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मेयर ने जिस पार्षद को सस्पेंड किया..उसके वार्ड की सच्चाई:आबादी 3 हजार, 10 शौचालय पर निर्भर; निजी टॉयलेट नहीं, इसलिए लड़के कुंवारे

”हमें हर दिन टॉयलेट की लाइन में लगना पड़ता है। बच्चे स्कूल जाने में लेट हो जाते हैं। कोई रिश्तेदार हमारे घर नहीं आता। हमारे बेटे कुंवारे बैठे हैं। बेटियों की शादी की, लेकिन दामाद को यहां आना पसंद नहीं। क्योंकि हमारे घर पर निजी टॉयलेट नहीं है।” यह दर्द है वार्ड 37 के संतलाल के हाता में रहने वाले लोगों का। शुक्रवार को नगर निगम के सदन में हुए हंगामे के बाद मेयर प्रमिला पांडेय ने यहां के पार्षद पवन गुप्ता को आगामी 4 बैठकों के लिए सस्पेंड कर दिया। सदन में वह अपने वार्ड की इसी समस्या को उठा रहे थे, लेकिन हंगामा शुरू हो गया। जिसके बाद भास्कर ने मौके पर पहुंचकर सारे मामले की सच्चाई जानी, जो काफी भयावह दिखी। शहर की पॉश कालोनी के बीच है बस्ती वार्ड 37 का ‘संतलाल का हाता’ शहर के बीचोबीच पॉश कालोनियों के बीच स्थित है। इसकी नगर निगम कार्यालय से दूरी लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर और जलकल विभाग से महज 500 मीटर है। फिर भी यह इलाका सबसे बड़ी मूलभूत सुविधा शौचालय के लिए तरस रहा है। इस इलाके में सीवर लाइन नहीं है। इसी कारण से यहां किसी भी घर में निजी शौचालय नहीं है। 3000 की आबादी वाला यह पूरा इलाका सिर्फ एक समुदायिक शौचालय पर निर्भर है। यहां 10 शौचालय बने हैं, जिसमें से 6 पुरुषों के लिए हैं और 4 महिलाओं के शौचालय हैं। 25 साल पहले बना था शौचालय हाता में लोग 50-50 सालों से रह रहे हैं। लगभग 25 साल यहां एक समुदायिक शौचालय बनवाया गया, जिसके बाद लोगों को खुले में शौच जाने से मुक्ति मिली। लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, लोगों की परेशानी कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ती चली गई। हर दिन लोगों को शौच जाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सुबह शौच के लिए लगती है लाइन संतलाल के हाते में रहने वाले 3000 लोग सिर्फ एक समुदायिक शौचालय पर ही निर्भर हैं। सुबह जितनी जल्दी उठकर लोग शौचालय पहुंच जाते हैं, उन्हें उतनी जल्दी नित्य क्रियाओं से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में सुबह 5 बजे से ही बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और पुरुष शौचालय की लाइन में लग जाते हैं। यह बोले इलाके के लोग हमारे क्षेत्र में सीवर लाइन नहीं है। इसलिए किसी भी घर में शौचालय नहीं है। यही कारण है कि बेटों की शादियां नहीं हो रही हैं। दामाद और रिश्तेदार घर नहीं आते, आते हैं तो कभी रात में नहीं रुकते। -सपना मेरी उम्र 80 साल की है। चलने में भी परेशानी होती है। लेकिन सुबह उठकर शौच की लाइन में लगना पड़ता है। किसी अधिकारी को हमारी समस्या की चिंता नहीं है। -नन्हीं देवी हमारे घर में टॉयलेट नहीं है। इसीलिए हमारी सहेलियां भी घर नहीं आती। हम अपने किसी दोस्त को घर बुलाते भी नहीं है। कि वह हमारे बारे में क्या सोचेगा। -कनिष्का गौतम 20 साल पहले मेरी शादी हुई थी। तब से यहां शौचालय की समस्या देखते आ रहे हैं। सुबह उठकर लंबी लाइन में लगना पड़ता है। -पूजा शौचालय में कोई सफाई कर्मी नहीं है। हम लोग खुद ही इसे साफ कराते हैं। जब सफाई कर्मी नहीं आता तो हमें सड़क पार करके जाना पड़ता है। जब वहां जाते हैं तो लोग अभद्र टिप्पणी करते हैं और फब्तियां कसते हैं। -राधा सुबह-सुबह उठकर शौचालय में लाइन लगाना पड़ता है। बूढ़े बुजुर्गों को उठने में दिक्कत होती है। हर दिन एक घंटे लाइन लगाने के बाद शौच जाने को मिलता है। -सुहावती छोटी-छोटी बच्चियां हैं। उन्हें शौचालय के लिए रात में बाहर निकलना पड़ता है। आजकल माहौल खराब है, लेकिन सरकार को हमारी जरा भी चिंता नहीं है। -सुनीता सुबह 6 बजे से शौचालय के लिए लाइन में लगना पड़ता है। बच्चे स्कूल जाने में लेट हो जाते हैं, पति को ड्यूटी जाने में परेशानी होती है। स्थिति बहुत खराब है। -अनीता बच्चे हर दिन स्कूल के लिए लेट हो जाते हैं। हमने तो अपने बच्चों को ननिहाल में भेज दिया है, जिससे उनको दिक्कत न हो। यहां लोगों की शादियां नहीं हो रही। -पिंकी हमारे दोस्त या रिश्तेदारी के लोग हमारे घर नहीं आते हैं। हमारी बहन की शादी हो चुकी है, लेकिन हमारे बहनोई शौचालय के कारण हमारे घर नहीं आते हैं। -अरुण गौतम हमारे यहां रिश्तेदार नहीं आते हैं। सुबह शाम हम लोगों को शौचालय की लाइन में लगाना पड़ता है। चल नहीं पाते हैं, लेकिन शौचालय के लिए लाइन में खड़े होते हैं। -संतराम महिलाएं बोली, करेंगे भूख हड़ताल इलाके की महिलाओं का कहना है कि सालों से शौचालय के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन सरकार यहां सीवर लाइन नहीं डाल नहीं है। अब हम अपने अधिकार और मूलभूत सुविधा के लिए भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जब तक हमारा अधिकार हमें नहीं मिलेगा, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यह बोले वार्ड के पार्षद मै अपने क्षेत्र के लोगों की हक की लड़ाई को जारी रखूंगा। इसके लिए मुझे 10 बार भी सस्पेंड होना पड़ा तो मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है। शौचालय लोगों का मूलभूत अधिकार है और नगर निगम की जिम्मेदारी है। इसके लिए निगम और हमारी महापौर को जरूरी कदम उठाने होंगे। – पवन गुप्ता, पार्षद


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