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उन्नाव रेप पीड़ित का अपनी मां-चाचा से भी हुआ झगड़ा:कुलदीप सेंगर के खिलाफ 9 साल कानूनी लड़ाई लड़ी; पति ने सबसे ज्यादा मदद की

उन्नाव के बहुचर्चित रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड कर दी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि कुलदीप ने अपनी पावर और पैसे का इस्तेमाल करके यह सब कराया है। सबको पैसे खिलाए हैं। दूसरी तरफ कुलदीप के पक्ष के लोग कहते हैं कि कोर्ट का फैसला तथ्यों के साथ आया है। तथ्यों को झुठलाया नहीं जा सकता। पीड़िता इसे अपने साथ अन्याय बताते हुए दिल्ली में धरने पर बैठ गई। न्याय की मांग करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिली। आगे भी कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही। पीड़िता का यह दर्द नया नहीं है। पिछले 9 सालों में उसने खूब संघर्ष किया। कभी कुलदीप से, तो कभी अपनों से। एक समय तो मां और चाचा से ही झगड़ा हो गया। मामला केस दर्ज करवाने तक पहुंच गया। इस बार संडे बिग स्टोरी में पीड़िता के संघर्ष की बात करते हैं… रेप और पिता की हत्या से शुरू हुआ संघर्ष
उन्नाव के जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर माखी गांव है। यही पीड़िता का गांव और घर है। उसी से महज 100 मीटर की दूरी पर पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर रहता है। पीड़िता के साथ 4 जून, 2017 को कुलदीप सेंगर ने रेप किया था। पीड़िता लंबे वक्त तक पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाती रही, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बीच उसकी आवाज दबाने के लिए उसके पिता को पेड़ में बांधकर पीटा गया। पिटाई करने वालों में कुलदीप के भाई अतुल सिंह और उनके लोग शामिल थे। पीड़िता को जब न्याय के लिए कुछ नहीं सूझा तो वह लखनऊ पहुंची और 8 अप्रैल, 2018 को सीएम योगी के आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने जैसे-तैसे उसे बचा लिया। इसके अगले ही दिन खबर आई कि पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम हुआ तो शरीर पर 14 चोटों के निशान मिले। इस मामले में कुलदीप, उसके भाई, माखी थाने के एसएचओ समेत 10 लोग आरोपी बने और बाद में इन्हें सजा हुई। चाची-मौसी को खोया, चाचा जेल गए
तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की संलिप्तता और पिता की मौत ने इस केस को बड़ा बना दिया। 12 अप्रैल, 2018 को केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। कुलदीप सेंगर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इसी बीच पीड़िता के चाचा, जो इस केस में उसकी मदद कर रहे थे, उन्हें एक 19 साल पुराने मामले में सजा हो गई। वह 10 साल के लिए जेल भेज दिए गए। इस तरह से पीड़िता अकेले हो गई। संघर्ष की यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। 28 जुलाई, 2019 को पीड़िता अपनी मौसी-चाची और वकील के साथ जा रही थी, तभी एक ट्रक ने टक्कर मार दी। इस हादसे में उसकी मौसी और चाची की मौके पर ही मौत हो गई। पीड़िता की जैसे-तैसे जान बची। इस मामले में कुलदीप के खिलाफ साजिश का मामला दर्ज हुआ। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले को गंभीरता से लिया। पूरा केस दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में शिफ्ट करवाया। पीड़िता को दिल्ली में ही रहने के लिए राज्य सरकार को व्यवस्था करने के लिए कहा। हर दिन सुनवाई हुई और कुलदीप को सजा मिली
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई लगातार शुरू हुई। 45 दिन तक लगातार मामले को सुनने के बाद तीस हजारी कोर्ट के जज धर्मेश शर्मा ने कुलदीप सेंगर को दोषी पाया। 21 दिसंबर, 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मार्च, 2019 को कोर्ट ने पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सेंगर को दोषी पाया और 10 साल की सजा सुनाई। 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। कुलदीप को रेप मामले में जरूर राहत मिल गई, लेकिन पीड़िता के पिता की मौत के मामले में कोई राहत नहीं मिली। उस मामले में अभी करीब 3 साल की सजा बाकी है। शादी के बाद अपनी मां ही खिलाफ हो गई
पीड़िता ने 2021 में एक लड़के से शादी कर ली। मां इस शादी से खुश नहीं थी। पति दिल्ली में ही एक प्राइवेट नौकरी करता है। पीड़िता को जो मकान मिला, उसी में रहता है। मां को आपत्ति थी। वह चाहती थी कि पति अपने घर पर रहे, लेकिन पीड़िता ऐसा नहीं चाहती थी। मां-बेटी के बीच विवाद बढ़ने लगा। इसके बाद मां ने यूपी सरकार से गुहार लगाई। उन्हें भी रहने के लिए अलग व्यवस्था की गई। 2022 में कांग्रेस ने पीड़िता की मां को विधानसभा का टिकट दिया। इस चुनाव में पीड़िता ने भी प्रचार किया था। हालांकि, पीड़िता की मां चुनाव हार गई थी। उन्नाव की सदर सीट पर डेढ़ हजार ही वोट मिले थे। इसके बाद मां अक्सर उन्नाव वाले घर पर रहती या फिर दिल्ली में अलग मिले घर में रहती थीं। उनके साथ पीड़िता की बड़ी बहन रहती थीं। मां-चाचा ने पैसा हड़प लिया, मामला पुलिस तक पहुंचा
इस मामले में 2023 के आखिर में नया मोड़ आ गया। एक तरफ दिल्ली हाईकोर्ट में मामला चल रहा था, दूसरी तरफ पीड़िता के परिवार में ही बवाल मच गया। पीड़िता ने उन्नाव के एसपी को एक शिकायत दी। उसमें परिवार पर प्रताड़ित करने और बेईमानी करने का आरोप लगाया। पीड़िता ने कहा था- मैं इस वक्त 8 महीने की गर्भवती हूं, लेकिन अपने ही परिवार के लोगों के षड्यंत्र में फंसकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हूं। मेरे भगवान समान पति जिन्होंने ऐसे समय पर मेरा हाथ थामकर मुझे धन्य कर दिया, अब मेरे आपराधिक प्रवृत्ति के लालची चाचा पैसे के लिए मेरे और मेरे पति के दुश्मन बन गए हैं। पीड़िता ने अपने पत्र में लिखा था- मुझे सरकार की तरफ से और गैर सरकारी संगठनों ने पैसा दिया था। मैंने ये पैसा अपने चाचा से मांगा तो उन्होंने कहा कि केस के मैनेजमेंट में 7 करोड़ रुपए खर्च हुआ है। जो पैसा मिला है, वह कम है। मुझे तुमसे और पैसा चाहिए। यह बात समझ से परे है, क्योंकि मेरा केस सरकार लड़ रही। किसी भी तरह से 7 करोड़ रुपए खर्च नहीं हो सकता। यह मेरे पैसे हड़पने की सोची समझी साजिश एवं षड्यंत्र है। पीड़िता ने कहा- मेरे चाचा और मेरी मां ने मिलकर मुझे और मेरे पति को घर से धक्का मारकर निकाल दिया। यह घर मुझे सरकार की तरफ से रहने के लिए मिला था। मेरे पति ने वीडियो बनाकर मदद मांगी तो मेरी ही बड़ी बहन पति पर फर्जी रेप केस में फंसाने की धमकी देने लगी। इन लोगों ने मेरे नाबालिग होने का फायदा उठाकर सरकार से मिली मदद को अपने खाते में मंगवा लिया था। अब ये लोग पैसे के चलते ही मेरा जीवन नर्क बनाने पर तुले हैं। मेरे चाचा का तो आपराधिक इतिहास रहा है। मां का राजनीतिक रसूख रहा है। वह उन्नाव से चुनाव लड़ चुकी हैं। मेरी विनती है कि मामले की जांच की जाए और मेरा पैसा मुझे दिलवाया जाए। पति ने साथ दिया, उनकी नौकरी चली गई
पीड़िता कहती हैं- मेरी इस लड़ाई में मेरे पति हमेशा मेरे साथ रहे। वह कुलदीप के खिलाफ लड़ाई में भी हमेशा साथ रहे। परिवार में भी जब विवाद हुआ, तब भी उन्होंने साथ दिया। वह दिल्ली में ही प्राइवेट नौकरी करते हैं। जब उनके ऑफिस में पता चला कि उन्होंने हमसे शादी की है, तब उनकी नौकरी भी चली गई। हालांकि, उन्होंने इसके लिए मुझे कभी कुछ नहीं कहा। वह हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। मेरी जो लड़ाई चल रही है, उसमें मेरे पति के अलावा मीडिया का और एक्टिविस्ट लोगों का बहुत साथ मिला। वर्ना हम यह लड़ाई कभी न लड़ पाते। कुलदीप सिंह सेंगर इतना पावरफुल है कि उसके खिलाफ कौन ही लड़ पाएगा। कितनी ही धमकियां मिलीं, केस वापस लेने से लेकर जान से मार देने तक की धमकी। लेकिन मुझे भरोसा था कि इस देश में न्याय होता है, इसलिए मैं कुलदीप जैसे पावरफुल व्यक्ति के खिलाफ भी लड़ी और तीस हजारी कोर्ट ने मेरे साथ न्याय किया। कुलदीप का खौफ ऐसा कि शिकायत दर्ज कराने से डरते हैं
पीड़िता कहती हैं- उन्नाव में कुलदीप से ज्यादा पावरफुल कोई नहीं था। उसके खिलाफ कोई शिकायत हो ही नहीं सकती थी। माखी थाना भी गांव में था, पुलिस वाले तो इनसे पूछते थे। जब भी इनके खिलाफ कोई शिकायत की सोचता भी, तो उसे ठिकाने लगा दिया जाता था। इनके दो भाई थे, आप इलाके में जाएंगे तो पता चलेगा कि वह लोगों को कितना परेशान करते हैं। मेरे पिता को इन लोगों ने पुलिस थाने में पीटा और फिर जान ले ली। पीड़िता कहती हैं, हम लगातार इस लड़ाई में लगे रहे। कितनी कुर्बानियां दी फिर मुकदमा दर्ज हुआ। कुलदीप जैसे लोग गिरफ्तार हुए। कोर्ट में मुझसे अजीब-अजीब सवाल पूछे गए, लेकिन मैंने सबका जवाब दिया। अब दिल्ली कोर्ट में भी जब मुझसे जो पूछा गया, उसके बारे में मैंने सब कुछ बताया। इन्होंने 3 महीने पहले फैसला सुरक्षित कर लिया, फिर 3 महीने बाद फैसला सुनाया। असल में इस तीन महीने में इन्होंने सेटिंग कर ली। जज और सीबीआई अफसरों को पैसा खिला दिया। —————————- ये खबर भी पढ़ें… रेप पीड़ित परिवार ने कुलदीप को बनाया था प्रधान, बाद में घर छोड़ना पड़ा, दोस्ती से दुश्मनी तक उन्नाव केस की कहानी उन्नाव का बहुचर्चित रेप केस…। बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा हुई। वह करीब 7 साल जेल में रहा। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा सस्पेंड कर दी है। इस फैसले के बाद पीड़ित दिल्ली में इंडिया गेट के सामने अपनी मां के साथ धरने पर बैठ गई। पढ़ें पूरी खबर


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