अगर सीबीआई हमारे वकील के साथ खड़ी होती तो इस तरह के दर्दनाक हालात देखने को नहीं मिलते. हमारी जीत होती और सीबीआई की हार क्योंकि उनके चेहरे पर खुशियाँ होतीं और उनके परिवार में उत्सव का माहौल. लेकिन मेरी स्थिति बहुत खराब है. मेरा पिता और पूरा परिवार इस जद्दोजहद में चला गया. अब हमारे पति की नौकरी भी चली गई है. मैं इस कठिन समय में क्या खाऊं, ये सोचकर मन बहुत व्यथित है.
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