बदायूं में विद्युत संविदा कर्मचारियों ने शनिवार शाम को अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। ऊर्जा प्रबंधन की नीतियों से नाराज़ कर्मचारियों ने पावर कॉरपोरेशन पर समझौतों से मुकरने और हजारों संविदा कर्मियों को बेरोजगार करने का आरोप लगाया। इस दौरान उन्होंने 29 नवंबर 2025 को जारी कार्यवृत्त की प्रतियां जलाईं और जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन ने अपने ही आदेशों का उल्लंघन करते हुए 33/11 केवी उपकेंद्रों पर कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों की बड़े पैमाने पर छंटनी की है। मार्च 2023 में हटाए गए कर्मचारियों को अब तक काम पर वापस नहीं लिया गया है, जिससे उनमें भारी रोष है। संविदा कर्मियों ने घायल कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की व्यवस्था न होने, इलाज में खर्च की गई राशि का भुगतान न करने, 55 वर्ष की आयु का हवाला देकर अनुभवी कर्मियों को हटाने, वर्टिकल व्यवस्था लागू कर छंटनी करने और भ्रष्ट ठेकेदारों पर कार्रवाई न होने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने मीटर रीडरों को न्यूनतम वेतन से कम भुगतान और स्मार्ट मीटर के नाम पर रोजगार खत्म होने की आशंका भी व्यक्त की। कर्मचारियों ने बताया कि 26 नवंबर 2025 को लखनऊ स्थित शक्ति भवन में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और संगठन पदाधिकारियों के बीच कई बिंदुओं पर सहमति बनी थी। हालांकि, 29 नवंबर को जारी कार्यवृत्त उस सहमति के अनुरूप नहीं था, जिसके विरोध में यह प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद ऊर्जा मंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन अधीक्षण अभियंता को सौंपा गया। प्रदेश उपाध्यक्ष हर्षवर्धन ने कहा कि ऊर्जा प्रबंधन की दमनकारी नीतियों के कारण हजारों संविदा कर्मी बेरोजगार हो गए हैं, जिन्हें तत्काल काम पर वापस लिया जाना चाहिए। प्रदेश संगठन मंत्री हरीश चंद्र यादव ने जोर देकर कहा कि मानक समिति की रिपोर्ट जारी किए बिना बार-बार छंटनी करना अन्यायपूर्ण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने की। इस विरोध प्रदर्शन में रनजीत सिंह, जगतपाल, सुनील कुमार, मुब्बिर अली सिद्दकी, विवेक शर्मा, सुरेश चंद्र पाल, रामसेवक, महावीर सहित दर्जनों विद्युत संविदा कर्मचारी उपस्थित रहे।
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