ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती वाराणसी पहुंचे। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा घोषित विधानसभा चुनाव की तारीखों पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है कि आयोग ने हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं और परंपराओं की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया ऐसे समय में शुरू की गई है। जब हिंदू समाज लगातार अपने महत्वपूर्ण पर्वों गोवत्स द्वादशी, नरक चतुर्दशी, दीपावली, भाईदूज, गोपाष्टमी और छठ महापर्व को मना रहा है। शंकराचार्य ने स्पष्ट कहा कि यह महज एक संयोग नहीं बल्कि “सोची-समझी रणनीति” लगती है, जिसके जरिए बहुसंख्यक हिंदू समाज का ध्यान धार्मिक आस्था से हटाकर राजनीतिक गतिविधियों में बांटने का प्रयास किया गया है। हिंदू पर्वों के बीच चुनाव की घोषणा पर सवाल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- चुनाव आयोग को इतने बड़े-बड़े पर्वों के बीच चुनाव कार्यक्रम तय नहीं करना चाहिए था। यह वही समय है जब देशभर में हिंदू लोग अपनी पूजा-अर्चना, स्नान, व्रत, उपवास और पारिवारिक परंपराओं में व्यस्त रहते हैं। आयोग चाहे तो पांच-सात दिन पहले या बाद में कार्यक्रम रख सकता था। लेकिन ठीक त्यौहारों के बीच नामांकन, जांच, और मतदान की प्रक्रिया तय कर दी गई। उन्होंने कहा कि इस समय मतदाताओं को दो भागों में बाँट दिया गया है एक तरफ धार्मिक दायित्व और दूसरी तरफ राजनीतिक कर्तव्य। शंकराचार्य ने कहा अगर किसी मुसलमान का बड़ा पर्व होता तो मुस्लिम समाज उसे स्वीकार नहीं करता। लेकिन हिंदुओं के पर्वों को डिस्टर्ब करने के लिए कहीं न कहीं से षड्यंत्र किया गया है। आयोग ने ठीक उसी समय चुनाव रखा है जब हमारे त्यौहार हैं, यह गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि राजनीतिक और संवैधानिक संस्थाएं सभी धर्मों के प्रति समान संवेदनशीलता दिखाएं। भोजपुरी भाषा पर भी बोले शंकराचार्य
शंकराचार्य ने कहा- अल्हड़पन और खुलेपन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भोजपुरी की भाषा में जो सहजता और व्यंजना है, वह उसकी आत्मा है। भोजपुरी बेल्ट में कुछ शब्द ऐसे हैं जो वहां सामान्य माने जाते हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों के लोगों को वे असभ्य लग सकते हैं। यह समझना होगा कि भाषा का अपना सांस्कृतिक संदर्भ होता है। फिर भी, किसी भी भाषा में अश्लीलता का प्रवेश नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा को हथियार बनाना और दूसरों पर आरोप लगाना दोनों गलत हैं। हर व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए ताकि भाषा की पवित्रता बनी रहे। छठ पूजा और गंगा की स्वच्छता पर चिंता
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि लोक आस्था के सबसे बड़े पर्वों में से एक छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालु असुविधाओं का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों की ओर से पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जाती। लोक आस्था प्रबल है, लेकिन सरकारों की तैयारी कमजोर रहती है। घाटों पर सफाई, जल की गुणवत्ता, सुरक्षा व्यवस्था, हर क्षेत्र में लापरवाही है। लोग श्रद्धा से आते हैं, लेकिन गंदगी और अव्यवस्था देखकर परेशान होते हैं। उन्होंने कहा हमारी नदियों को नाला कैसे बना दिया गया? गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, कृष्णा, कोई भी नदी अब शुद्ध नहीं बची है। सभी जगह उद्योगों और नगरों का अपशिष्ट डाल दिया गया है। क्या सरकारें इस पर जवाबदेह नहीं हैं?
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