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सारण में हादसा: धुआं और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनी जानलेवा:बंद कमरे में अंगीठी बनी मौत, नानी समेत 3 नाती की जान गई

कड़ाके की ठंड से बचने के लिए जलाई गई अंगीठी एक परिवार के लिए मौत का कारण बन गई। बंद कमरे में सो रहे परिवार के 4 सदस्यों की दम घुटने से मौत हो गई। 2 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। घटना सारण जिले के भगवान बाजार थाना क्षेत्र की है। अंबिका कॉलोनी, भारत मिलाप चौक के पास शुक्रवार देर रात हादसा हुआ। परिवार के सात सदस्य एक ही कमरे में सो रहे थे। ठंड अधिक होने के कारण कमरे में अंगीठी जलाई गई थी। रात भर अंगीठी जलती रही। कमरे में धुआं और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस फैल गई। ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिर गया। गहरी नींद में होने के कारण किसी को खतरे का आभास नहीं हुआ। हादसे में 70 वर्षीय कमलावती देवी की मौत हो गई। उनके नाती तेजांश (3 वर्ष) और अध्याय (4 वर्ष) की भी जान चली गई। 7 माह की गुड़िया की भी मौके पर ही मौत हो गई। परिवार के अन्य सदस्य अमित कुमार उर्फ सोनू, अंजलि और अमिषा बेहोश हो गए। सभी को आनन-फानन में सदर अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने चार लोगों को मृत घोषित कर दिया। अमित कुमार की हालत गंभीर है। उन्हें पटना रेफर किया गया है। अंजलि और अमिषा सदर अस्पताल में भर्ती हैं। दोनों का बीपी और ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे है। अंजलि और अमिषा कुछ दिन पहले ही मायके आई थीं। ठंड की छुट्टी में अंजलि मां के साथ बनारस में पूजा-पाठ के बाद छपरा आई थी। वह बच्चों को ननिहाल घुमाने लाई थी। गुड़िया अभी मां की गोद से अलग भी नहीं हो सकी थी। अंजलि के पति बनारस में सीओ पद पर कार्यरत हैं। मौत की खबर मिलते ही वह सदर अस्पताल पहुंचे। अपने बच्चों के शव देखकर वह फफक पड़े। शब्द नहीं निकल पा रहे थे। घबराहट, छटपटाहट महसूस हुई, सांस लेना मुश्किल था ठंड असहनीय थी। घर में छोटे बच्चे थे। इसलिए सभी एक कमरे में सोए। अंगीठी जलाई गई थी। देर रात घबराहट और छटपटाहट हुई। सांस लेना मुश्किल हो गया। किसी तरह दरवाजा खोलकर बाहर निकला। -मंटू सिंह, परिवार के सदस्य अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई और मैं बेहोश हो गई रात में ठंड बहुत ज्यादा थी। बच्चों के साथ सभी एक कमरे में सोए थे। अंगीठी जल रही थी। सांस लेने में दिक्कत हुई। सिर चकराया और आंखों के आगे अंधेरा छा गया। इसके बाद कुछ याद नहीं। सुबह अस्पताल में होश आया।-अंजलि, अस्पताल में इलाजरत भास्कर एक्सपर्ट – शंभूनाथ सिंह, सेवानिवृत अस्पताल उपाधीक्षक बंद कमरे में अंगीठी बनती है जानलेवा खतरा बंद कमरे में अंगीठी जलाना बेहद खतरनाक है। अंगीठी जलने से ऑक्सीजन कम होती जाती है। अधजले कोयले से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है। यह गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। इसका पता नहीं चलता। यह पहले दिमाग पर असर डालती है। व्यक्ति को नींद और चक्कर आने लगते हैं। सांस घुटने का एहसास भी नहीं हो पाता। फिर दम घुटने से मौत हो जाती है।


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