औरंगाबाद में भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य में लगी पीएनसी कंपनी पर मनमानी करने का आरोप लगा है। सड़क निर्माण के लिए मिट्टी भराई का कार्य तेजी से कराया जा रहा है, लेकिन इसके लिए कंपनी की ओर से नियम-कानूनों को ताक पर रख दिया गया है। सरकारी जमीन से बड़े पैमाने पर मिट्टी की खुदाई की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि कुटुंबा प्रखंड के जौड़ा मौजा में सरकारी जमीन से अवैध रूप से मिट्टी का उठाव किया जा रहा है। सिर्फ खाली सरकारी भूमि ही नहीं, बल्कि कुछ वर्ष पूर्व जल छाजन योजना के तहत लगभग 12 लाख रुपए की लागत से बने आहर के पिंड की मिट्टी भी निर्माण एजेंसी ने उठा ली है। इससे आहर के पिंड का कटाव हो गया है, जिससे उसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह आहर किसानों के सिंचाई कार्य और वर्षा जल संचयन के लिए महत्वपूर्ण था। मिट्टी उठाव के बाद बना गड्ढा जिस जगह से मिट्टी का उठाव किया जा रहा है, उसके ठीक बगल में वन विभाग की जमीन है। इस क्षेत्र में कई वन्य प्राणियों का आना-जाना लगा रहता है। गर्मी के मौसम में वन्य प्राणी इसी इलाके में पानी पीने के लिए पहुंचते हैं। साथ ही किसानों की सिंचाई सुविधा को ध्यान में रखते हुए यहां गारलैंड ट्रेंचिंग योजना के तहत लाखों रुपए की लागत से तालाब का निर्माण कराया गया था। ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में भारी मशीनों से खुदाई किए जाने को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। जौड़ा गांव निवासी ग्रामीण सुंदर भुइयां ने बताया कि निर्माण एजेंसी ने नियमों की अनदेखी करते हुए लगभग 8 से 10 फीट तक गहरी खुदाई कर दी है। बरसात के दिनों में इन गड्ढों में पानी भरने की पूरी संभावना है, जिससे स्थानीय लोगों और वन्य प्राणियों के डूबने का खतरा बना रहेगा। इसके साथ ही कंपनी पर खनन एवं परिवहन अधिनियम के उल्लंघन का भी आरोप लगाया जा रहा है। बिना समुचित अनुमति और सुरक्षा मानकों के मिट्टी का खनन एवं ढुलाई किए जाने से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। मिट्टी ढुलाई से ग्रामीणों को परेशानी महसु गांव निवासी अभिजीत कुमार सिंह कहना है कि ओवरलोड वाहनों के लगातार आवागमन से गांव की कच्ची और पक्की सड़कें टूटकर क्षतिग्रस्त हो रही है। इससे आम लोगों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है। इसके अलावा मिट्टी ढुलाई के दौरान उड़ने वाली धूल से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। कंपनी की ओर से नियम के अनुसार नियमित रूप से पानी का छिड़काव भी नहीं कराया जाता, जिससे धूल की समस्या और बढ़ जाती है। एक माह पूर्व मासूम की हो चुकी है मौत ग्रामीणों ने यह भी बताया कि निर्माण एजेंसी की लापरवाही के कारण एक माह पूर्व एक दर्दनाक हादसा हो चुका है। डुमरी पंचायत के बरवाडीह गांव में कंपनी द्वारा घर के पास ही पानी जमाव के लिए गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया था। उसी गड्ढे में डूबने से गांव की एक मासूम बच्ची की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाने से लोगों में आक्रोश है। किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही कंपनी देउरा टोले बड़का गांव निवासी किसान योगेंद्र सिंह ने बताया कि उनके गांव से भी मिट्टी का उठाव किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों ने इसके लिए एग्रीमेंट पेपर तैयार करवाया है, जिस पर प्रति बीघा दस हजार रुपए देने की बात कही गई है। लेकिन मिट्टी कितना उठाया जाएगा इसका एग्रीमेंट पर कोई उल्लेख नहीं है। नियम के अनुसार खेत से 3 फीट मिट्टी उठाया जाना है। लेकिन एग्रीमेंट होने के बाद 8 से 10 फीट मिट्टी उठाया जा रहा है। जांच और कार्रवाई का आश्वासन इस संबंध में कुटुंबा के सीओ चंद्र प्रकाश ने बताया कि सरकारी भूमि से मिट्टी उठाव के मामले की जांच कराई जाएगी। यदि जांच में आरोप सही पाए गए तो संबंधित कंपनी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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