कनाडा के गुरुद्वारा से पाठी सिंह की इमोशनल वीडियो सामने आई है। इसमें पाठी सिंह ने कनाडा के गुरुद्वारे पर भेदभाव और टोकाटाकी के आरोप लगाए हैं। कीर्तन करते हुए रागी जत्थे में एक सिंह इमोशनल होकर कहते हैं कि मैं अब टोकाटाकी के इस कल्चर में ज्यादा दिन नहीं रह पाऊंगा। यहां तो बोलने की आजादी भी छीन ली गई है। उन्होंने कहा कि हमें क्या बोलना है, किसके लिए अरदास करनी है, किसके लिए नहीं, किससे सिरोपा लेना है किसको सिरोपा देना है जैसी बातों पर कंट्रोल किया जाता है। सिंह ने गुरुद्वारों की सैलरी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यहां महीने के 800 डॉलर दिए जा रहे हैं। अगर हमें संगत में से कोई पैसे दे जाता है तो ताने सुनने को मिलते हैं कि बहुत कमाई कर रहे हो। आपको तो बिना मेहनत के ही पैसे मिल रहे हैं। मैं तंग आ चुका हूं और अब कनाडा से परमानेंट इंडिया जा रहा हूं। गुरुद्वारों पर भेदभाव के आरोप नए नहीं हैं। शुक्रवार को श्री फतेहगढ़ साहिब में हुई शहीदी सभा में ये मुद्दा निहंग सिंह भी उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि 2-2 बाटों से गुरुद्वारों में अमृत छकाया जा रहा है। एक बाटा किसी जात का तो दूसरा किसी जात है। जात-पात खत्म नहीं हो पाई है। अब विस्तार से पढ़िए सिंह साहिब ने वीडियो में क्या कहा… पंजाब के गुरुद्वारों में भी जात-पात सिख इतिहास पर विवाद
न केवल कनाडा बल्कि पंजाब के गुरुद्वारों पर भी सिख जत्थेबंदियां जात-पात और सिख इतिहास से छेड़छाड़ का मुद्दा उठा चुकी हैं। निहंग बाबा रसूलपुर कह चुके हैं कि अकाल तख्त के जत्थेदार को सिखी से जुड़े विवादों का संज्ञान लेना चाहिए। कलगी तोड़े के बहाने लोगों को जात-पात में बांटा जा रहा है। इन्हीं कारणों से तो कई सिख परिवार क्रिश्चियन बन गए।
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