-चाचा से भी झगड़ा हुआ, कुलदीप सेंगर के खिलाफ 9 साल कानूनी लड़ाई लड़ी उन्नाव के बहुचर्चित रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड कर दी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि कुलदीप ने अपनी पावर और पैसे का इस्तेमाल करके यह सब कराया है। सबको पैसे खिलाए हैं। पढ़ें पूरी खबर


https://ift.tt/wVarNdg

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *