लखनऊ में साइबर जालसाजों ने रिटायर्ड अफसर को 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। उनको धमकाया था कि तुमने पहलगाम हमले में फंडिंग की थी। अब फंस जाओगे। जालसाजों ने वीडियो कॉल पर ATS और NIA के अधिकारी बनकर उनसे बात की जिससे वह डर गए थे। 7 दिन के अंदर कई बार में 54.50 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए। वहीं, जानकीपुरम में एक महिला को भी पहलगाम हमले में फंडिंग की बात कहकर धमकाया। उसे 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 30 लाख रुपए ऐंठ लिए। साइबर थाना इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने बताया- दोनों ही मामलों में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। रिटायर्ड अफसर से हर घंटे का अपडेट लेते रहे गोमतीनगर के वास्तु खंड निवासी राजेंद्र प्रकाश वर्मा उत्तर प्रदेश वित्त लेखा विभाग से रिटायर्ड अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि 13 दिसंबर को सुबह करीब 11 बजे उनके मोबाइल पर एक वॉट्सऐप कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस हेडक्वार्टर का इंस्पेक्टर रंजीत कुमार बताया। उसने पहलगाम हमले का हवाला देते हुए कहा कि आतंकी अफजल खान और आशिफ फौजी के बयान में राजेन्द्र प्रकाश वर्मा का नाम आया है। आरोप लगाया गया कि उनके आधार के जरिए एचडीएफसी बैंक, कोलाबा (मुंबई) में खाता खोलकर 7 करोड़ रुपए का अंतरराष्ट्रीय लेन-देन हुआ है और 10 प्रतिशत कमीशन उन्हें दिया गाय। पीड़ित के इनकार करने पर धमकाना शुरू किया राजेंद्र ने खुद को पेंशनर बताकर ऐसी गतिविधि में शामिल होने से मना कर दिया। इसके बाद जालसाजों ने डराना-धमकाना शुरू कर दिया। इसके बाद अलग-अलग मोबाइल नंबरों से खुद को ATS पुणे का प्रेम कुमार गौतम और फिर NIA के आईजी राघव दत्त बताकर वीडियो कॉल पर बात कराई। उन्हें सर्विलांस में रखकर हर घंटे रिपोर्ट करने और किसी से संपर्क न करने की धमकी दी गई। रुपए ऐंठने के बाद जालसाजों ने नजदीकी थाने भेजा इसके बाद बैंक खातों, एफडी और संपत्तियों की जानकारी ली। वॉट्सऐप वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहा और बैंक पहुंचकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए बोला। ठगों के कहने पर 16 दिसंबर को बेंगलुरु के खाते में 45 लाख रुपए और 17 दिसंबर को लखनऊ कृष्णानगर स्थित बैंक खाते में 9.5 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के फर्जी दस्तावेज भेजकर 13 से 19 दिसंबर तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। 19 दिसंबर को ठगों ने स्थानीय थाने के प्रभारी से बात कराने को कहा। तब पीड़ित विभूतिखंड थाने पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्हें ठगी का पता चला। महिला को भी बताया- देशद्रोह का आरोप है उधर, राजाजीपुरम निवासी महालक्ष्मी श्रीवास्तव से साइबर ठगों ने खुद को पुलिस और जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर 30 लाख रुपए की ठगी कर ली। पीड़ित ने बताया 24 नवंबर 2025 को दोपहर करीब 12:40 बजे उनके मोबाइल पर फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस मुख्यालय गोमतीनगर का इंस्पेक्टर रंजीत कुमार बताया करीब 30-35 मिनट की बातचीत में उसने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अफजल खान नाम के व्यक्ति के पास उनका आधार नंबर है और पहलगाम हमले में पकड़े गए आतंकी हाफिज फौजी ने जज के सामने बयान दिया है कि उसने महालक्ष्मी के एचडीएफसी बैंक खाते में 70 लाख रुपए ट्रांसफर किए हैं। इस रकम के बदले उन्होंने देश विरोधी जानकारी साझा की है। ठग ने कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो चुका है, गिरफ्तारी वारंट जारी है। पूरी संपत्ति सीज की जाएगी। इसके बाद कॉल को दूसरे नंबर ट्रांसफर कर दिया गया। जांच के बाद रुपए वापस करने का झांसा दिया दूसरे व्यक्ति ने खुद को एटीएस अधिकारी प्रेम कुमार गौतम बताया और वॉट्सऐप कॉल पर बात की। पीड़िता को धमकाया और किसी को घर में न बताने की हिदायत दी। इसके बाद एनआईए चीफ सदानंद से बात कराई गई। जिन्होंने प्रॉपर्टी इन्वेस्टिगेशन और अमाउंट लीगलाइजेशन की बात कही। इसके बाद कन्फिडेंशियलिटी एग्रीमेंट वॉट्सऐप पर भेजकर खाते के सारे रुपए ट्रांसफर करने को कहा गया। फिर बताया कि जांच के बाद रुपए वापस हो जाएंगे। डर के चलते 28 नवंबर 2025 को 20 लाख रुपए RTGS के जरिए भेज दिए। इसके बाद 4 दिसंबर 2025 को 10 लाख रुपए और ट्रांसफर किए गए। दो दिन बाद फिर 50 हजार की मांग की गई तो पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ। काफी इंतजार के बाद रुपए वापस नहीं मिले तो 12 दिसंबर को 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। मामले में इंस्पेक्टर साइबर बृजेश यादव का कहना है मुकदमा दर्ज करके जांच की जा रही है।
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